वाराणसी :देशभर में आज धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाई जा रही है. शिव मंदिरों में सुबह से ही जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो गई है. महाशिवरात्रि की रात हिंदू धर्मग्रंथों में बेहद महत्वपूर्ण है.
सनातन धर्म में तीन रात्रियों का विशेष महत्व माना गया है. काल रात्रि, मोहरात्रि और महारात्रि. कालरात्रि यानी दिवाली, मोहरात्रि यानी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और महारात्रि यानी महाशिवरात्रि और आज इसी महारात्रि का पर्व महाशिवरात्रि पूरे धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. भोलेनाथ के विवाह के इस खास दिन को पूरा ब्रह्मांड एक अलग और अनोखे अंदाज में मनाता है.
बाबा विश्वनाथ
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में इसकी भव्यता और भी बढ़ जाती है, लेकिन सबके बीच यह जानना जरूरी है कि इस बार महाशिवरात्रि क्यों खास है और कैसे की जानी चाहिए शिव की उपासना. बता दें इस बार महाशिवरात्रि पर कई वर्षों के बाद वह अद्भुत संयोग बना है, जिसमें शिव और सिद्धि दोनों का योग मिलेगा. यानी महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिव और सिद्धि के मिलन की बेला में यह दोनों आपकी जिंदगी को बदल देंगे.
ईटीवी भारत से बातचीत करते ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आज काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने के लिए भक्तों का रेला उमड़ा हुआ है. विश्वनाथ मंदिर में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से आस्था के सामने कमजोर दिखाई दे रही है. लगभग दो किलोमीटर लंबी लाइन में लगकर भक्त अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. सुबह 3:30 बजे मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खुलने के बाद लगातार दर्शन पूजन का क्रम जारी है. भीड़ को देखते हुए इस बार बाबा विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन पर रोक लगाई गई है. भक्तों को सिर्फ झांकी दर्शन का लाभ मिल रहा है. जिसके लिए वक्त दूर-दूर से वाराणसी पहुंचे हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में भक्तों की काशी में मौजूदगी यह बता रही है कि अब आस्था के आगे कोरोना हार चुका है.
अर्चक श्रीकांत मिश्र से खास बातचीत. अयोध्याःभगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में लाखों श्रद्धालुओं ने सरयू में स्नान कर मंदिरों में दर्शन किये. इस दौरान महादेव के जयकारों से रामनगरी शिवमय हो गयी. स्नानघाटों से लेकर मंदिरों की चौखट तक हर जगह भोले की मस्ती छाई रही. सरयू तट पर भगवान शिव के 108 प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग में शामिल नागेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. भक्त जलाभिषेक कर रहे हैं.
महाशिवरात्रि पर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में बड़े ही उत्साह के साथ श्रद्धालु पहुंचे. जहां वे श्रद्धाभाव से भोले बाबा को जलाभिषेक कर रहे हैं. यहां सरयू नदी में स्नान के बाद लोग महादेव का जलाभिषेक करते हैं. इसके बाद अहम मंदिर हनुमानगढ़ी कनक भवन और रामलला का भी दर्शन पूजन कर रहे हैं.
प्रवेश मार्गों को बंद कर दिया गया
वही महाशिवरात्रि को लेकर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. अयोध्या नगर में आने वाले प्रवेश मार्गों को बंद कर दिया गया है, किसी भी वाहन को अंदर प्रवेश नहीं मिल पा रही, तो वहीं मंदिरों तक पहुंच रहे श्रद्धालुओं को लेकर सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे की मदद से निगरानी की जा रही है.
मुख्य अर्चक ने बताया विश्वनाथ धाम में अनुष्ठान का प्लान
वहीं आज शिव सिद्धि का विशेष योग होने की वजह से भी बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ बढ़ती ही जा रही है. इस क्रम में ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र ने महाशिवरात्रि का महत्व बताते हुए विश्वनाथ मंदिर में आज होने वाली अलग-अलग आरतियों के महत्व को भी बताया. उन्होंने बताया कि आज बाबा विश्वनाथ के मंदिर परिसर मंडप सजेगा, बाबा का विवाह संपन्न होगा और महादेव अपनी अर्धांगिनी गौरा संग भक्तों को दर्शन देंगे. जिसकी तैयारियां कई दिनों से चल रही है. उनका कहना है कि आज जिस तरह से भक्तों की भीड़ उमड़ी है. वह यह साफ कर रही है कि आस्था पर किसी का कोई जोर नहीं चल सकता. बस अब ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि पूरे विश्व में कोविड-19 खत्म हो जाए और जिंदगी पूरी तरह से सामान्य हो जाए.
