चंडीगढ़: पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI का इस्तेमाल किया गया है. हाई कोर्ट ने चैट जीपीटी का इस्तेमाल हत्या के केस में जमानत अर्जी पर फैसले के लिए किया है. मतलब ये कि हाई कोर्ट ने चैट जीपीटी का इस्तेमाल कर न्यायिक विधि में एक नई पहल की है. मंगलवार को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में जस्टिस अनूप चितकारा की बेंच ने चैट जीपीटी से मिले जवाब पर हत्या के आरोपी की जमानत याचिका को खारिज किया है.
हाई कोर्ट ने पूछा था ये सवाल: आरोपी की जमानत याचिका पर आदेश देने से पहले हाई कोर्ट ने चैट जीपीटी से पूछा था कि जब हमलावरों ने क्रूर हमला किया है, तो जमानत पर न्यायशास्त्र क्या है? इसके जवाब में चैट जीपीटी ने बताया कि जहां हमलावरों ने क्रूरता की है, मामले की विशिष्ट परिस्थितियों और कानूनों और नियमों पर निर्भर करेगा. यदि हमलावरों पर हिंसक अपराध का आरोप लगाया जाता है. जिसमें क्रूरता शामिल है, तो समुदाय के लिए खतरा माना जा सकता है.
ऐसे मामलों में, न्यायाधीश जमानत देने से परहेज कर सकता है या ये सुनिश्चित करने के लिए जमानत की राशि बहुत अधिक निर्धारित कर सकता है कि आरोपी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा नहीं करता है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
कानूनी मामले के जानकार वरदान मल्होत्रा ने इस बारे में बताया कि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में पहली बार किसी मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है. उनका मानना है कि कानून के मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से बहुत सारे रास्ते खुल जाएंगे. उन्होंने कहा कि इसके कई विपरीत असर भी हो सकते हैं. इसलिए हमें बड़े ही बारीकी से ये देखना होगा कि इसके क्या फायदे होंगे और क्या नुकसान.