नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट को मध्यम वर्ग, रोजगार सृजन, लघु उद्यमों, कृषि क्षेत्र, ग्रामीण आबादी, स्वास्थ्य एवं हरित विकास पर केंद्रित करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि महामारी एवं रूस-यूक्रेन संघर्ष से उबरते हुए भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और आगे भी रहेगा. लोकसभा में वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी में कटौती करने के विपक्षी दलों के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया.
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इसमें पूंजी डालने का रास्ता चुना क्योंकि इसका बहुआयामी असर है. सीतारमण ने कहा कि नयी कर प्रणाली बेहद आकर्षक है जिसमें इस बार के बजट में सात लाख रुपये तक की आय पर कर छूट देने का प्रस्ताव किया गया। उन्होंने कहा कि इससे लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए अधिक धन रहेगा. उन्होंने कहा कि नयी कर प्रणाली से अधिकतर मध्यम वर्गीय करदाताओं को लाभ होगा और छूट की सीमा बिना शर्त वाली होने के कारण उनके हाथों में खर्च के लिए अधिक पैसा रहेगा.
उन्होंने कहा कि इस बजट में विकास अनिवार्यताओं को राजकोषीय आयामों के दायरे में संतुलित करने का पूरा प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि आम बजट मध्यम वर्ग, रोजगार सृजन, लघु उद्यमों, कृषि क्षेत्र, ग्रामीण आबादी, स्वास्थ्य एवं हरित विकास पर केंद्रित है. सीतारमण ने खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी में कटौती करने के विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि खाद आयात पर अतिरिक्त खर्च पहले भी किसान पर नहीं डाला गया और इस साल भी किसानों पर नहीं डाला जा रहा.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक उर्वरक सब्सिडी 65 हजार करोड़ से 80 हजार करोड़ रूपये के दायरे में रही और वर्ष 2023-24 के बजट प्रस्ताव में इसे बढ़ाकर 2.25 लाख करोड़ रूपये करने का प्रस्ताव है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिये किया गया क्योंकि उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ी हैं लेकिन हमने किसानों पर उसका भार नहीं पड़ने दिया. वित्त मंत्री ने कहा कि इसी प्रकार से खाद्य सब्सिडी में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 से 2019-20 के दौरान खाद्य सब्सिडी 1 लाख करोड़ रूपये से 1.2 लाख करोड़ रूपये थी लेकिन वर्ष 2023-24 के बजट में यह 1.97 लाख रूपये प्रस्तावित है.
उन्होंने कहा कि खाद्य सब्सिडी के लिए प्रावधान सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कवर करने के लिए पर्याप्त है. सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर नवंबर 2021 और जून 2022 में दो बार उत्पाद शुल्क कम करके लोगों को राहत दी जबकि अंतरराष्ट्रीय दर कम नहीं हो रहीं थीं. उन्होंने कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश सहित कुछ राज्यों के नाम भी गिनाये जिन्होंने पेट्रोल-डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) बढ़ाया.