कुंभ मेले में हजारों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई
हरिद्वार के कुंभ मेले में हर की पौड़ी पर महाशिवरात्रि के अवसर पर आज हजारों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई.
शुक्रेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं पूजा की
असम के गुवाहाटी के प्राचीन शुक्रेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं पूजा की.
आनंदेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की
कानपुर के आनंदेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूजा की. एक श्रद्धालु ने बताया कि यहां प्राचीन समय से शिवरात्रि का मेला लगता है। लोग यहां दर्शन के लिए रात से ही लाइन में लग जाते हैं.
पटना के शिव मंदिर में श्रद्धालुओं ने की पूजा
पटना के शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूजा की.
अंबाला के शिव मंदिर में भक्तों ने पूजा की
अंबाला के शिव मंदिर और गोरखनाथ टिल्ला मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूजा की.
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है
इस बारे में पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि महाशिवरात्रि का विशेष महत्व इसलिए भी है कि इस दिन से जुड़े दो कथाएं अपने आप में प्रचलित हैं. महाशिवरात्रि को देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के विवाह के दिन के रूप में जाना जाता है. यही वजह है कि इस दिवस को महारात्रि के नाम से जाना जाता है. जिसे तंत्र साधना और सिद्धि के लिए विशेष फलदाई माना जाता है. इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि आज के ही दिन भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग के रूप में उत्पत्ति हुई थी ब्रह्मा और विष्णु के बीच कौन बड़ा है की लड़ाई को समाप्त करने के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए भगवान शिव की उत्पत्ति के दिवस के रूप में भी महाशिवरात्रि को मनाया जाता है.
सुबह 8:23 तक होगा शिवयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि का पर्व बेहद कल्याणकारी होने वाला है, क्योंकि आज कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और चतुर्दशी दोनों तिथि मिल रही हैं. ऐसे में इन दोनों तिथियों के मिलन को शिव और सिद्धि योग के रूप में जाना जाएगा. शिव और सिद्धि योग अपने आप में इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि शिव अपने आप में महादेव का नाम है और इस योग में पूजन पाठ और ॐ नमः शिवाय का जाप करना विशेष फलदाई माना जाएगा. सुबह 8:23 तक शिव योग मान्य रहेगा.
पूरे दिन से मध्य रात्रि तक रहेगा सिद्धि योग
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन तिवारी ने बताया कि शिविर योग की समाप्ति के बाद सुबह 8:23 के बाद सिद्धि योग की शुरुआत हो जाएगी. इसके बाद पूरा दिन मध्यरात्रि के बाद तक सिद्धि योग मिल रहा है. सिद्धि योग किसी भी मंत्र को सिद्ध करने तंत्र साधना को करने और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए सर्वोत्तम योग माना जाता है. इसलिए इस महाशिवरात्रि इन दोनों का एक साथ मिलना आपके समस्त दुखों का नाश करेगा, लेकिन इसके लिए आपको बाबा भोलेनाथ की विशेष कृपा पानी होगी.
कैसे करें शिव को प्रसन्न और पूजा पाठ
पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि इस खास दिन पर बाबा भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए आपको महाशिवरात्रि का व्रत रखना होता है, जिनके विवाह में अड़चनें आ रही हों वह इस दिन जरूर व्रत रखें और विधिवत पूजन पाठ भी करें, लेकिन अनुष्ठान, रुद्राभिषेक और भोलेनाथ की पूजा का सही विधान भी पता होना चाहिए. महाशिवरात्रि के मौके पर रुद्राभिषेक कराए जाने का विशेष महत्व माना जाता है.
कहा जाता है रुद्राभिषेक बाबा को अतिप्रिय है, लेकिन भोलेनाथ अत्यंत भोले हैं और शिव पुराण से लेकर हर शास्त्र में वर्णित है कि भोलेनाथ जो सिर्फ एक लोटा जल अर्पित करने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं, क्योंकि कहा गया है कि जलधारा प्रियो शिवा, यानी जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होती है. इसलिए ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए भगवान शिव को यदि आप सिर्फ एक लोटा जल की अर्पित करते हैं तो वह भी आज के दिन सर्वोत्तम माना जाता है.
इन चीजों से होंगे शिव प्रसन्न
इसके अलावा यदि आप भगवान शिव का विशेष पूजन करना चाहते हैं तो एक से लेकर 21 ब्राह्मण या जितनी भी क्षमता हो उसके अनुसार ब्राह्मणों की मौजूदगी में आप रुद्राभिषेक का अनुष्ठान संपन्न करा सकते हैं. इसके लिए भगवान शिव को अति प्रिय दूध, जल, भस्म, तिल, मदार की माला और भांग धतूरा चढ़ाकर बाबा भोलेनाथ की अनुकंपा पाई जा सकती है.