सज-संवरकर बंदूक उठाती थी पुतलीबाई, जानें चंबल को थर्राने वाली खूबसूरत डाकू की कहानी - डाकू पुतलीबाई चांदी के प्याले में पीती थी शराब
Chambal First Bandit Queen Putlibai Story: चंबल के बीहड़ से निकली पहली महिला डकैत पुतलीबाई संजे संवरे होकर ही बंदूक उठाती थी, इसके अलावा शराब भी चांदी के प्याले में पीती थी. आइए जानते हैं गरीब परिवार में जन्मी गौहर बानो का डाकू पुतलीबाई बनने तक का सफर-
चंबल की पहली महिला डाकू पुतलीबाई
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Published : Jun 23, 2023, 11:06 AM IST
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Updated : Jun 23, 2023, 12:14 PM IST
सागर।आज भले ही डकैतों का खात्मा हो गया हो या नाम के लिए रह गए हो, लेकिन एक दौर था जब चंबल और उसके आसपास के इलाकों में डकैतों का बोलबाला था, उनके नाम की दहशत थी. चंबल के बीहड़ों में राहत है, बड़ी-बड़ी डकैती को अंजाम देने वाले हैं पुलिस डकैतों के बारे में तो काफी खुद से जानते हैं लेकिन महज 32 साल की उम्र में पुलिस मुठभेड़ में मारी गयी डकैत पुतलीबाई को पहली महिला डकैत होने का तमगा हासिल है. नाच, गाकर अपने परिवार का भरणपोषण करने वाली गौहर बानो का डाकू पुतलीबाई बनने तक का सफर बड़ा दिलचस्प है.
सागर का जेएनपीए संग्रहालय जहां रखे हैं पुलतलीबाई के गहने
सजने संवरने का शौक रखने वाली पुतलीबाई डकैतों की सरदार बनी:सोने का जेवर पहनने का शौक रखने वाली खूबसूरत पुतलीबाई कैसे चांदी के प्याले में शराब पीने की शौकीन हो गई? सब जानेंगे और ये भी बताते चलें कि आज भी पुतलीबाई के सोने के जेवर बालों की क्लिप और ज्योति के अलावा चांदी का प्याला और शराब की बोतल जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी के संग्रहालय में सुरक्षित रखी है.
जेएनपीए के संग्रहालय में पुतलीबाई के गहने और सामान
जेएनपीए के संग्रहालय में पुतलीबाई के गहने और सामान:सागर के परकोटा में स्थित जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी के संग्रहालय में डाकू पुतलीबाई के सोने के जेवर, बालों की लंबी चोटी और क्लिप के अलावा कलाई की घड़ी, राइफल का कब और शराब की बोतल के अलावा चांदी का प्याला रखा हुआ है. इसमें पुतलीबाई शराब पीती थी, संग्रहालय में सोने के जेवर में ताबीज, दो सोने के चूड़े, सोने की मोहर है और माथे के बोर के टुकड़े आदि. इन सब चीजों से पता चलता है कि पुतलीबाई को जितना सजने सवरने का शौक था, इसी के साथ वह शराब की कितनी दिवानी थी.
गरीब परिवार में जन्मी गोहर बानो कैसे बनी डाकू पुतलीबाई:मुरैना जिले की अंबाह तहसील के बरबई गांव में 1926 में नन्हें और असगरी के घर गोहर बानो का जन्म हुआ था, परिवार की गरीबी के चलते गोहर बानो को पैरों में घुंघरू बांधकर भाई अलादीन के साथ नाच गाकर परिवार चलाना पड़ा. नाच-गाकर लोगों का मनोरंजन करते हुए गोहर बानो पुतलीबाई के नाम से मशहूर होने लगी, अपने पेशे के कारण पुतलीबाई काफी संज संवर कर रहती थी. जेवर पहनने के साथ बालों को बनाने का शौक था, ऐसे ही एक नाच गाने के दौरान डाकू सुल्ताना वहां पहुंचा और पुतलीबाई पर उसका दिल आ गया.
