शिमला : अंग्रेजी शासन काल में समर कैपिटल कही जाने वाली हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला ऐतिहासिक धरोहरों की दृष्टि से काफी महत्व रखती है. शिमला में कई ऐसी ऐतेहासिक इमारतें हैं जो अपने आप में कई भारतीय इतिहास से जुड़ी कहानियों को संजोए हुए हैं.
रोजाना हजारों सैलानी और स्थानीय लोग शिमला माल रोड पर स्थित बीएसएनएल कार्यालय के बाहर से गुजरते हैं, लेकिन इसके इतिहास से शायद कम ही लोग वाकिफ होंगे. सीटीओ नाम से प्रसिद्ध इस बुहमंजिला इमारत से 19वीं सदी के बदलते भारत की दूर संचार की क्रांति का एक किस्सा जुड़ा हुआ है.
भारत का पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीफोन एक्सचेंज
सीटीओ का मतलब है सैंट्रल ट्रंक ऑफिस. भारत ने जब आधुनिक उपकरणों की ओर इस देश ने अपना पहला कदम बढ़ाया, तो शिमला की इस इमारत में भारत का पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीफोन एक्सचेंज कार्यालय स्थापित किया गया था. जिसके बाद भारत को पहली बार फोन लाईन के जरिए इंग्लैंड से जोड़ा गया और इस टेलीफोन एक्सचेंज से फोन पर बात करने वाले तत्कालीन वायसरॉय पहले व्यक्ति बने.
सीटीओ से पहले ठीक इसी जगह पर 1870 में 'कोनी कोट' नाम की इमारत थी, जिसमें स्टेशन लाइब्रेरी को चलाई जाती थी. जिसे करीब बाद में 1920 के आसपास तोड़ कर सीटीओ की इमारत बनाई गई और 1922 में भारत की सबसे पहली इलेक्ट्रॉनिक टेलीफोन एक्सचेंज को शुरू किया गया.
ग्रे ऐशेलर पत्थर का इस्तेमाल
उस समय इस बिल्डिंग को पीएंडटी यानी 'पोस्ट एंड टेलीग्राफ' से भी जाना जाता था. स्कोटिश आर्किटेक्चर में बनी इस इमारत के कुछ हिेस्से में ग्रे ऐशेलर पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. जो इसे शहर की बाकी इमारतों से अलग करता है.