कोलकाता : बंगाल-असम के बड़े राजनैतिक घराने से ताल्लुक रखने वाली सुष्मिता देव कांग्रेस छोड़कर अब टीएमसी की नेता हो चुकी हैं. उन्होंने कांग्रेस छोड़ने के कुछ ही घंटे बाद टीएमसी का दामन थाम लिया जिसने कांग्रेस के भीतर ही कई सवाल खड़े कर दिए हैं. इन सवालों का जवाब ढूंढना कांग्रेस नेतृत्व के लिए भी मुश्किल भरा दिखाई दे रहा है.
सुष्मिता टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और डेरेक ओ ब्रायन की उपस्थिति में वे टीएमसी में शामिल हो गईं. उनके इस कदम पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी नेतृत्व पर सवाल दागते हुए ट्विट किया कि यह आंखे खोलने का समय है. कांग्रेस का तथाकथित युवा नेतृत्व हर गलती का ठीकरा पुराने नेताओं पर फोड़ता है. उस सभी के लिए सुष्मिता का इस्तीफा सबक की तरह है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी ट्वीट किया कि अगर यह सच है तो यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने सवाल किया कि क्यों? आप इस संक्षिप्त पत्र से बेहतर स्पष्टीकरण की पात्र हैं?
क्या हैं इसके राजनैतिक मायने
हाल ही कई विपक्षी दलों ने भाजपा को घेरने के लिए एक मजबूत गठबंधन बनाने की पहल की. टीएमसी नेता व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चार दिनों तक दिल्ली में डेरा जमाए रखा और कई दलों के नेताओं से मिलीं. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी. तब कई कांग्रेसी नेता यह कहते सुने गए कि सभी दलों को कांग्रेस के नेतृत्व में एक होना चाहिए.
हालांकि अन्य नेताओं ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. सुष्मिता का कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में जाना इस बात का संकेत है कि ममता बनर्जी राष्ट्रीय स्तर किसी दल की अधीनता स्वीकार नहीं करेंगी और वे खुद अपने झंडे तले सबको एकजुट करने के मिशन पर हैं. हालिया बयान और सुष्मिता प्रकरण से यह भी साफ है कि अब कांग्रेस भी उनसे परहेज कर सकती है क्योंकि टीएमसी ने परोक्ष रुप से उनके सबसे भरोसेमंद नेता को अपने पाले में शामिल कर लिया है. यह तीसरे मोर्चे व गठबंधन के लिए झटका है.
इस वजह से छोड़ी पार्टी
राजनैतिक सूत्रों का कहना है कि वे कुछ महीनों से कांग्रेस नेतृत्व से नाखुश थीं, खासकर अप्रैल-मई में असम चुनाव में एआईयूडीएफ के साथ गठजोड़ करने के फैसले को लेकर. चुनाव में उम्मीदवारों की पसंद को लेकर भी राज्य कांग्रेस नेतृत्व से भी उनकी असहमति थी. सच तो यह है कि उन्होंने बीते मार्च में ही अपना पद लगभग छोड़ दिया था लेकिन सोनिया गांधी ने उन्हें रहने के लिए मना लिया था. हालांकि वे ज्यादा दिनों तक खुद को नहीं रोक पाईं और इस्तीफा देकर ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल हो गईं.
बता दें कि सुष्मिता देव असम बंगाल के बड़े नेता संतोष मोहन देव की बेटी हैं. सुष्मिता देव असम की सिल्चर सीट से सांसद भी चुनी गई थीं. वे बंगालियों के वर्चस्व वाले असम के बराक घाटी क्षेत्र में पार्टी की शीर्ष नेता थीं. राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो सीएए या नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर अपनी पार्टी के साथ थी, जिसका नुकसान कांग्रेस को हुआ क्योंकि बराक घाटी में सीएए पर हिंदुओं का मजबूत समर्थन रहा था.