पटना : बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद आए दिन शराब पकड़े जाने की खबरें आती रहती हैं. यहां तक की जहरीली शराब पीने से कई जिलों में लोगों की मौत भी हुई. जिसके बाद से शराबबंदी विपक्ष के निशाने पर है. वहीं, बिहार में एनडीए सरकार के सहयोगी दल भी दबी जुबान से शराबबंदी कानून पर सवाल उठाने लगे हैं. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून पर सवाल उठाए.
'शराबबंदी कानून की हो समीक्षा'
बिहार में शराबबंदी को नौटंकी बताने वाले बयान पर उन्होंने कहा कि हमने शराबबंदी को कभी नौटंकी नहीं बताया. हम केवल शराबबंदी को लेकर उन्हें सुझाव दे रहे हैं कि कई मामलों में गलत कार्रवाई हुई है. लाखों गरीब आज जेल में हैं, उनके बाल-बच्चे बिलबिला रहे हैं. इसलिए हमने इस एक्ट की समीक्षा की भी बात कही है.
ETV भारत की जीतन राम मांझी से खास बातचीत. 'शराब एक गलत चीज है, लेकिन उसकी एक सीमा है. उस सीमा को हम जब सीएम रहे तब भी कहा था, लेकिन उसका सभी ने मजाक उड़ाते हुआ कहा था कि जीतन राम मांझी कहते हैं कि पीयो, लेकिन थोड़ा थोड़ा पीयो..और ऐसा कहकर मेरी हंसी उड़ाई थी. सच्चाई यही है कि अगर शराब लिमिट में पी जाए तो वो दवाई का काम करती है. शराबबंदी के चलते इसकी बिक्री ज्यादा हो गई है.' -जीतन राम मांझी, पूर्व सीएम, बिहार
'शराब की बिक्री में हुआ इजाफा'
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने आरोप लगाया कि पूर्ण शराबबंदी से शराब बिक्री ज्यादा हो गई है, इस कानून की समीक्षा होनी चाहिए. बता दें कि अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी है. इसके बावजूद भी बिहार में शराब का व्यवसाय चोरी छिपे फल फूल रहा है. राज्य सरकार के निर्देश के बाद शराबबंदी कानून को पालन कराने में पूरी बिहार पुलिस जुटी हुई है. हालांकि, सरकार मौजूदा कानूनों के प्रावधानों में बदलाव करके इससे संबंधित प्रक्रिया को और भी कड़ा बनाने जा रही है.
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