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उत्तराखंड में 'संवैधानिक संकट' का कोई मसला नहीं : पूर्व सीईसी कुरैशी - Uttarakhand constitutional crisis

भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी का कहना है कि निर्वाचन आयोग विशेष प्रावधानों के तहत उत्तराखंड में उपचुनाव करा सकता है, भले ही राज्य में विधानसभा चुनाव एक साल के भीतर होने हैं.

एसवाई कुरैशी
एसवाई कुरैशी

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Published : Jun 23, 2021, 6:02 PM IST

नई दिल्ली :भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी ने उत्तराखंड कांग्रेस के राज्य में 'संवैधानिक संकट' के दावे को खारिज कर दिया है. कुरैशी ने कहा कि निर्वाचन आयोग विशेष प्रावधानों के तहत उपचुनाव करा सकता है और सीएम तीरथ सिंह रावत अपनी पसंद की किसी भी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

तीरथ सिंह रावत पौड़ी-गढ़वाल संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं. उन्होंने इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. कानून के अनुसार सीएम रावत को पद पर बने रहने के लिए सितंबर तक विधायक निर्वाचित होना चाहिए.

संविधान के अनुच्छेद 164(4) के अनुसार, एक मंत्री जो लगातार छह महीने की अवधि के लिए राज्य विधानसभा का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा.

उत्तराखंड कांग्रेस का कहना है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151 (A) में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि यदि विधानसभा का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम है, तो उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि चुनाव आयोग अब उत्तराखंड में उपचुनाव नहीं करा सकता है.

इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि तीरथ सिंह रावत उपचुनाव लड़ सकते हैं और यह एक सीएम के लिए अपवाद है. नियमों के अनुसार, यदि विधानसभा चुनाव एक साल के भीतर होने हैं तो उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है, लेकिन अगर इसमें मुख्यमंत्री शामिल है तो निर्वाचन आयोग उपचुनाव करा सकता है.

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वर्तमान में उत्तराखंड में दो विधानसभा सीटें गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं. गंगोत्री सीट भाजपा विधायक गोपाल रावत के निधन के बाद, जबकि हल्द्वानी सीट कांग्रेस विधायक इंदिरा हृदयेश के इस महीने निधन के बाद खाली हुई है.

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