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सावन से पहले कजरी की पाती- 'पिया मेहंदी लिया द मोती झील से जाके साइकिल से ना'

25 जुलाई रविवार से सावन का महीना शुरू हो जाएगा. ऐसे में ईटीवी भारत आपके लिए लेकर आया है सावन में गाया जानेवाला प्रसिद्ध लोक गीत कजरी. लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने अपनी सुरीली आवाज में कजरी गीत गाए और इसकी महत्ता को समझाया है.

लोक गायिका
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Published : Jul 22, 2021, 3:07 AM IST

पटना: सावन 25 जुलाई से शुरू हो जाएगा. श्रावण मास (Sawn 2021) में भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष विधान है. साथ ही प्रकृति से इस महीने का गहरा संबंध माना जाता है. बारिश और हरियाली के बीच लोक गीत (LOK GEET) की धुनों से सावन का महिना खास बन जाता है. बारिश में भींगती हुई महिलाएं झूले का आनंद लेती हैं. इस दौरान कई गीत भी गाए जाते हैं. कजरी गीत उन्हीं में से एक है. ईटीवी भारत आपको कजरी गीत (KAJRI GEET) की खुबसूरती से रूबरू कराने जा रहा है. लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत (Kajri Singer On ETV Bharat) से खास बाचतीत के दौरान कजरी गीत गाकर समां बांध दिया.

सावन नजदीक आते ही चारों तरफ कजरी गानों की धुन सुनाई देने लगती है. उत्तर भारतीय लोक संगीत परंपरा से जुड़ा है कजरी गीत. भोजपुरी गानों में हाल के दिनों में बढ़ी अश्लीलता और फूहड़ता के बावजूद लोक संगीत से जुड़े कलाकार खोई हुई लोकगीतों को फिर से लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रयास में लगे हुए हैं.

कजरी गीत से मनीषा ने बांधा समां

ऐसे में इस बार सावन में कई कलाकार पुरानी कजरी गीतों को नए कलेवर के साथ और नए कजरी गीतों को लाने के लिए तैयार हैं. ऐसी ही बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव, सावन में अपने पांच गानों का एल्बम ला रही हैं जिसमें से तीन कजरी गीत है और दो अन्य विद्या के गीत हैं. इन 5 गीतों में 3 गीत पुराने हैं जिसे नए तरीके से रीक्रिएट किया गया है. वहीं दो गीत बिल्कुल नए हैं.

इस बारे में लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि कजरी लोकगीत की एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधा है और सावन के महीने में बारिश के मौसम में भीगकर झूला झूलते हुए जो गीत गाया जाता है वह कजरी कहा जाता है. कजरी सिर्फ गाया ही नहीं बल्कि खेला भी जाता है. कजरी में बहुत सारे प्रसंग होते हैं, जैसे कि राधा कृष्ण के प्रेम के बहुत सारे कजरी गीत मिलेंगे. कजरी गाने प्रेम प्रधान भी होते हैं, विरह प्रधान भी होते हैं. कई प्रसंग रिश्तो में नोक झोंक के होते हैं जैसे ननंद भोजाई का नोक झोंक, सास बहू का नोक झोंक और पति पत्नी के बीच नोक झोंक.

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मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि यह बातें गलत हैं कि लोकगीतों को श्रोता नहीं मिल रहे हैं. इसका खास श्रोता वर्ग है. लोकगीतों को खूब पसंद भी किया जा रहा है. फूहड़ गाने बेशक इन दिनों खूब चलन में हैं मगर यह गाने आते हैं और चले जाते हैं. मगर जो लोक संगीत होता है उसका जलवा सदा के लिए रहता है.

आज के दौर में सोशल मीडिया के आ जाने से अब लोक गायन से जुड़े गायकों को लोक गीत रिलीज करने में परेशानी नहीं उठानी पड़ रही है. लोग अपने चैनल के माध्यम से भी अपना गाना रिलीज़ कर सकते हैं. मनीषा का मानना है कि अच्छी चीज लोगों तक धीरे-धीरे पहुंचती है और बुरी चीज के प्रति लोग अधिक आकर्षित हो जाते हैं.

यही वजह है कि सोहर गानों को आते ही व्यूज मिलने शुरू हो जाते हैं और काफी अधिक व्यूज मिल जाते हैं. लेकिन यह ज्यादा समय तक टिक नहीं पाते हैं. जो लोक संगीत होते हैं उन गानों का व्यूज धीरे धीरे बढ़ता है, मगर इसके कमेंट सेक्शन में लोगों का रिस्पांस भी अच्छा नजर आता है और इसकी तारीफ भी लोग खूब होती है. गानों की अच्छी समझ रखने वाले लोगों तक गाना पहुंचता है तो लोग उसकी खूब सराहना करते हैं.

मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने बहुत से लोकगीत को नए तरीके से रिक्रिएट किया है. ऐसे में जिन्हें यह गाना सुनना हो वे मनीषा के यूट्यूब चैनल में जाकर इसे सुन सकते हैं.

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