देहरादूनः दुनिया में इस वक्त सोशल मीडिया पर फेक न्यूज (fake news on social media) की बाढ़ है. हमारे लिए यह बात छोटी हो सकती है कि एक फेक न्यूज हमारी तरफ से समाज में गई है. भले ही वह फेक न्यूज किसी भी परिपेक्ष में हो. लेकिन क्या आप जानते हैं इस फेक न्यूज की वजह से ना केवल घरों में बल्कि समाज और देश में भी जहर घुल रहा है. एक फेक न्यूज की वजह से जहां कुछ कंपनियां आम जनता को ठग रही हैं. वहीं कुछ राजनीतिक पार्टियां भी लोगों को अपने जाल में फंसा रही हैं.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी इन दिनों फेक न्यूज को लेकर एक मुहिम छेड़े हुए हैं. पंकज पचौरी और उनकी टीम इस काम में लगी हुई है कि किस तरह से फेक न्यूज के जहर से आम जनता और देश को बचाया जाए. पंकज पचौरी कहते हैं कि मौजूदा समय में फेक न्यूज फैलाने का सबसे ज्यादा अगर कोई काम कर रहा है तो वह है सोशल मीडिया प्लेटफार्म. इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल आम जनता अपने मनोरंजन के लिए कर रही है. जिस तरह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए फेक न्यूज चंद मिनटों में लाखों, करोड़ों लोगों तक पहुंच रही है, वह ना केवल देश बल्कि विश्व के लिए भी खतरे की घंटी है.
सोशल मीडिया में नहीं होती जानकारी फिल्टरः पंकज पचौरी कहते हैं कि सोशल मीडिया पर जितने भी मनोरंजन के प्लेटफार्म हैं और जो सूचनाओं को इधर से उधर पहुंचाते हैं उनके पास कोई एडिटर नहीं है. उनके पास वह लोग नहीं हैं जो सही खबर को सही कहें और गलत खबर को रोक सकें. इसलिए सोशल मीडिया पर जो भी आप पोस्ट कर रहे हैं, उसको कोई रोकने और टोकने वाला नहीं है. जब तक उसकी शिकायत ना की जाए.
मीडिया की भूमिका पर नजर रखने की जरूरतः पंकज पचौरी बताते हैं कि न्यूज चैनल हो या न्यूज पेपर, इन सभी संस्थानों में खबरों को फिल्टर करने के लिए ग्राउंड रिपोर्टर के साथ-साथ डेस्क पर भी लोग होते हैं, जो सही जानकारी को ही आगे बढ़ाने का काम करते हैं. लेकिन मौजूदा समय में कई जगहों पर ऐसा देखा गया है कि मीडिया भी इधर-उधर से जानकारियां लेकर खबरों को पब्लिश करती है. जबकि वह खबर सही सोर्स से नहीं आती और कभी-कभी खबरें सही भी नहीं होती. इसलिए मीडिया को भी अपनी भूमिका पर नजर रखनी होगी. जल्दबाजी के चक्कर में हमेशा कोई काम ना करें, जिससे हमारे रीडर तक गलत जानकारी न पहुंचे.
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वैक्सीन पर फैलाई भ्रांतियांःपंकज पचौरी ने कहा कि महामारी के दौर में हमने ऐसे देखा कि जब पूरा विश्व कोविड-19 वैक्सीन लगवा रहा था, तब हमारे यहां पर कई ऐसे लोग थे जो वैक्सीन को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैला रहे थे. उसे धर्म, आस्था और ना जाने किन किन बातों से जोड़ रहे थे. उसका नतीजा यह हुआ कि कई शहर, गांव, मोहल्ले, कस्बे इस बात से प्रभावित हुए और लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई. चर्चा तो इस बात की भी है कि कई धर्मगुरुओं ने इस पर फतवे भी जारी कर दिए. आप यह समझ सकते हैं कि यह कितना खतरनाक है कि जो दवाई लोगों की जान बचाने के लिए बनाई गई थी, उसके बारे में ही गलत जानकारियां व्हाट्सएप और दूसरे प्लेटफार्म पर शेयर की जा रही थी.