नई दिल्ली :जेबीटी घोटाला मामले में सजा काट रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) की सजा पूरी हो गई है. फिलहाल वह कोविड के चलते अंतरिम पेरोल पर छोड़े गए हैं. उन्हें केवल कागजी खानापूर्ति के लिए एक बार तिहाड़ जेल जाना पड़ सकता है.
साल 1999-2000 के दौरान 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) शिक्षकों की भर्ती में घोटाले के इस मामले में ओपी चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला और 53 अन्य आरोपियों को दिल्ली की कोर्ट ने दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी.
वर्ष 2021 के अंत में ओमप्रकाश चौटाला की सजा पूरी होने वाली थी. कोविड के चलते हाल ही में तिहाड़ जेल से लगभग पांच हजार कैदियों को छोड़ा गया था. इनमें ओम प्रकाश चौटाला भी शामिल थे.
छह माह की सजा हुई माफ
हाल ही में हाई पावर कमेटी ने यह तय किया था कि जिन लोगों को दस साल की सजा मिली है, उनकी छह माह की सजा माफ की जा सकती है. दिल्ली सरकार ने ऐसे कैदियों को चिह्नित कर उनकी सजा कम की है. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का नाम भी शामिल है. कोविड के चलते वह अंतरिम जमानत पर हैं, इसलिए केवल कागजी कार्यवाही पूरी की जानी है.
रोहिणी स्थित विशेष सीबीआई जज विनोद कुमार ने 308 पेज के अपने फैसले में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला को घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया. सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक हरियाणा में इनेलो की सरकार बनने के बाद वर्ष 1999-2000 में राज्य में जेबीटी टीचर की भर्ती निकाली गई. चौटाला सरकार ने भर्ती का अधिकार एसएससी (हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन) से लेकर अपने पास रख लिया और इसके लिए जिला स्तर पर समितियां गठित कर दीं.
3206 जेबीटी टीचर्स की नियुक्ति में घोटाला
चार्जशीट के मुताबिक 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड टीचर्स की नियुक्ति (JBT Recruitment) में ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था. नियुक्तियों की दूसरी लिस्ट 18 जिलों की चयन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों को हरियाणा भवन और चंडीगढ़ के गेस्ट हाउस में बुलाकर तैयार कराई गई. इसमें जिन अयोग्य उम्मीदवारों से पैसा मिला था. उनके नाम योग्य उम्मीदवारों की सूची में डाल दिए गए.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
जेबीटी भर्ती घोटाले को अंजाम देने के लिए साल 1985 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव कुमार को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया था. मामले के मुताबिक परीक्षा के बाद योग्य उम्मीदवारों की जो सूची बनी उनमें संजीव कुमार के उम्मीदवार भी थे. जब नतीजे घोषित करने की बारी आई तो अजय चौटाला और शेर सिंह बडशामी ने संजीव कुमार को धमकाते हुए उनके उम्मीदवारों के नाम सूची से काटकर नई सूची बनवाई और नतीजे घोषित करने को कहा. यहीं से घोटाले का खुलासा होना शुरू हो गया.
खुद को ठगा महसूस होने पर संजीव कुमार 2003 में सुप्रीम कोर्ट गए, उन्होंने याचिका दायर करके योग्य और अयोग्य उम्मीदवारों की दो सूचियां पेश कीं. सूत्रों के मुताबिक जब मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी तो संजीव कुमार के कार्यालय में आग लग गई और उसमें उम्मीदवारों की सूची सहित जेबीटी भर्ती का काफी रिकॉर्ड जल गया. याचिका पर सुनवाई के बाद मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया गया. हालांकि मामले का खुलासा करने वाले संजीव कुमार सीबीआई जांच में खुद भी दोषी पाए गए.
इन धाराओं के तहत दोषी
अदालत ने सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 418 (छल करके हानि पहुंचाना), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति का फर्जीवाड़ा), 471 (फर्जी दस्तावेज का असली की तरह इस्तेमाल) और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2) व 13(1)(डी) के तहत दोषी करार दिया.
कोर्ट ने 55 लोगों को ठहराया था दोषी
ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला के अलावा प्राथमिक शिक्षा के पूर्व निदेशक संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व ओएसडी विद्या धर और दिल्ली कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व सीएम के राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बाड़शामी को दोषी ठहराया. कोर्ट ने माना कि ओपी चौटाला के इशारे पर ही आरोपियों ने पूरे घोटाले को अंजाम दिया.
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चौटाला ने संजीव कुमार को प्राथमिक शिक्षा निदेशक नियुक्त करते हुए उनसे नियुक्तियों की पहले से तैयार सूची को बदलकर दूसरी सूची तैयार करने को कहा था. कोर्ट ने कुल 55 लोगों को दोषी करार दिया था. जिनमें 16 महिलाएं शामिल थीं. कुल मिलाकर मामले में 62 आरोपी थे, 6 की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हुई और एक को अदालत ने बरी कर दिया.
अभय चौटाला ने संजीव कुमार पर फोड़ा था ठीकरा
ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला ने कोर्ट के फैसले के बाद अपने पिता और भाई को पाक साफ करार दिया. अभय ने घोटाले का पूरा ठीकरा आईएएस अधिकारी संजीव कुमार पर फोड़ते हुए कहा कि ये सब उन्हीं का किया धरा है और वो पहले भी कई घोटालों में लिप्त रहे हैं. उन्हें हरियाणा सरकार ने निलंबित भी किया था. अभय ने ये भी कहा कि जेबीटी टीचर्स की भर्तियों की प्रक्रिया तो चौटाला सरकार से पूर्व की सरकार में ही पूरी कर ली गई थी.