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हैदराबाद : उस्मानिया अस्पताल के त्वचा बैंक में पहली बार संग्रहित की गई त्वचा

उस्मानिया अस्पताल के डॉक्टरों ने ब्रेन डेड महिला डोनर की त्वचा का संग्रह सफलतापूर्वक किया गया. हाल ही में एक दुर्घटना में घायल हुई 53 वर्षीय महिला का जुबली हिल्स अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा है और वह ब्रेन डेड हैं. संग्रहित की गई त्वचा को त्वचा बैंक में पांच साल तक संग्रहित किया जा सकता है.

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Published : Oct 29, 2021, 4:05 PM IST

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हैदराबाद :उस्मानिया अस्पताल के डॉक्टरों ने ब्रेन डेड महिला डोनर की त्वचा का संग्रह सफलतापूर्वक किया गया. एकत्रित त्वचा को अस्पताल में स्थापित त्वचा बैंक में संग्रहित किया गया है. हाल ही में एक दुर्घटना में घायल हुई 53 वर्षीय महिला का जुबली हिल्स अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा है और वह ब्रेन डेड हैं. इसके बाद महिल को परिजन उसके अंगदान के लिए आगे आए और लीवर व किडनी सहित त्वचा दान के लिए अपनी स्वीकृति दी.

इस बारे में उस्मानिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नागेंद्र ने बताया कि उस्मानिया अस्पताल के त्वचा विशेषज्ञों ने अपोलो अस्पताल में महिला की त्वचा एकत्र की और उसे त्वचा केंद्र ले जाया गया. उन्होंने बताया कि उन्होंने बताया कि एक ब्रेन-डेड महिला से 16 स्किन ग्राफ्ट एकत्र किए गए थे.

उस्मानिया अस्पताल ने हाल ही में लगभग 70 लाख रुपये की लागत से हेटेरो ड्रग्स और रोटरी क्लब की मदद से एक स्किन बैंक की स्थापना की गई है. वहीं जीवनानंदन ट्रस्ट के तत्वावधान में ब्रेन डेड से त्वचा एकत्र किए जाने के साथ ही इसे यहां संग्रहित किया जाता है और जिन्हें इसकी आवश्यकता होती है, उनका उपयोग किया जाता है.

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उस्मानिया में पहली बार ऐसा बैंक उपलब्ध होना सौभाग्य की बात है. वहीं डॉ. नागेंद्र ने त्वचा संग्रहित करने वाले डॉक्टरों और तकनीशियनों को बधाई दी. वहीं इस बारे में प्लास्टिक सर्जन डॉ. नागप्रसाद ने कहा कि एक बार एकत्र की गई त्वचा को उस्मानिया केंद्र में पांच साल तक संग्रहित किया जा सकता है. इस दौरान स्किन बैंक कोऑर्डिनेटर डॉ. मधुसूदन नायक व डॉ. निशांत भी मौजूद थे.

त्वचा बैंक का उपयोग

  • जलन, हाथ, पैर और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें, कुष्ठ रोग से कुटिल हाथ, अंगों का सुधार, कटे हुए हाथों, उंगलियों का विच्छेदन सहित अन्य उपचारों में त्वचा की आवश्यकता होती है.
  • अब तक रोगी के पैरों, बाहों, जांघों, खोपड़ी और शरीर के अन्य हिस्सों से त्वचा को एकत्र किया गया है और ग्राफ्टिंग द्वारा घायल के प्रभावित हिस्से पर लगाया जाता है. इससे रोगी के शरीर से 15-20 प्रतिशत तक त्वचा की भरपाई हो जाती है.
  • हादसों में घायल होने वाले मरीजों में से अधिकतर उस्मानिया अस्पताल आते हैं लेकिन त्वचा के नहीं मिलने से हर साल लगभग 120 लोगों की मौत हो जाती है.
  • त्वचा में एपिडर्मिस, डर्मिस, डीप डर्मिस और चमड़े के नीचे के ऊतकों की परतें होती हैं. इनमें आग में घायल हुए कई लोगों में अधिकांश निचली परतें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. शरीर में सारा प्रोटीन पानी के रूप में उत्सर्जित होता है. फलस्वरूप ज्यादातर लोग संक्रमण होने की वजह से काल के गाल में समा जाते हैं. साथ ही पूरे शरीर में गंभीर चोट होने से चिकित्सकों का इलाज करना मुश्किल हो सकता है.ऐसे लोगों के लिए संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए अस्थायी त्वचा ग्राफ्टिंग की जाती है.

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