नवादाः बिहार के नवादा (Nawada News) में एक ही परिवार के 6 लोगों ने जहर खा (family members consumed poison in bihar) लिया. जिसके बाद पांच लोगों की मौत हो गई थी. एक बच्ची की हालत गंभीर थी. उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. शाम होते-होते उसकी भी मौत हो गयी. इस बीच, पुलिस ने दो सूदखोर को गिरफ्तार कर लिया है. बताया जा रहा है कि परिवार कर्ज में डूबा हुआ था, जिसके लिए इन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था. यह घटना शहर के आदर्शनगर मोहल्ले की है.
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एक ही परिवार के छह लोगों ने जहर खाया नवादा में कर्ज के दबाव में पूरे परिवार ने खाया जहर:स्थानीय लोगों के मुताबिक रजौली के रहने वाले केदारनाथ गुप्ता नवादा शहर के न्यू एरिया में किराए के मकान में रहते थे. मृतक घर के मुखिया केदार लाल गुप्ता शहर के विजय बाजार में फल का दुकान चलाते थे और उन पर काफी कर्ज था. इसी वजह से परिवार के सदस्यों ने सामूहिक रूप से जहर खा लिया. हालांकि, बताया यह भी जा रहा है कि परिवार के सभी सदस्यों ने किराए के मकान में जहर ना खाकर नवादा शहर से दूर आदर्श सिटी के पास मजार के पास जाकर जहर खाया.
गाली-गलौच और धमकी से परेशान था पूरा परिवार:स्थानीय लोगों के मुताबिक गुप्ता परिवार कर्ज से परेशान था. आए दिन कर्ज वसूली के लिए उनसे गाली-गलौच और धमकी दी जा रही थी. जिससे तंग आकर परिवार के सदस्यों ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने इन सभी को सदर अस्पताल में भर्ती कराया. जहर खाने वालों में केदार लाल गुप्ता, उनकी पत्नी अनिता देवी, 20 वर्षीय बेटी गुड़िया कुमारी, 18 वर्षीय साक्षी कुमारी, 17 वर्षीय बेटा प्रिंस कुमार, 19 वर्षीय शबनम कुमारी शामिल हैं. सभी ने अस्पताल में दम तोड़ दिया.
'मनीष भैया पापा से रोज पैसे मांगते थे' : केदार लाल की बेटी साक्षी जो जहर खाने के बाद बच गई थी और सदर अस्पताल में भर्ती थी. तंग करने वाले शख्स के रूप में किसी मनीष का नाम लिया. उसने बताया था कि मेरे पापा ने कुछ लोगों से पैसा कर्जा लिया था. तीन चार लोग रोज-रोज पैसा मांगते थे. इससे पापा परेशान थे. मनीष भैया पापा से रोज एक हजार रुपया लेते थे. हमलोग कम खाना खाते पीते थे. फिर भी उनको पैसा देते थे. पापा का एक महीने से दुकान बंद था. फिर भी पैसा मांग रहे थे. मनीष भैया बोले थे पैसा नहीं दोगे तो कल देखना क्या होगा. इसलिए हमलोगों ने जहर खा लिया.
