नई दिल्ली :तिहाड़ सहित दिल्ली की अन्य जेलों में अब अपराध की पाठशाला नहीं लगेगी. जेल प्रशासन ने इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. अब पहली बार अपराध कर जेल आने वाले विचाराधीन कैदियों को पेशेवर अपराधियों से अलग रखा (seperate criminal part in delhi jail) जाएगा. इसके लिए तिहाड़ और मंडोली में एक-एक जेल को आरक्षित रखा गया है. उस आरक्षित जेलों में कोई भी ऐसा कैदी नहीं रखा जाएगा, जो पहले भी अपराध कर चुका हो.
जानकारी के अनुसार, तिहाड़ जेल को अपराध की पाठशाला के तौर पर देखा जाता है. यहां पर जब कोई पहली बार अपराध करने वाले को लाया जाता है, तो कुख्यात बदमाश उसे पेशेवर अपराधी बनाने की कोशिश करते हैं. बदमाशों द्वारा उसे सिखाया जाता है कि किस तरह वह एक बड़ा अपराधी बन सकता है. कैसे वह वाहन चोरी, शराब तस्करी, हथियारों की तस्करी, लूट, डकैती आदि अपराधों को अंजाम दे सकता है. इसके अलावा कुछ गैंग ऐसे युवाओं को अपने साथ शामिल कर लेते हैं. उनकी मदद करने के नाम पर उन्हें अपने गैंग में शामिल करते हैं और बाहर निकलने पर उनसे अपराध करवाते हैं. ऐसे हजारों उदाहरण पुलिस के सामने आते रहे हैं.
ऐसे मामलों को रोकने के मकसद से तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल ने महत्वपूर्ण फैसला किया है. उन्होंने अब पहली बार अपराध कर जेल आने वाले कैदियों के लिए अलग जेल की व्यवस्था की (first timer undertrial prisoners kept separate in delhi jails) गई है. इसके लिए तिहाड़ जेल नंबर-4 और मंडोली की जेल नंबर-12 को आरक्षित कर दिया गया है. इन दोनों जेल में केवल ऐसे कैदियों को रखा जाएगा जो पहली बार अपराध करके पहुंचे हैं. इस बात को भी सुनिश्चित किया जाएगा कि यहां जाने के लिए कोई कैदी झूठ न बोले. इसलिए जेल आने पर कैदी का फिंगरप्रिंट लिया जाएगा. इससे पता चलेगा कि वह पहले भी जेल आया है या नहीं. इसके बाद ही उसे इन दोनों जेलों में भेजा जाएगा.