गुवाहाटी : दलित नेता जिग्नेश मेवाणी शनिवार को असम के कोकराझार की अदालत में जमानत संबंधी लंबित औपचारिकताएं पूरी करने के बाद गुजरात लौटे और उन्होंने दावा किया कि पूज्य वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव की भूमि पूर्वोत्तर राज्य में उनके खिलाफ 'फर्जी मामले' दर्ज किए गए. मेवाणी ने कोकराझार में पत्रकारों से यह भी कहा कि भाजपा नेतृत्व ने उन्हें प्रताड़ित करने के लिए 'साजिश रची थी.'
दलित नेता ने आरोप लगाया, 'असम पुलिस ने अचानक मुझे गिरफ्तार क्यों किया, मामले दर्ज क्यों किए, रिमांड के लिए क्यों कहा और जमानत याचिका का विरोध क्यों किया? क्योंकि उन्हें अपने राजनीतिक आकाओं से निर्देश मिले थे. उन्होंने बाद में गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि उनकी गिरफ्तारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा, आरएसएस और असम सरकार द्वारा राज्य के लोगों को एक संदेश से कम नहीं है, जिसके तहत उन्हें असंतोष के लिए कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.
मेवाणी ने कहा, 'प्राथमिकी कानून के शासन की घोर अवहेलना करते हुए दर्ज की गई थी. यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान का अपमान है. अगर किसी अन्य राज्य के विधायक को असम पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है, तो पूर्वोत्तर राज्य में किसी भी असंतुष्ट को भी आसानी से कुचला जा सकता है.' जिग्नेश मेवाणी को असम पुलिस ने 19 अप्रैल को गुजरात से पकड़ा था और पूर्वोत्तर राज्य लाई थी. असम पुलिस ने मेवाणी के खिलाफ यह कार्रवाई उनके द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लेकर एक कथित ट्वीट किए जाने के बाद की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी 'गोडसे को भगवान मानते हैं.'
मेवाणी को कोकराझार की एक अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक कथित ट्वीट से संबंधित एक मामले में सोमवार को जमानत दे दी थी. हालांकि इसके तुरंत बाद उन्हें एक महिला पुलिस अधिकारी के इस आरोप के आधार पर फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था कि उन्होंने तब उस पर हमला किया और छेड़छाड़ की जब पुलिस का एक दल उन्हें ले जा रहा था. इसके बाद बारपेटा जिला न्यायाधीश ने शुक्रवार को मेवानी को जमानत दे दी थी और कथित हमले के मामले में 'झूठी प्राथमिकी' दर्ज करने के लिए असम पुलिस की खिंचाई की थी. इसके बाद मेवाणी जमानत की औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए शनिवार सुबह कोकराझार आए थे.