पटनाःलगातारविवादों में चल रहे बिहार सरकार के पूर्व मंत्रीकार्तिकेय कुमारकी जमानत याचिका खारिज (Kartikeya Kumar bail plea rejected) हो गई है. दानापुर व्यवहार न्यायालय से उनको बेल नहीं मिली है. अब उनको जमानत के लिए पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. ऐसे में अब किसी भी वक्त उनकी गिरफ्तारी हो सकती है. कोर्ट के फैसले से ठीक पहले बुधवार देर शाम उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था.
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दानापुर व्यवहार न्यायालय से जमानत याचिका खारिज:गुरुवार को अपहरण के एक मामले में दानापुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे-3 में सत्यनारायण शेवहारे के कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. जज ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद शाम 4 बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कोर्ट ने 4 बजे के बाद फैसला सुनाया, जिसमें उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दी गई. अपहरण के इस मामले में आरोपी होने के कारण पूर्व मंत्रीकार्तिकेय कुमार महज 15 दिनों में ही नीतीश कैबिनेट से बाहर हो गये. हालांकि लगातार विवादों के बीच सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार सुबह को उनका विभाग बदला था, लेकिन विभाग बदले जाने के बाद कार्तिकेय कुमार ने मंत्रिमंडल से त्याग पत्र दे दिया.
"कोर्ट ने कार्तिकेय कुमार की अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया है. अब उन पर डिपेंड करता है कि वह आगे उच्च न्यायालय जाएं या नहीं. गिरफ्तारी को लेकर उन्होंने कहा कि यह प्रशासन पर डिपेंड करता है. न्यायालय पूर्व में हाई कोर्ट के द्वारा बेल कैंसिल किया गया था, जिस को आधार बनाकर बेल कैंसिल किया गया है"- मोहम्मद कलाम अंसारी, अपर लोक अभियोजक
कार्तिकेय सिंह पर लगे थे आरोप :नीतीशमंत्रिमंडल में जगह मिलते ही कार्तिकेय कुमार विवादों में घिर गए थे. उनके ऊपर आरोप लगा था कि उनके खिलाफ कोर्ट से अपहरण के मामले में वारंट जारी किया जा चुका है. 2014 में राजीव रंजन को अगवा कर लिया गया था, इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्तिकेय सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया. इस मामले में कार्तिकेय सिंह ने अभी तक ना तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है ना ही जमानत के लिए अर्जी दी है. इसको लेकर विपक्ष लगातार नीतीश कुमार पर हमला बोल रहा था कि जिनके खिलाफ खुद गिरफ्तारी का वारंट जारी किया जा चुका हो, उसे विधि विभाग का मंत्री कैसे बनाया जा सकता है.
अनंत सिंह के हैं चुनावी रणनीतिकार :आपको बता दें कि कार्तिकेय कुमार को बाहुबली अनंत सिंह (Bahubali Anant Singh)के समर्थक 'कार्तिक मास्टर' के नाम से जानते हैं. वर्ष 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कार्तिकेय मास्टर और अनंत सिंह में दोस्ती काफी आगे बढ़ी थी. अनंत सिंह के चुनावी रणनीतिकार के रूप में कार्तिकेय ने खुद को साबित किया. जानकारी है कि अनंत सिंह के लिए सभी राजनीतिक दांव-पेंच पर्दे के पीछे से कार्तिकेय की मदद से ही अनंत सिंह संभालते हैं. इसलिए अनंत सिंह की पहली पसंद वे हैं. सबसे बड़े विश्वासी हैं. अनंत सिंह कार्तिकेय कुमार को खुद 'मास्टर साहब' कहकर पुकारते हैं. राजनीति में सक्रिय होने से पहले कार्तिकेय स्कूल में शिक्षक थे. वे मोकामा के रहने वाले हैं और उनके गांव का नाम शिवनार है. कार्तिकेय मास्टर की पत्नी रंजना कुमारी लगातार दो बार मुखिया बनीं.
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