नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और प्रख्यात न्यायविद् शांति भूषण का मंगलवार को दिल्ली स्थित उनके घर में निधन हो गया. वह 97 साल के थे. उनके परिवार के नजदीकी एक सूत्र ने कहा कि संक्षिप्त बीमारी के बाद उनका निधन हो गया. अपने समय के वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण वर्ष 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई कैबिनेट में कानून मंत्री रहे.
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, 'शांति भूषण जी को कानूनी क्षेत्र में उनके योगदान और वंचितों के हक में आवाज उठाने के जुनून के लिए याद किया जाएगा. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिवार के प्रति संवेदना.'
शांति भूषण के बेटे जयंत और प्रशांत भूषण भी अग्रणी अधिवक्ता हैं. शांति भूषण हाल तक कानूनी पेशे में सक्रिय थे और सर्वोच्च अदालत में दायर उस जनहित याचिका पर बहस किया था, जिसमें राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध किया गया था.
शांति भूषण सार्वजनिक महत्व के कई मामलों में पेश हुए. शांति भूषण एक प्रसिद्ध मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता राजनारायण की तरफ से पेश हुए, जिसमें चुनावी कदाचार को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का निर्वाचन रद्द कर दिया गया था.
2018 में उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा शीर्ष अदालत में मामलों के आवंटन के रोस्टर अभ्यास को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था. अपनी याचिका में, भूषण ने तर्क दिया था कि 'मास्टर ऑफ द रोस्टर एक अनियंत्रित और बेलगाम विवेकाधीन शक्ति नहीं हो सकती है जो मनमाने ढंग से चुनिंदा न्यायाधीशों को मामलों का आवंटन करती है.' शीर्ष अदालत ने बाद में फैसला सुनाया कि CJI 'मास्टर ऑफ द रोस्टर' है और उसके पास शीर्ष अदालत की विभिन्न बेंचों को मामले आवंटित करने का अधिकार है.
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने मंगलवार को शांति भूषण के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि प्रख्यात न्यायविद् के निधन की खबर से उन्हें गहरा दुख हुआ है.
रीजीजू ने ट्वीट किया, 'यह खबर सुनकर गहरा दुख हुआ कि पूर्व केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री शांति भूषण जी नहीं रहे. उनके निधन पर परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. दिवंगत आत्मा के लिए मेरी प्रार्थना.'
शांति भूषण 1977-79 तक तत्कालीन मोरारजी देसाई सरकार में भारत के कानून मंत्री रह चुके हैं. भूषण कांग्रेस (ओ) और बाद में जनता पार्टी के सदस्य रहे. इसके अलावा भाजपा के साथ भी वह छह साल तक जुड़े रहे. अपने राजनीतिक जीवन के दौरान वह राज्यसभा सांसद भी रहे.
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