वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर ने क्या कहा... भरतपुर.विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में इस बार एक नया मेहमान नजर आया है. पहली बार बर्फीले देश और ठंडी वादियों से एक खास बर्ड 'मिसल थ्रश' उद्यान में आई है. यह पहला मौका है जब इस पक्षी को केवलादेव नेशनल पार्क में देखा गया है. नए मेहमान के आने से पक्षी प्रेमियों में खुशी है. नेचर गाइड और रिक्शा चालक भी पर्यटकों को इसका दीदार कराने का प्रयास करते हैं. माना जा रहा है कि इस बार जिले में पड़ी कड़ाके की सर्दी की वजह से ये खास विदेशी चिड़िया घना में आई है.
ऐसे हुआ मिसल थ्रश का दीदार :वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर लोकेश कुमार ने बताया कि एक दिन वह घना में नेचर गाइड जगदीश और कुछ पुणे के पर्यटक विचरण कर रहे थे. सभी लोग उद्यान की ट्रेल नंबर 3 पर घूम रहे थे, तभी मिसल थ्रश पक्षी नजर आया. चूंकि उन्होंने पहले भी इस पक्षी को उत्तराखंड के बर्फीले पहाड़ों में देखा हुआ था. इसलिए उन्होंने इसका फोटो क्लिक कर लिया.
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पहली बार दिखा पक्षी :लोकेश कुमार ने बताया कि उन्होंने मिसल थ्रश बर्ड के बारे में पूछा तो नेचर गाइड ने बताया कि वह लंबे समय से घना में ही काम कर रहे हैं, लेकिन इससे पहले कभी यहां इसे देखा नहीं गया. बाद में घना की चेकलिस्ट भी देखी लेकिन उसमें भी इस पक्षी का नाम दर्ज नहीं था.
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यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में पाई जाती है मिसल थ्रश
लोकेश कुमार ने बताया कि यह विदेशी बर्ड मिसल थ्रश यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और एशिया के कुछ भागों में पाई जाती है. सर्दियों के मौसम में भारत में ही उत्तराखंड के बर्फीले पहाड़ी क्षेत्रों, सिक्किम और उत्तर पूर्वी राज्यों में यह पक्षी नजर आ जाता है, लेकिन इस बार भरतपुर में भी कड़ाके की सर्दी होने की वजह से संभवतः ये यहां नजर आया है.
ऐसी है मिसल थ्रश बर्ड
इस पक्षी की लंबाई 27 से 28 सेमी, पंखों के साथ 45 सेंटीमीटर होती है. वजन 93 से 167 ग्राम तक होता है. देखने में इसका ऊपरी हिस्सा हल्के भूरे रंग का और पेट वाला भाग सफेद रंग का जिसपर गोल काले धब्बे होते हैं. मिसल थ्रश की चोंच काले रंग की होती है. आमतौर पर मादा मिसल थ्रश 3 से पांच अंडे देती है जिन्हें 14 से 16 तक सेहजने के बाद उसमें से चूजे बाहर आ जाते हैं.