हैदराबाद: आज टीवी पर चैनलों की भरमार है. कई चैनल पर आज सिर्फ धारावाहिक (serial) ही दिखाते हैं. जो कई लोगों को लुभाते हैं. भारत में पहली फिल्म 1913 में राजा हरीशचंद्र थी जबकि पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' साल 1931 में प्रदर्शित हुई. 1950 के दशक दक फिल्म निर्माण विधिवत रूप से होने लगा था लेकिन टीवी सीरीयल यानि धारावाहिक बनाने में एक लंबा वक्त लग गया.
7 जुलाई 1984 का धारावाहिक आज बना डेली सोप
यही वो दिन था जब उस वक्त के इकलौते चैनल दूरदर्शन पर 'हम लोग' नाम के पहले टीवी धारावाहिक का प्रसारण हुआ. 'हम लोग' की सफलता के बाद कई धारावाहिकों का निर्माण होने लगा. आज कई चैनलों पर 24 घंटे धारावाहिक यानि आज के डेली सोप प्रसारित होते हैं, लेकिन इन सभी सीरियल्स का श्रेय सिर्फ और सिर्फ हम लोग टीवी धारावाहिक को जाता है.
एक नए युग की शुरुआत थी 'हम लोग'
टीवी जगत में क्रांति के लिहाज से हम लोग एक नए युग की शुरुआत थी. कहते हैं कि फिल्में या सिनेमा समाज का आइना होती हैं. लेकिन हम लोग धारावाहिक भारतीय समाज का वो पहला आइना था, जिसमें भारत के मध्यम वर्गीय परिवारों ने अपनी झलक देखी. इस धारावाहिक में हर किरदार यादगार है और उसे निभाने वाला हर कलाकार उस वक्त का सितारा.
टीवी को भारत में आए भी ज्यादा वक्त नहीं हुआ था ऐसे में कई परिवारों की टीवी से पहचान इस धारावाहिक की बदौलत ही हो पाई. कई लोगों ने इस धारावाहिक को देखने के लिए टीवी खरीदे और फिर इस धारावाहिक की बड़की, छुटकी, दादी, नन्हें समेत तमाम किरदार घर-घर के सदस्य बन गए.
'हम लोग' के बाद कई टीवी धारावाहिक बने और फिर साल 2000 में निजी चैनलों के आने के बाद टीवी धारावाहिकों की मानो बाढ़ सी आ गई.
हम लोग से सास बहू तक पहुंचे धारावाहिक
हम लोग की कहानी उस वक्त के मध्यम वर्गीय परिवार की कहानी थी जो भारत के पूरे मध्यम वर्ग की नुमाइंदगी करता था. धारावाहिक की कहानी परिवार, मोहल्ले, दोस्त, रिश्तेदारों के बीच बुनी गई थी. जिंदगी के उतार चढ़ाव से लेकर खुशी के पल तक सभी उस धारावाहिक का हिस्सा थे. कुल मिलाकर हम लोग में एक आम आदमी, एक आम परिवार की कहानी थी जो धीरे-धीरे धारावाहिकों से गायब होती चली गई. 'हम लोग' धारावाहिक की कहानी मनोहर श्याम जोशी ने लिखी थी और फिल्मकार पी. कुमार वसुदेव के निर्देशन में ये बना था.