"पापा पैसा कर्ज लिये थे. तीन-चार आदमी पापा को रोज तंग करते थे. पापा का दुकान तीन-चार महीने से बंद था. कल सब लोग आ गया था और पापा से बोला पैसा नहीं दोगे तो देखना कल क्या करेंगे. मनीष भैया पापा को तंग करते थे. इसलिए हमलोगों ने मिलकर जहर खा लिया."- साक्षी, मौत से पहले का बयान
"टाउन थाना क्षेत्र के एक परिवार के छह लोगों ने जहर खा लिया है. इसमें से 5 लोगों की मृत्यु हो गई. एक बच्ची गंभीर हालत में इलाजरत है. सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है. कर्ज में यह लोग डूबे हुए थे. इसको लेकर इन लोगों ने ऐसा कदम उठाया है. फिलहाल पुलिस आगे की अनुसंधान में जुट गई है."- डॉ. गौरव मंगला, नवादा एसपी
ऐसे में कर्जदार होते हैं परेशान:वसूली एजेंटों की बहाली से कर्जदारों की परेशानी बढ़ जाती है. दरअसल, वसूली एजेंट कर्जदार पर दबाब डालने के लिए रिश्तेदारों, दोस्तों, सहयोगियों यहां तक कि घरवालों को भी धमकाने और उनसे बदतमीजी से नहीं कतराते हैं. इससे कर्जदार की परेशानी बढ़ जाती है. कई बार तो कर्जदारों को पुलिसी और कानून की भी सहायता लेनी पड़ती है. उससे भी बात नहीं बनती तो मौत का रास्ता चुनना पड़ता है.
अभद्रता का अधिकार नहीं : बैंक और वित्तीय कंपनियां अपना लोन वसूलने के लिए वसूली एजेंट की सेवा लेती है, लेकिन नियमों के मुताबिक, एजेंट ग्राहकों से किसी भी प्रकार की अभद्रता या जोर जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं. कर्जदाता के घर जाने का भी एक निश्चित समय है. बदसलूकी पर ग्राहक बैंक में इसकी शिकायत कर सकता है, अगर वहां सुनवाई नहीं होती तो वो आगे शिकायत कर सकता है.
आपके पास ये है अधिकार : यह कहानी बैंकों के दोहरे मानदंड की याद दिलाती है कि वे अपने ग्राहकों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं. एक तरफ जहां अक्सर गरीबों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है, जिससे वे जेल जाने या आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं, वहीं अमीरों के साथ नरम व्यवहार किया जाता है और आसानी से उन्हें बैंक को चूना लगाने का मौका दिया जाता है. अब आइये जानते है कि आपके पास क्या अधिकार है.
- वसूली एजेंट का काम कर्जदार को बैंक के लोन की रकम का भुगतान करने के लिए तैयार करना होता है. वह आपको शारीरिक, मानसिक या किसी और तरह से परेशान नहीं कर सकता.
- एजेंट अगर अभ्रदता से बात करता है तो आप पुलिस में शिकायत कर सकते हैं.अगर बैंक आपके केस को वसूली एजेंट को सौंपना चाहता है तो उसे पहले यह जानकारी आपको देनी होगी.
- अगर आपने पहले से कोई शिकायत कर रखी है और बैंक ने उस पर कार्रवाई नहीं की है तो एजेंट को केस नहीं सौंपा जा सकता.
- वसूली एजेंट का पता और फोन नंबर ग्राहक को दिया जाना जरूरी है. एजेंट को भी उन्हीं नंबरों से ग्राहक को कॉल करना चाहिए, जो बैंक ने उपलब्ध कराए हैं.
- एजेंट को ग्राहक से सुबह 7 से शाम 7 बजे के बीच ही संपर्क करना चाहिए.
- ग्राहक को यह अधिकार है कि वह एजेंट को एक तय वक्त पर फोन करने और मीटिंग के लिए समय तय करने को कह सकता है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का निर्देश: पिछले दिनों रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चिंता जताते हुए सख्त रुख अपनाया था. उन्होंने कहा था कि बैंकों के एजेंटों का ग्राहक को परेशान करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि कर्ज वसूली के लिए एजेंटों द्वारा ग्राहक को वक्त-बेवक्त फोन करना, खराब भाषा में बात करना सहित अन्य कठोर तरीकों का इस्तेमाल कतई स्वीकार्य नहीं है. बैंकों के पास कर्ज वसूली का अधिकार है लेकिन इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए. खासकर एजेंट की ओर से आने वाले फोन कॉल्स को लेकर बैंकों को पर्याप्त गाइडलाइन का पालन करना चाहिए और उन्हें दिशा-निर्देश भी दिए जाने चाहिए.
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