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दुनिया में पहली बार किया गया आई ट्रांसप्लांट, 140 डॉक्टरों की टीम ने दिया अंजाम - दुनिया में पहली बार किया गया आई ट्रांसप्लांटेशन

Eye transplantation in USA : अमेरिका में 140 डॉक्टरों की एक टीम ने एक करिश्मा कर दिखाया है. उन्होंने एक व्यक्ति की आंख को पूरी तरह से ट्रांसप्लांट कर दिया है. इससे पहले कभी भी इस तरह का ऑपरेशन नहीं किया गया है. आम तौर पर अगर किसी भी व्यक्ति की दृष्टि प्रभावित होती है, तो उसे कोरनियल ट्रांसप्लांटेशन की सलाह दी जाती है, लेकिन पूरी तरह से आंख को ही बदल दिया जाए, अब तक ऐसा कभी नहीं सुना गया है.

eye transplant
आई ट्रांसप्लांट

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 10, 2023, 2:05 PM IST

न्यूयॉर्क : अमेरिका के न्यूयॉर्क में इस साल मई महीने में 140 स्वास्थ्य केयर वर्कर्स ने एक ऐसे ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया, जिसने सर्जरी की दुनिया में नया मुकाम हासिल किया. उन्होंने 46 साल के एक व्यक्ति की बायीं आंख को पूरी तरह से रिप्लेस कर दिया. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, जब किसी भी व्यक्ति की आंख का ट्रांसप्लांटेशन किया गया हो.

एरॉन जेम्म नाम के इस व्यक्ति का चेहरा बुरी तरह से झुलस चुका था. उसे बिजली का तेज झटका लगा था. उसकी एक आंख पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी. उसका आधा चेहरा जल चुका था और राइट आर्म भी काम करना बंद चुका था. जेम्स ने उम्मीद छोड़ दी थी. फिर भी उसने डॉक्टरों से मिलना जारी रखा और उम्मीद पाल रखी थी कि शायद कोई चमत्कार हो जाए.

परिवार के सदस्यों के साथ जेम्स (सोशल मीडिया से ली गई तस्वीर)

आम तौर पर जब भी किसी भी व्यक्ति का विजन प्रभावित होता है, तो उसे कोरनियल ट्रांसप्लांटेशन के जरिए गुजरना पड़ता है. पूरी दुनिया में 50 से अधिक फेस ट्रांसप्लांटेशन भी किया गया है, लेकिन इस ऑपरेशन से पहले कभी भी किसी व्यक्ति की आंख को पूरी तरह से ट्रांसप्लांट नहीं किया गया है. इसलिए मेडिकल इतिहास में यह घटना बहुत बड़ी है.

हालांकि, वैसे भी जब आप ट्रांसप्लांटेशन करवाते हैं, तो नया ऑर्गन आपकी बॉडी में फिट होगा या नहीं, सेट करेगा या नहीं, कहना मुश्किल होता है. और बात जब आंखों की होती है, तो इसमें और अधिक कॉंप्लेक्स फेज छिपे होते हैं. दरअसल, शरीर का यह अंग आपके दिमाग को संदेश भेजता है, इसलिए अगर थोड़ी बहुत भी चूक हुई, तो यहां पर खतरे का लेवल और अधिक बढ़ जाता है.

संभवतः जेम्स भाग्यशाली था, कि उसे न सिर्फ आई डोनर मिला, बल्कि उसने फेस डोनर की भी मदद ली. ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों को भी उम्मीद नहीं की थी कि इस ऑपरेशन का अंजाम किया होगा.

डॉक्टर के साथ मरीज (सोशल मीडिया से ली गई तस्वीर)

टीम का नेतृत्व करने वाले डॉ एडुआर्डो रॉड्रिग्ज का कहना है कि उन्होंने एक दर्जन से अधिक बार इसका रिहर्सल किया. उन्होंने कहा कि डोनर के बोन मैरो के जरिए स्टेम सेल को विकसित किया, फिर उसे डोनेटेड आई के ऑप्टिक नर्व पर इंजेक्ट किया. डैमेज सेल को रिपेयर करने के लिए स्टेम सेल की मदद ली जाती है. स्टेम सेल की मदद से ऑप्टिक नर्व को इन्फ्यूज करना चैलेंजिंग होता है.

अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है कि जेम्स देख पाएगा या नहीं, लेकिन डॉक्टर को उम्मीद है कि वह देख पाएंगे. उन्होंने कहा कि अगले छह महीने में नतीजे आ सकते हैं. इस वक्त उनका रेटिना काम करने लगा है, उसमें रक्त प्रवाह होने लगा. आंख का यह हिस्सा प्रकाश को सेंस करता है और यही दिमाग को इमेज के बारे में सूचित भी करता है. अभी डॉक्टरों ने उन्हें बांयी आंख खोलने की सलाह नहीं दी है. उसका चेहरा पहले से ठीक लग रहा है. वह इस समय दायीं आंख से देख सकते हैं.

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