चंडीगढ़: हरियाणा बरोदा विधानसभा की जनता ने उपचुनाव में अपना नेता चुन लिया है. कांग्रेस उम्मीदवार इंदुराज ने बीजेपी उम्मीदवार योगेश्वर दत्त को दस हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से मात दी है. साख की लड़ाई माने जा रहे बरोदा उपचुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी धाक जमाने में कामयाब रहे हैं.
हार के बाद योगेश्वर दत्त ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कुछ कमी रह गई है, जिस पर विचार किया जाएगा. जो भी कमी रह गई है, उसे ठीक कर लिया जाएगा. हमने काफी मेहनत की आगे भी करते रहेंगे. खेल मेरा जुनून है, और ये जुनून ही मेरी जिंदगी, खेल हमारे जीवन का अहम हिस्सा है
- कांग्रेस उम्मीदवार इंदुराज को मिले वोट- 60367
- बीजेपी उम्मीदवार योगेश्वर को मिले वोट- 49850
- जीत का अंतर- 10517
बात करें भारतीय जनता पार्टी की, तो इस बार उन्होंने अपनी सहयोगी जननायक जनता पार्टी के साथ मिलकर पहलवान योगेश्वर दत्त को साझा उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा था. मुख्यमंत्री से लेकर बीजेपी के दिग्गज नेता और मंत्री बरोदा विधानसभा में डेरा डाले हुए थे. बीजेपी की तरफ से जोर-शोर से चुनाव प्रचार भी किया गया. इसके बाद भी बीजेपी यहां जीत दर्ज नहीं कर सकी. यहां भाजपा को मिली हार के पांच मुख्य कारण हैं.
कृषि कानून
बीजेपी की हार का पहला और सबसे बड़ा कारण कृषि कानूनों को माना जा रहा है. प्रदेश के किसान इस बार कृषि कानून को लेकर बीजेपी सरकार के खिलाफ थे. भले ही बीजेपी के नेता एमएसपी पर धान खरीद का दावा कर रहे थे, लेकिन जमीनी हकीकत ये थी कि एमएसपी पर खरीद नहीं होने की वजह से किसानों को अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ी. कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को जमकर भुनाया और बीजेपी के खिलाफ किसानों के साथ मिलकर मोर्चा खोल दिया. नतीजा ये कहा कि बरोदा विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत का सपना अब सपना ही बनकर रह गया.
जातिगत समीकरण
बरोदा विधानसभा सीट ग्रामीण परिवेश वाला क्षेत्र है. बरोदा के जातिगत आंकड़ें भी बीजेपी के पक्ष में नहीं रहे. यहां के कुल मतदाताओं में से करीब 70 हजार मतदाता जाट समुदाय से हैं और जाट समुदाय हरियाणा में हमेशा से भूपेंद्र सिंह हुड्डा का साथ देता आया है. जातिगत समीकरण को देखते हुए कांग्रेस ने इस सीट से जाट चेहरे को मैदान में उतारा, वहीं बीजेपी का नॉन जाट चेहरे का मैजिक यहां काम ना आ सका. लगातार तीन चुनाव कांग्रेस यहां से जीतती आई है. इस बार भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इसे अपनी साख का सवाल बनाया और लोगों से भावनात्मक रूप से मतदान की अपील की.