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पांच साल की बच्ची को याद हैं रामायण और भगवत गीता के श्लोक

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Published : Nov 29, 2020, 8:44 PM IST

गुजरात के वडोदरा से पैदल चलकर एक परिवार खरगोन जिले के मडलेश्वर मां नर्मदा की परिक्रमा करने पहुंचा. खास बात ये है कि परिवार में दो छोटे बच्चे भी शामिल हैं, जिसमें एक पांच साल की बच्ची को रामायण और भगवत गीता के श्लोक पूरे याद हैं.

परिक्रमा
परिक्रमा

भोपाल :गुजरात के वडोदरा से करीब 400 किलोमीटर पैदल चलकर एक परिवार जीवन दायनी मां नर्मदा की परिक्रमा के लिए मध्य प्रदेश के मंडलेश्वर पहुंचा. यहां उन्होंने नर्मदा तट स्थित मां नर्मदा आश्रय स्थल पर रात्रि विश्राम किया और फिर सुबह पूजा अर्चना की.

परिवार में दो छोटे बच्चे भी शामिल हैं, जिसमें एक बच्ची की उम्र पांच साल है और बेटे की उम्र ढाई साल है. पूजा अर्चना के बाद परिवार अपने अगले पढ़ाव के लिए आगे रवाना हो गया. दरअसल, गुजरात से नर्मदा परिक्रमा करने के लिए नौ लोगों का जत्था एक महीने पहले पैदल यात्रा पर निकला था.

बच्ची को पूरा याद है रामायण और भगवत गीता के श्लोक

परिक्रमावासी अवनीश ने बताया की वह प्रतिदिन 20 से 25 किलोमीटर पैदल चलते हैं. उनके साथ उनके बच्चे भी कदम से कदम मिलाकर साथ चलते हैं. हालांकि, ढाई साल का बेटा श्लोक भी कुछ दूर पैदल चलता है. साथ ही पांच साल की बेटी सुरभी पैदल ही चलती है.

गुजरात के वडोदरा से नर्मदा परिक्रमा के लिए पहुंचा परिवार

सुरभी मां नर्मदा और ईश्वर के प्रति इतनी आस्थावन है कि छोटी सी उम्र में ही उसे रामायण और भगवत गीता के श्लोक कंठस्थ हैं. सुरभी कथावाचक बनकर श्रीराम और भागवत कथाएं सुनाने में रूची रखती है. इसके लिए सुरभि को देवेर आश्रम में ही कथावाचक अर्चना सरस्वती द्वारा तैयारी भी करवाई जा रही है.

मां नर्मदा की कृपा से मां और बेटे की बची थी जान

अवनीश ने बताया कि वह पेशे से ज्योतिषाचार्य हैं और पूजा, अनुष्ठान जैसे कार्यक्रम करवाते हैं. वह मूलरूप से रीवा के रहने वाले हैं. 13 साल की उम्र में रीवा छोड़कर वडोदरा के देवेर स्थित शिवभद्रा आश्रम में आकर सेवाएं देने लगे.

अवनीश बताते हैं कि बेटे श्लोक के जन्म के समय वह रायपुर (छत्तीसगढ़) में 40 दिन का अनुष्ठान कराने आए हुए थे. कार्यक्रम सम्पन्न कराकर जब वापस लौटे तो पत्नी का आखिरी माह चल रहा था, पत्नी के पेट में दर्द होने पर उन्होंने सोनोग्राफी कराई, तो पता चला पत्नी के पेट में जुड़वा बच्चे हैं. जिनमें से एक की पेट मे ही मृत्यु हो गई और शरीर में जहर फैल चुका था.

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डाॅक्टरों ने जवाब दे दिया था कि पत्नी और बच्चे में से किसी एक को ही बचाया जा सकता है. हमने मां नर्मदा से प्रार्थना की और मां नर्मदा की कृपा से आज पत्नी और बेटा दोनों स्वस्थ हैं. अवनीश का मानना है कि वर्तमान में पूरे विश्व में जो कोरोना महामारी फैली है. इसे मां नर्मदा ही है, जो दूर कर सकती हैं. इसीलिए हम दोबारा मां नर्मदा की परिक्रमा करने के लिए आए हैं.

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