नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने सितंबर से आगे मुफ्त भोजन राशन योजना का विस्तार करने या सरकार की वित्तीय स्थिति के परिणामों की चेतावनी देते हुए कोई टैक्स में बड़ी कटौती करने के खिलाफ अपना तर्क दिया है. बता दें कि केंद्र सरकार ने मार्च 2022 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को छह महीने के लिए बढ़ाकर सितंबर तक कर दिया था.
सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 में खाद्य सब्सिडी के लिए 2.07 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है, जो वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संशोधित 2.86 लाख करोड़ रुपये से कम है. सितंबर 22 तक पीएमजीकेएवाई के विस्तार से सब्सिडी बिल बढ़कर लगभग ₹ 2.87 लाख करोड़ होने की उम्मीद है. इस योजना को और छह महीने तक बढ़ाने से वित्त वर्ष 2022-23 में 80,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च हो सकते हैं, जिससे खाद्य सब्सिडी बढ़कर लगभग 3.7 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी.
विभाग ने जानकारों के अनुसार सरकार द्वारा भविष्य में किसी तरह की कर में कटौती या खाद्य सब्सिडी विस्तार करने से वित्तीय गणित गड़बड़ा सकते हैं. खासकर पीएमजीकेएवाई को उसके मौजूदा विस्तार के बाद खाद्य सुरक्षा और वित्तीय आधार पर जारी रखना अनुचित होगा. अधिकारी ने कहा कि मुफ्त राशन विस्तार, उर्वरक सब्सिडी में वृद्धि, रसोई गैस पर सब्सिडी को फिर से शुरू करने, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी और खाद्य तेलों और विभिन्न इनपुट पर सीमा शुल्क में कटौती जैसे हाल के फैसलों ने एक गंभीर वित्तीय स्थिति उत्पन्न कर दी है. मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए पिछले महीने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने की उम्मीद है.
सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 6.4% के राजकोषीय घाटे का बजट रखा है. फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि उच्च सब्सिडी और शुल्क में कटौती के कारण राजस्व की हानि के कारण राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.8% होगा. बीते मंगलवार को जारी मई माह के मासिक आर्थिक समीक्षा में, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने कहा कि राजस्व व्यय थामना विकासोन्मुख पूंजीगत व्यय की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है, साथ ही लेकिन राजकोषीय घाटा को बढ़ने से रोकना होगा क्योंकि उच्च राजकोषीय घाटा चालू खाते के घाटे को बढ़ा सकता है.