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MP में बढे़ आटे-दाल के भाव, गेहूं में इतनी महंगाई पहली बार देखी, जबलपुर में गेहूं 41 रुपए प्रति किलो

एमपी में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होते ही महंगाई ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. एमपी में आटा,दाल और गेहूं का दाम बढ़ गए हैं. पढ़िए जबलपुर से विश्वजीत सिंह की यह रिपोर्ट...

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गेहूं

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 1, 2023, 10:37 PM IST

आटा दाल और गेहूं के दाम बढ़े

जबलपुर।मध्य प्रदेश गेहूं, दाल और चावल का उत्पादक प्रदेश है, लेकिन इसके बाद भी मध्य प्रदेश में आटा-दाल के भाव आसमान छू रहे हैं. लोगों ने इतना महंगा गेहूं कभी नहीं खरीदा, जितना अभी बिक रहा है. इसी तरीके से दाल के दामों में भी तेजी है और चावल के दामों में भी. जबकि अभी नई फसल को आने में समय है. ऐसी स्थिति में आम उपभोक्ता जो पहले से ही महंगाई का मारा हुआ है. वह खाने-पीने की चीजों में महंगाई की दोहरी मार झेल रहा है. आटे के महंगे होने की वजह से रोज कमाने खाने वाले लोगों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है.

गेहूं 4100 प्रति क्विंटल तक पहुंचा:मध्य प्रदेश में गेहूं के दाम अपने अब तक के अधिकतम स्तर पर पहुंच गए हैं. जबलपुर में शरबती गेहूं 4100 प्रति किलो हो गए हैं. जबकि मध्य प्रदेश गेहूं उत्पादक प्रदेश है. यहां पर बड़े पैमाने पर गेहूं का उत्पादन होता है. वहीं क्वालिटी के अनुसार आटे के दाम ₹37 से शुरू होकर 48 रुपया प्रति किलो तक है. मध्य प्रदेश एक गेहूं उत्पादक प्रदेश है. मध्य प्रदेश का गेहूं भारत में सबसे अच्छा गेहूं माना जाता है. पूरे मध्य प्रदेश में गेहूं का उत्पादन लिया जाता है.

इसके बाद भी मध्य प्रदेश में गेहूं का इतना अधिक दाम होना आम उपभोक्ता के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. सरकार अभी तक गेहूं ₹2200 प्रति क्विंटल पर खरीद रही थी. इस बार के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ने ही गेहूं का समर्थन मूल्य ₹2700 करने की बात कही है, लेकिन इसके बाद भी गेहूं अपने समर्थन मूल्य से लगभग दोगुनी नाम पर बिक रहा है. बाजार में गेहूं की आवक है. जबकि सरकारी गोदाम में गेहूं रखा हुआ है. निजी स्तर पर कई व्यापारी भी बड़े पैमाने पर गेहूं का भंडार किए हुए हैं.

भोपाल में भी आटे के भाव जबलपुर की ही तरह ₹35 और ब्रांडेड आटे के दाम ₹47 तक पहुंच गए हैं. जबकि भोपाल के आसपास भी गेहूं ही रबी की मुख्य फसल है. भोपाल में भी गेहूं का भरपूर उत्पादन होता है, लेकिन यहां पर भी आटे के भाव आसमान पर हैं. रवि के मौसम में गेहूं की बुवाई हो गई है, लेकिन बाजार में गेहूं की नई फसल आने में अभी कम से कम 3 महीने का वक्त लगेगा. ऐसी स्थिति में जबलपुर में अनाज विक्रेता सत्यदीप जैन ने बताया कि गेहूं के दाम हर महीने बढ़ रहे हैं. ऐसी स्थिति में बहुत आश्चर्य नहीं होगा कि गेहूं ₹50 किलो तक बिक जाए.

दालों में भी तेजी: जबलपुर में तुअर या अरहर दाल के भाव क्वालिटी के अनुसार ₹170 प्रति किलो से शुरू होकर ₹220 प्रति किलो तक जा रहे हैं. इंदौर में भी अरहर दाल 147 रुपए से शुरू होकर ₹200 प्रति किलो तक बिक रही है. करेली मंडी में खड़ी तुवर के दाम ₹110 प्रति किलो है. तुवर दाल के अलावा मूंग दाल, उड़द दाल में भी तेजी है. बाजार में नई तुवर को आने में अभी 1 महीने का समय बाकी है. इसलिए दालों में यह तेजी अगले 1 महीने तक बनी रहेगी.

दाल की कीमतें बढ़ी

चावल के भाव में भी तेजी:जबलपुर में क्वालिटी के अनुसार बासमती चावल ₹40 प्रति किलो से शुरू हो रहा है. वहीं दूसरे चावल भी ₹35 से लेकर ₹50 प्रति किलो के अनुसार बिक रहे हैं. हालांकि खरीफ के सीजन की मुख्य फसल धान कट चुकी है, लेकिन अभी तक इसकी मिलिंग शुरू नहीं हो पाई है. इसलिए चावल के भाव में भी तेजी है, लेकिन खाद्य सामानों को विक्रेता बताते हैं कि खाने-पीने के समान जिस तरह से महंगे हो रहे हैं. इनमें खाने के तेल को छोड़कर बाकी सभी कुछ महंगा है.

व्यापारियों की मुनाफा खोरी: खाने-पीने की समान में जब महंगाई आती है, तो इसका फायदा किसानों को मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता और इसका पूरा फायदा वह स्टॉकिस्ट ले जाते हैं. जो किसानों से माल खरीद कर स्टॉक रख लेते हैं और जब किसानों की आवक घट जाती है. तब बाजार में व्यापारियों का माल आता है और व्यापारी इसमें मुनाफाखोरी करते हैं. इस मुनाफा वसूली पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. बल्कि ज्यादा दामों में माल के बिकने पर सरकार को ज्यादा टैक्स मिलता है. इसलिए सरकार भी अपने टैक्स की वजह से मुनाफाखोरी पर लगाम नहीं लगती.

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खाने पीने के समान में महंगाई का सबसे बड़ा असर उन प्रवासी लोगों पर पड़ता है. जो काम की तलाश में अपने घर से दूर जाते हैं. इन लोगों को सभी कुछ खरीद कर खाना पड़ता है. अपने घर से दूर होने की वजह से इन मजदूरों को सरकारी राशन भी नहीं मिलता. इसलिए गरीब आदमी परेशान हो जाता है. मेहनत करने के बाद भी वह भरपेट भोजन तक नहीं कर पाता.

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