First Bandit Beauty Putalibai Storyडाकू सुल्ताना ने पुतलीबाई से अपने साथ चलने कहा, लेकिन पुतलीबाई ने मना कर दिया, तो डाकू सुल्ताना ने उसके भाई अलादीन के सीने पर बंदूक तान दी. भाई को बचाने पुतलीबाई डाकू सुल्ताना के साथ चली गई और एक दिन मौका पाकर वापस आ गई. घर वापस आने पर पुलिस ने पुतलीबाई को गिरफ्तार कर डाकू सुल्ताना का पता बताने के लिए प्रताड़ित किया, तो पुतलीबाई जेल से छूटकर डाकू सुल्ताना के पास ही चली गई.
पुतलीबाई में अपना लिया बीहड़ और डाकू सुल्ताना:डाकू सुल्ताना पहले ही पुतलीबाई को दिल दे बैठा था और बाद में पुतलीबाई ने भी बीहड़ और डाकू सुल्ताना को अपना लिया. पुतलीबाई बीहड़ में अपनी बाकी जिंदगी डाकू सुल्ताना के साथ बिताने का फैसला कर चुकी थी, दूसरी तरफ डाकू सुल्ताना अपना गिरोह मजबूत करता जा रहा था. सुल्ताना डकैती डालकर खूबसूरत गहने पुतलीबाई के लिए लाता था, पुतलीबाई गहने पहनकर और बालों को लंबी चोटी कर संज संवरकर डाकू सुल्ताना के लिए खुश रखती थी. इस दौरान पुतलीबाई ने डाकू सुल्ताना से हथियार चलाना भी सीख लिया.
बेटी का जन्म और सुल्ताना की मौत:डाकू सुल्ताना ने डकैत कल्ला को अपने गिरोह में शामिल कर लिया था, इसी बीच पुतलीबाई ने एक बेटी को जन्म दिया. मई 1955 डाकू सुल्ताना का गिरोह डकैती के लिए निकला था, इस घटना में डाकू सुल्ताना की पुलिस से मुठभेड़ हो गई और उसी दौरान डाकू सुल्ताना की मौत हो गई. इस की खबर सुनकर पुतलीबाई को भरोसा नहीं हुआ, उसे डकैत कल्ला पर सुल्ताना को मारने का शक हो गया. तभी पुतलीबाई अपनी बेटी से मिलने के लिए धौलपुर के रजई गांव पहुंची, जहां पुलिस ने पुतलीबई को घेर लिया और पुतलीबाई ने सरेंडर कर दिया. जेल से छूटने पर सुल्ताना की मौत का बदला लेने पुतलीबाई फिर बीहड़ में कूद गई और डाकू कल्ला को मारकर सुल्ताना की जगह सरदार बन गई.
सरदार बनते ही मशहूर हो गई पुतलीबाई:डाकू सुल्ताना की गैंग का सरदार बनने के बाद पुतलीबाई बहुत मशहूर हो गई थी. पुतलीबाई जहां सुल्ताना के गम में शराब की शौकीन हो गई थी और चांदी के प्याले में एक खास ब्रांड की शराब पिया करती थी. वहीं सज संवरकर सोने के जेवर पहनकर डकैती डालने के लिए पुतलीबाई की अलग पहचान बन रही थी, साथ ही साथ वह हत्या और बेरहमी के लिए मशहूर हो रही थी. वह जहां भी डकैती डालती थी, अगर कोई मिल जाता तो गोली मार देती थी. गहनों का शौक होने के कारण महिलाओं के जेवर उतरवाने भी काफी बेरहमी करती थी.
धोखे से पुलिस के हत्थे चढ़ गई पुतलीबाई:डाकू पुतलीबाई का गिरोह चारों तरफ आतंक मचा रहा था, पुलिस के लिए भी पुतलीबाई सर दर्द बन गई थी. दूसरी तरफ दूसरे डकैत गिरोह से भी आतंक फैला रहे थे. जनवरी 1958 में पुलिस ने मुरैना में डकैत लाखन के गिरोह के लिए जाल बिछाया था, लेकिन बदकिस्मती से डाकू पुतलीबाई वहां पहुंच गई और पुलिस की मुठभेड़ पुतलीबाई से हो गई. इस मुठभेड़ में गोली लगने से पुतलीबाई की मौत हो गई.