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तमिलनाडु के बुल टैमर अरविंद राज की पहली बरसी, बीते साल जल्लीकट्टू में 9 सांडों को किया था काबू - बुल टैमर अरविंद राज

Tamil Nadu Palamedu Jallikattu, Bull Tamer Arvind Raj, नाडुकल (हीरो स्टोन्स) लगाने की परंपरा तमिलनाडु में संगम काल से चली आ रही है, जैसा कि हाल की खुदाई से पुष्टि हुई है. इसका प्रमाण पुराणानुरू जैसे संगत तमिल साहित्य में भी मिलता है. तमिलनाडु में वही पुराने इतिहास को फिर से शुरू करने की नई मांग उठ रही है.

death in jallikattu
जल्लीकट्टू में मौत

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 17, 2024, 9:33 PM IST

Updated : Jan 18, 2024, 10:54 AM IST

मदुरै: साल 2023 में पलामेडु जल्लीकट्टू प्रतियोगिता के दौरान मारे गए बुल टैमर अरविंद राज की तस्वीर को मंगलवार 16 जनवरी को पलामेडु जल्लीकट्टू मैदान के पास रखा गया और माला पहनाई गई. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल 9 सांडों को काबू करने वाले अरविंदराज की मौके पर ही मौत हो गई, जब एक सांड ने उन्हें सींग मारकर दूर फेंक दिया था. मंगलवार को उनकी मौत की पहली बरसी पर, उनके माता-पिता ने स्मृति दिवस मनाया.

ईटीवी भारत को दिए एक इंटरव्यू में अरविंदराज के पिता राजेंद्रन ने कहा कि 'मेरा बेटा लगातार तीन वर्षों से पारंपरिक तमिल खेल जल्लीकट्टू में सक्रिय रूप से शामिल रहा था. पिछले वर्ष से ही वह पुरस्कार जीतने के लिए दृढ़संकल्पित था. उसे स्वाभाविक रूप से तमिलों की सांस्कृतिक विरासत में बहुत रुचि थी. मेरा अनुरोध है कि नादुकल (हीरो स्टोन) खड़ा किया जाए और उनके लिए एक स्मारक बनाया जाए.'

उन्होंने आगे कहा कि 'इस संबंध में, मैंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री, जिला कलेक्टर, नगरपालिका अधिकारी और ग्राम समिति को एक याचिका सौंपी है. लेकिन अभी तक कोई सूचना या कार्रवाई नहीं हुई है.' राजेंद्रन ने कहा कि 'आने वाली पीढ़ियों को यह बात सिखानी चाहिए कि ऐसे हीरो ने पलामेडु जल्लीकट्टू में भूमिका निभाई थी. मेरी इच्छा है कि अरविंदराज को वह नाम और प्रसिद्धि मिले.'

आगे उन्होंने कहा कि 'मेरी भगवान से अपील है कि मेरे बेटे का जो हाल हुआ, वह दूसरे जल्लीकट्टू खिलाड़ियों के साथ कभी न हो. मैं जिस दर्द और पीड़ा से गुजर रहा हूं, किसी अन्य माता-पिता को नहीं झेलना चाहिए. हालांकि, तमिलों की परंपरा जल्लीकट्टू का आयोजन होना चाहिए. मुझे गर्व है कि मेरा बेटा एक हीरो के रूप में मरा है.'

संगम साहित्य में जलिकट्टू: जलिकट्टू प्रतियोगिताओं को अभी भी तमिल परंपरा के ऐतिहासिक प्रतिक के रूप में खेला जाता है. आज जिसे जलिकट्टू के रूप में जाना जाता है, को तमिल साहित्य में उसे बुल टैमिंग कहा गया है. तमिल संगम साहित्य, कलिताकम में एक गीत है. कोलेटट्रू कोडु अंजुवनई मारुमैयुम... पुलले आया मैगल, जिसका अर्थ है कि वह आदमी जो सांड से लड़ने में डर रहा है वह अगले जन्म में भी एक तमिल लड़की से शादी नहीं कर पायेगा.

खुदाई क्या कहती है? तमिलनाडु सरकार के पुरातत्व विभाग की ओर से प्रकाशित नादुगल तिरक्कपम पुस्तक में, द हिस्ट्री ऑफ द वीर (वीर स्टोन्स) का उल्लेख किया गया है. डॉ. सुब्रमण्यन ने धर्मपुरी जिले के पुरातात्विक अधिकारी के रूप में कार्य किया है. उन्होंने अपनी किताब में नायक पत्थरों के प्रकार और उसके महत्व के बारे में बताया है.

तमिल संस्कृति में कई कारणों से पत्थर लगाये जाते हैं. जैसे कि 'थोरु कवारधाल' (मवेशियों को पकड़ने), 'थोरू मेट्टल' (चोरी के मवेशियों की वसूली), 'पुलिकुथप्पट्टन काल' (नायक जो मवेशियों के लिए एक बाघ के साथ लड़ाई में मर गए), 'पानरी कुथप्पत्तन काल' (नायक जो मवेशियों के लिए मर गया था) जो एक जंगली सूअर के साथ लड़ाई में मर गया) इस दौरान मारे गये नायकों की पत्थरों की प्रतिमा बना कर पूजा की जाती है.

चेन्नई के आसपास की राजधानियों, तमिलनाडु के इतने -सेले -भरे पल्लवादम, दक्षिण तमिलनाडु के पांडियन राष्ट्र के कई शोधों में सामने आए हैं. डीएमके ने अपने चुनाव घोषणापत्र में कहा कि खिलाड़ियों को तमिलनाडु सरकार की ओर से दिये जाने वाले रोजगार में प्राथमिकता दी जाएगी.

Last Updated : Jan 18, 2024, 10:54 AM IST

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