नई दिल्ली :जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के लाभकारी प्रावधान का दुरुपयोग जीएसटी कानून के तहत चोरी का सबसे ज्यादा आम तरीका बन गया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के क्षेत्रीय दल जीएसटी व्यवस्था की शुरुआत से ही नियमित रूप से ऐसे मामलों का खुलासा कर रहे हैं. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सीजीएसटी जोन और जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) ने 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के फर्जी आईटीसी से जुड़े लगभग 8,000 मामले दर्ज किए हैं.
14 पेशेवरों सहित 426 लोगों को गिरफ्तार किया
साथ ही वित्त वर्ष के दौरान, सीए, वकील और मास्टरमाइंड, लाभार्थी, निदेशक जैसे 14 पेशेवरों सहित 426 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा फर्जी आईटीसी का फायदा लेने और उपयोग के ऊंचे अनुपात को देखते हुए 9 नवंबर, 2020 को फर्जी जीएसटी इनवॉयस के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया था, जो अभी तक जारी है.
वहीं कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए लगाए गए स्थानीय लॉकडाउन के कारण इस साल जून में घटकर 92,849 करोड़ रुपये होने से पहले लगातार आठ महीनों में जीएसटी संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर रहा.
हालांकि, बीते दो-तीन महीने के दौरान कोविड महामारी के गंभीर प्रकोप और उससे संबंधित सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए यह अभियान सुस्त पड़ गया लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में धीरे-धीरे लॉकडाउन हटाने और कोविड-19 के हालात में सुधार के साथ विभाग ने राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित तरीके से अभियान फिर से शुरू कर दिया है. इस महीने के दौरान सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले धोखेबाजों के खिलाफ जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय और सभी केंद्रीय जीएसटी दलों की कार्रवाई तेज हो गई हैं.
1200 इकाइयों से जुड़े 500 से ज्यादा मामलों का पता लगाया
ऐसी इकाइयों के खिलाफ इस देशव्यापी अभियान में सीबीआईसी के तहत आने वाले जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय और सीजीएसटी जोन्स ने वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान 1200 इकाइयों से जुड़े 500 से ज्यादा मामलों का पता लगाया है और 24 लोगों को गिरफ्तार किया है. सीबीआईसी अधिकारियों द्वारा की गई गिरफ्तारियों का यह आंकड़ा हाल के दौर में सबसे ज्यादा है.
सीबीआईसी अधिकारी धोखेबाजों को पकड़ने के लिए आधुनिक आईटी टूल, डिजिटल साक्ष्यों का इस्तेमाल कर रहे हैं और अन्य सरकारी विभागों से सूचना भी जुटा रहे हैं. कानून में विधायी और प्रक्रियागत बदलावों के साथ ही, राष्ट्रव्यापी अभियान ने बेहतर अनुपालन और राजस्व संग्रह में योगदान किया. अभियान के दौरान, कुछ जानी मानी कंपनियों के खिलाफ फर्जी आईटीसी का लाभ लेने के मामले भी दर्ज किए गए.