नई दिल्ली : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (five state assembly election) के लिए 10 फरवरी से मतदान शुरू हो जाएंगे. परिवारवाद के खिलाफ बोलती रही भाजपा के सामने परिवारवाद और वंशवाद की चुनौती सिर उठाती दिख रही है. टिकट बंटवारे के दौरान भाजपा के सामने मुश्किलें आ खड़ी हुई हैं. ज्यादातर पार्टी के नेता अलग-अलग राज्यों से अपने बेटे-बेटी या रिश्तेदारों के लिए टिकट मांगने पर अड़े हैं. हाल ही में पार्टी के अंदर नेताओं की जितनी भी गलत बयानी हुई या फिर जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी उसके मूल में भी वजह उनके रिश्तेदारों को टिकट नहीं दिया जाना बताया जा रहा है. पार्टी आलाकमान इस परेशानी पर गहन मंथन कर रहा है, लेकिन परिवारवाद और वंशवाद मुश्किलों के पहाड़ की तरह पार्टी के सामने आ खड़ा हुआ है.
खबरों के मुताबिक भाजपा के कई बड़े नेता अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं. इससे पार्टी के आला नेताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कोई अपने बेटे-बेटी, कोई बहू तो कोई पत्नी के लिए टिकट मांग रहा है. यही नहीं हाल ही में भाजपा से अलग हुए यूपी के दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की नाराजगी भी उनके बेटे को टिकट नहीं मिलना बताया गया. परिवारवाद का यह मसला बीजेपी के लिए मुसीबत बनकर सामने आया है. ना सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि उत्तराखंड, गोवा और यहां तक कि पंजाब में भी कुछ बड़े नेता अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे हैं. इस वजह से कई सीटें रिश्तेदारों के मोह में फंसती दिख रही है. पार्टी के विश्वस्त सूत्र की मानें तो उत्तर प्रदेश की दूसरी लिस्ट जारी होने में भी परिवारवाद की वजह से देर हुई.
आइए विस्तार से जानते हैं, किन-किन सीटों पर भाजपा नेताओं ने कथित तौर से रिश्तेदारों के लिए टिकट मांगे हैं. विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पार्टी से इस्तीफा दे चुके स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा अपने बेटे के लिए यूपी की देवरिया विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं. बिहार के राज्यपाल फागू चौहान अपने बेटे रामविलास चौहान के लिए यूपी में ही मऊ की मधुबनी विधानसभा सीट से टिकट की मांग कर रहे हैं. इस सीट पर पहले पार्टी छोड़ कर जा चुके दारा सिंह चौहान पार्टी के विधायक रहे हैं. केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर अपने बेटे प्रभात किशोर के लिए सीतापुर सिधौली विधानसभा से पार्टी का टिकट मांग रहे हैं. कौशल किशोर अपने दूसरे बेटे को मोहनलालगंज से मैदान में उतारना चाहते हैं. इससे पहले के चुनाव में मोहनलालगंज में भाजपा ने किशोर की पत्नी को टिकट दिया था.
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केंद्र में मंत्री एसपी बघेल अपनी पत्नी के लिए टूंडला विधानसभा सीट से टिकट की मांग कर रहे हैं. सूर्य प्रताप शाही खुद की सीट छोड़कर अपने बेटे के लिए पत्थरदेवा विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं. पूर्व मंत्री रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे मयंक जोशी के लिए लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से टिकट मांग रही हैं. बहुगुणा ने तो यहां तक प्रस्ताव रख दिया है कि वह अपने बेटे के लिए पद से त्यागपत्र देने को तैयार हैं.
योगी सरकार में मंत्री और बहराइच के कैसरगंज सीट से विधायक मुकुट बिहारी वर्मा भी पुत्र गौरव वर्मा के लिए टिकट मांग कर रहे हैं. हालांकि, उनके पुत्र विधायक प्रतिनिधि के तौर पर कार्य कर रहे हैं. अब मुकुट बिहारी वर्मा अपनी जगह अपने बेटे के लिए पार्टी से टिकट मांग रहे हैं. इसी तरह कानपुर की गोविंद नगर सीट से टिकट के लिए बीजेपी के कानपुर से सांसद सत्यदेव पचौरी भाजपा पर दबाव बना रहे हैं. सांसद सत्यदेव अपने बेटे अनूप पचौरी के लिए टिकट मांग रहे हैं. हालांकि इस सीट पर सुरेंद्र मैथानी पहले से विधायक हैं और वह अपनी दावेदारी छोड़ना नहीं चाह रहे. मथानी से पहले पचौरी भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष और उन्नाव के भगवंत नगर सीट से विधायक हृदय नारायण दीक्षित भी अपनी बढ़ती उम्र की वजह से अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे को सौंपना चाहते हैं. उन्होंने उन्नाव की पुरवा सीट से अपने बेटे दिलीप दीक्षित के लिए पार्टी से टिकट की मांग की थी. इस सीट पर बीएसपी के बागी विधायक अनिल सिंह विधायक हैं. अनिल सिंह अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं, और भाजपा ने अनिल सिंह को पुरवा सीट से टिकट भी दिया है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले टिकट बंटवारे को लेकर लंबी चौड़ी मांगों की लिस्ट महज नजीर है, ऐसी खबरें हैं कि बाकी चुनावी राज्यों के नेता भी रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे हैं. ऐसे में सीट बंटवारे को लेकर भाजपा दबाव में दिख रही है.
तमाम खबरों और अटकलों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि यूपी में योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर चुनाव लड़ रही भाजपा, पहली बार भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश की कितनी सीटें जीत पाती है. चुनाव के एलान से पहले पीएम मोदी और योगी की मुलाकात भी सुर्खियों में रही थी, जिसकी फोटो खुद पीएम ने ट्वीट की थी. इस फोटो में पीएम मोदी योगी के कंधे पर हाथ रखे गहन चर्चा करते दिखे थे. इससे पहले योगी और केंद्रीय नेतृत्व के बीच तनातनी की अटकलें भी लगाई गई थी.