नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में घोषणा की थी कि सरकार जल्द से जल्द एक आदेश जारी कर देश में ऑटोमोबाइल निर्माताओं को अनिवार्य रूप से फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल्स (FFV) का उत्पादन करने के लिए कह सकती है, ताकि वाहन उपयोगकर्ताओं को लागत बचाने में मदद मिल सके.
मंत्री का यह बयान, जो केंद्र के हालिया फैसले की पृष्ठभूमि में 20 फीसद इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लक्ष्य को पांच साल 2025 तक आगे बढ़ाने को लेकर आया है. इसके साथ ही भारत में एफएफवी की प्रभावकारिता पर बहस शुरू हो गई है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने 'भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण के लिए रोड मैप 2020-25' की समीक्षा की है, साथ ही इस महीने नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में देश में एफएफवी की उपयोगिता पर चर्चा की गई है. उसके बारे में जानिए.
फ्लेक्स ईंधन वाहन (FFV) क्या हैं?
मुख्य रूप से एफएफवी की अवधारणा पेट्रोल में बढ़ते इथेनॉल प्रतिशत को देखते हुए प्रस्तावित की गई है. हालांकि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, एफएफवी में 84 फीसद से अधिक इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल पर चलने के लिए इंजन है.
वास्तव में, ये वाहन जनवरी 2003 में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम का विस्तार है. हालांकि यह कार्यक्रम इंडियन ऑयल, एचपीसीएल व बीपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचने के लिए द्वारा बनाया जाता है.
पिछले साल, केंद्र ने 2022 तक पेट्रोल में 10 फीसद इथेनॉल मिश्रण और 2030 तक 20 फीसद मिश्रण तक पहुंचने का लक्ष्य रखा था. हालांकि, लक्ष्य को हाल ही में पांच साल 2025 तक के लिए इसे संशोधित किया गया है. फिलहाल पेट्रोल में करीब 8.5 फीसदी एथेनॉल मिलाया जाता है, जो 2014 में 1-1.5 फीसदी था.
इथेनॉल मिश्रित ईंधन और एफएफवी के क्या फायदे हैं?
सरकार के अनुसार, इथेनॉल मिश्रित ईंधन के उपयोग से उपभोक्ताओं, किसानों और भारतीय अर्थव्यवस्था को समग्र रूप से लाभ होगा. इस बारे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले हफ्ते कहा था कि वैकल्पिक ईधन के रूप में एथेनॉल का प्रयोग कर सकते हैं जिसकी कीमत 60-62 रुपए प्रति लीटर है वहीं, पेट्रोल 100 रुपए के पार पहुंच गया है. इसलिए इथेनॉल का उपयोग करने से भारतीयों को 30-35 रुपये प्रति लीटर की बचत होगी.
मंत्री ने आगे कहा कि चूंकि भारत में मक्का, चीनी और गेहूं का अत्यधिक उत्पादन होता है, इसलिए इथेनॉल कार्यक्रम के अनिवार्य सम्मिश्रण से किसानों को अधिक आय प्राप्त करने में मदद मिलेगी. उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि खाद्यान्न की अधिक आपूर्ति समस्या पैदा कर रही है, क्योंकि हमारे पास अतिरिक्त आपूर्ति को स्टोर करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है.