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Oommen chandy: केरल के पूर्व CM ओमन चांडी को अंतिम इच्छा के साथ दी गई अंतिम विदाई - Kerala ex cm Oommen Chandy passed away

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी का उनके पैतृक गांव पुथुपल्ली में गुरुवार की मध्यरात्रि 12 बजकर दो मिनट पर एक विशेष कब्र में दफनाया गया. चांडी के पार्थिव शरीर को यहां सेंट जॉर्ज ऑर्थोडॉक्स चर्च में दफनाया गया.

Oommen chandy
ओमन चांडी

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Published : Jul 21, 2023, 8:48 AM IST

ओमन चांडी को दी गई अंतिम विदाई.

कोट्टायम:केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी का उनके पैतृक गांव पुतुपल्ली में गुरुवार की आधी रात को अंतिम संस्कार किया गया. चांडी के पार्थिव शरीर को सेंट जॉर्ज ऑर्थोडॉक्स चर्च में मध्यरात्रि 12 बजकर दो मिनट पर विशेष कब्र में दफनाया गया. इस मौके पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी और राज्य के कई वरिष्ठ नेता अंतिम संस्कार में शामिल हुए. चांडी के पार्थिव शरीर को यहां के तिरुनक्कारा मैदान लाये जाने के बाद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मलयालम सिनेमा के अनेक कलाकारों और विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी. पूर्व सीएम ओमन चांडी का अंतिम संस्कार अंतिम इच्छा के मुताबिक बिना राजकीय सम्मान के साथ किया गया.

राहुल गांधी, एके एंटनी समेत कई नेता हुए शामिल.

ओमन चांडी की आखिरी इच्छा के मुताबिक बिना बिगुल बजाए और किसी बंदूकधारी पुलिसकर्मी के सलामी दिए बिना ही उनका अंतिम संस्कार किया गया. ओमन चांडी चाहते थे कि उन्हें एक आम आदमी की तरह ही दफनाया जाए. इसलिए उनकी आखिरी इच्छा को ध्यान में रखते हुए उन्हें राजकीय सम्मान के बिना दफनाया गया. आमतौर पर पूर्व मुख्यमंत्रियों को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाती है.

अपने 'कुंजूनजू' को भावभीनी विदाई देने के लिए हजारों लोग चर्च में इकट्ठा हुए. चांडी को पुतुपल्ली के लोग प्यार से इसी नाम से बुलाते थे. इस निर्वाचन क्षेत्र का उन्होंने पांच दशकों से अधिक समय तक राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया. कांग्रेस के दिग्गज नेता के पार्थिव शरीर को कब्र में दफनाए जाने के वक्त उनकी पत्नी मरियम्मा ओमन, तीनों बच्चे और पोते-पोतियों सहित उनके परिवार के सदस्य मौजूद थे.

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आपको बता दें कि चांडी का मंगलवार को बेंगलुरु के एक अस्पताल में निधन हो गया था. इसके बाद तिरुवनंतपुरम के उनके आवास से 36 घंटे की यात्रा के बाद पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पुतुपल्ली के 'करोट्टु वल्लक्कलिल' घर लाया गया. करीब डेढ़ सौ किलोमीटर के इस मार्ग की यात्रा तीन से चार घंटे में पूरी हो जानी चाहिए थी लेकिन इसमें काफी देरी हुई क्योंकि हजारों लोग अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शनों के लिए सड़कों में उमड़ पड़े. इस कारण पार्थिव शरीर को ले जा रहे वाहन की गति को धीमा रखा गया और कई बार तो वाहन को रोकना भी पड़ा.
(अतिरिक्त इनपुट एजेंसी)

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