जबलपुर।मध्य प्रदेश गेहूं, दाल और चावल का उत्पादक प्रदेश है, लेकिन इसके बाद भी मध्य प्रदेश में आटा-दाल के भाव आसमान छू रहे हैं. लोगों ने इतना महंगा गेहूं कभी नहीं खरीदा, जितना अभी बिक रहा है. इसी तरीके से दाल के दामों में भी तेजी है और चावल के दामों में भी. जबकि अभी नई फसल को आने में समय है. ऐसी स्थिति में आम उपभोक्ता जो पहले से ही महंगाई का मारा हुआ है. वह खाने-पीने की चीजों में महंगाई की दोहरी मार झेल रहा है. आटे के महंगे होने की वजह से रोज कमाने खाने वाले लोगों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है.
गेहूं 4100 प्रति क्विंटल तक पहुंचा:मध्य प्रदेश में गेहूं के दाम अपने अब तक के अधिकतम स्तर पर पहुंच गए हैं. जबलपुर में शरबती गेहूं 4100 प्रति किलो हो गए हैं. जबकि मध्य प्रदेश गेहूं उत्पादक प्रदेश है. यहां पर बड़े पैमाने पर गेहूं का उत्पादन होता है. वहीं क्वालिटी के अनुसार आटे के दाम ₹37 से शुरू होकर 48 रुपया प्रति किलो तक है. मध्य प्रदेश एक गेहूं उत्पादक प्रदेश है. मध्य प्रदेश का गेहूं भारत में सबसे अच्छा गेहूं माना जाता है. पूरे मध्य प्रदेश में गेहूं का उत्पादन लिया जाता है.
इसके बाद भी मध्य प्रदेश में गेहूं का इतना अधिक दाम होना आम उपभोक्ता के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. सरकार अभी तक गेहूं ₹2200 प्रति क्विंटल पर खरीद रही थी. इस बार के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ने ही गेहूं का समर्थन मूल्य ₹2700 करने की बात कही है, लेकिन इसके बाद भी गेहूं अपने समर्थन मूल्य से लगभग दोगुनी नाम पर बिक रहा है. बाजार में गेहूं की आवक है. जबकि सरकारी गोदाम में गेहूं रखा हुआ है. निजी स्तर पर कई व्यापारी भी बड़े पैमाने पर गेहूं का भंडार किए हुए हैं.
भोपाल में भी आटे के भाव जबलपुर की ही तरह ₹35 और ब्रांडेड आटे के दाम ₹47 तक पहुंच गए हैं. जबकि भोपाल के आसपास भी गेहूं ही रबी की मुख्य फसल है. भोपाल में भी गेहूं का भरपूर उत्पादन होता है, लेकिन यहां पर भी आटे के भाव आसमान पर हैं. रवि के मौसम में गेहूं की बुवाई हो गई है, लेकिन बाजार में गेहूं की नई फसल आने में अभी कम से कम 3 महीने का वक्त लगेगा. ऐसी स्थिति में जबलपुर में अनाज विक्रेता सत्यदीप जैन ने बताया कि गेहूं के दाम हर महीने बढ़ रहे हैं. ऐसी स्थिति में बहुत आश्चर्य नहीं होगा कि गेहूं ₹50 किलो तक बिक जाए.