नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने जबरन धर्मांतरण कराने के आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही यह कहते हुए निरस्त कर दी कि जिस व्यक्ति को ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरित कराने की बात कही गई थी.
न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें आरोपी जॉर्ज मंगलापिल्ली को कोई राहत देने से इनकार कर दिया गया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि गवाहों की गवाही के अतिरिक्त रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिस पर विश्वास किया जा सके. अभियोजन के अनुसार आरोपी ने धर्मेंदर दोहार का जबरन धर्मांतरण कराया था, लेकिन दोहार ने मुकदमे के दौरान अपनी गवाही में आरोपी द्वारा अपना धर्मांतरण कराए जाने की बात से इनकार किया.
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