मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए 14 फरवरी का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. नई दिल्ली: वो तारीख भी शायद 14 फरवरी की ही थी, जिस दिन को दुनिया वैंलेटाइन डे के रूप में याद करती है. पर अवसर था दिल्ली की सत्ता पर एक नये चेहरे का पूर्ण बहुमत के साथ उदय का. पत्नी सुनीता का हाथ अपने हाथ में थामे जनता के बीच उन्होंने चिल्लाकर कहा था...लव यू... दिल्ली...
जी हां, वह दिन दिल्ली सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल की ताजपोशी का ही नहीं, एक सच्चे प्रेम के प्रदर्शन का भी दिन बन गया, जब पत्नी सुनीता के साथ वह बिना कुछ कहे जता रहे थे कि अब दिल्ली की जनता ही नहीं, सुनीता के भी सुख और दुख में साथ थे, साथ हैं और साथ रहेंगे...
हर साल 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाता है. प्रेमी जोड़े इस दिन को खास बनाने के लिए एक दूसरे को न सिर्फ अपने दिल के जज्बात बताते हैं, बल्कि गिफ्ट्स और खूबसूरत मैजेस भेजकर मोहब्बत का इजहार करते हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए काफी अहम है. नवगठित पार्टी को आज ही के दिन दिल्ली में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफलता मिली थी.
पार्टी ऑफिस में पत्नी के साथ अरविंद केजरीवाल. दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतने के बाद 14 फरवरी 2015 को राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उसके बाद अपने संबोधन की शुरुआत लव यू ... से की थी. दिल्ली की जनता का दिल जीतने वाले यह युवा राजनेता अपनी पत्नी को बेहद प्यार करते हैं. उसे अपनी आंतरिक ताकत मानते हैं. सुनीता भी उनकी जिंदगी के हर फैसले में मजबूती से साथ खड़ी दिखती हैं. आईआरएस की नौकरी छोड़कर केजरीवाल ने जो भी काम किया, उसमें उनकी पत्नी ने बड़ी भूमिका निभाई. आइये जानते हैं केजरीवाल के प्रेम और राजनीतिक सफर के बारे में.
नई राजनीतिक पार्टी के गठन के बाद AAP दिसंबर 2013 में चुनाव लड़ी और 28 सीटें जीती. कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में आप की सरकार बनी, लेकिन 49 दिनों में ही यह सरकार चली गई. उसके बाद पार्टी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं की तरह पत्नी सुनीता ने भी संघर्ष में केजरीवाल का साथ दिया, जिसका नतीजा रहा कि वर्ष 2015 फरवरी में पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला.
ट्रेनिंग के दौरान हुई थी मुलाकातः दिल्ली में जब भी चुनाव हुए सुनीता प्रचार के लिए केजरीवाल के साथ में उतरी. इस दौरान ही उन्होंने अपनी पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए बताया था कि उनकी पहली मुलाकात भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) की परीक्षा पास करने के बाद ट्रेनिंग के दौरान हुई थी. फिर दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और रोजाना एक-दूसरे के साथ समय गुजारने लगे. मन में सुनीता के लिए प्यार का एहसास होने के बाद भी अरविंद उन्हें प्रपोज करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. कई महीनों तक अपनी फिलिंग्स को दबाकर रखें रहे, लेकिन एक दिन वह रात करीब 9 बजे के आसपास सुनीता के दरवाजे पर गए और दरवाजा खटखटाया... सुनीता ने जैसे ही गेट खोला, उन्होंने तुरंत पूछा... विल यू मैरी मी... उन्होंने सीधे तरीके से प्रपोज कर दिया और सामने से हां का जवाब मिला...
आप पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती बताते हैं कि अगस्त 1994 में केजरीवाल और सुनीता एक दूजे के हो गए. वह हमेशा से चाहती थीं कि उनका पति ईमानदार और देश सेवा को तवज्जो देने वाला हो. ट्रेनिंग के दौरान दोनों की परिवार की मंजूरी के बाद दोनों की सगाई हो गई. इसके दो महीने बाद नवंबर 1994 में आईआरएस के प्रशिक्षण के दौरान दोनों विवाह के बंधन में बंध गए. शादी के एक साल बाद सुनीता मां बनीं और बेटी हर्षिता को जन्म दिया, उसके छह साल बाद साल 2001 में बेटे पुलकित का जन्म हुआ.
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केजरीवाल के अपने फैसलों में आज भी सुनीता का पूरा साथ मिलता है. उन्हीं की वजह से वे आईआरएस की नौकरी छोड़कर समाज सेवा के काम में निकल पाएं और घर से बेफिक्र होकर राजनीति की ओर कदम बढ़ाया. दिल्ली विधानसभा चुनाव, पंजाब और अन्य राज्यों में पार्टी का विस्तार, वह जरूर कहते हैं कि अगर उनकी पत्नी नहीं होती तो उनके लिए कुछ भी हासिल करना असंभव था.
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