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सरकार के प्रस्ताव पर किसान मोर्चा नहीं ले सका निर्णय, जानिए कहां फंसा पेच

कृषि से जुड़ी मांगों को लेकर किसानों के आंदोलन के अगले 24 घंटे बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं. एसकेएम की बॉर्डर पर हुई बैठक के दौरान सरकार द्वारा प्राप्त हुए प्रस्ताव पर किसानों ने कुछ ऐतराज दर्ज कराया है, जिसपर सरकार से बुधवार तक स्पष्टीकरण भी मांगा गया है. आइए जानते हैं कि कहां फंस रहा पेच...

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संयुक्त किसान मोर्चा ( ईटीवी भारत)

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Published : Dec 7, 2021, 10:19 PM IST

Updated : Dec 7, 2021, 10:53 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा लिखित प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा ( Samyukt Kisan Morcha)मंगलवार को किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सके. कुंडली स्थित संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की मंगलवार को पांच घंटे के लगभग बैठक चली, जिसके बाद किसान नेताओं ने मीडिया को संबोधित किया. किसान नेताओं का कहना है कि लगभग सभी मुद्दों पर सहमति बन चुकी है, लेकिन कुछ बिंदुओं पर मोर्चा से जुड़े कुछ किसान संगठनों के नेताओं के बीच शंका है. सरकार द्वारा लिखित प्रस्ताव में जो बातें कही गई है, उसमें वह कुछ स्पष्टीकरण और संशोधन चाहते हैं. अब संयुक्त किसान मोर्चा गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया भेजेगा और कल दोपहर तक उनके संशोधित प्रस्ताव की प्रतीक्षा करेगा. उसके बाद 2 बजे से एक बार फिर किसान नेता चर्चा करने बैठेंगे और यदि संभव हुआ तो शाम तक अपने निर्णय की घोषणा करेंगे.

कहां फंसा पेच
गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में आंदोलन वापसी के साथ ही राज्य सरकारों द्वारा आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात कही गई है, लेकिन किसान नेता इस पर सहमत नहीं हैं. मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान हुई घटना का जिक्र करते हुए किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि 6 किसानों की गोली लगने की मौत के बाद सरकार ने एक करोड़ मुआवजा की घोषणा की थी. उसके बाद विधानसभा में सरकार द्वारा यह कहा गया था कि किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे, लेकिन अब तक पांच साल बीत जाने के बाद भी किसानों पर मुकदमे चल रहे हैं. हरियाणा में ही किसानों पर 48 हजार मुकदमे दर्ज है. सरकार से मांग है कि वह तत्काल मुकदमे वापसी की प्रक्रिया को शुरू कर दे, ताकि जल्द से जल्द उनका निष्पादन हो जाए और जब किसान घर लौटें तो उन पर उनके नाम दर्ज मुकदमे का बोझ न हो.

एमएसपी पर कमेटी में किसान प्रतिनिधि केवल किसान मोर्चा से हों
न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) (एमएसपी) पर सरकार द्वारा प्रस्तावित कमेटी में सरकार के प्रतिनिधि, विशेषज्ञों और किसान संगठनों के प्रतिनिधि को शामिल किये जाने की बात कही गई है, जो बतौर संयुक्त किसान मोर्चा बिल्कुल वाजिब है, लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठनों ने एमएसपी गारंटी कानून (MSP guarantee law) की मांग के साथ एक साल से ज्यादा संघर्ष किया है. लिहाजा कमेटी में केवल संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठनों को जगह मिलनी चाहिए.

पांच सदस्यीय कमेटी के सदस्य और अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष डॉ अशोक धावले (Ashok Dhawale) ने कहा कि ऐसे कई किसान संगठन हैं, जिन्होंने तीन कृषि कानूनों (Three farm laws) का समर्थन किया और कई नेता यह भी कहते रहे हैं कि एमएसपी की गारंटी (Guarantee on msp) तो संभव ही नहीं है. ऐसे किसान संगठन और नेताओं का कमेटी में शामिल किया जाना, किसान मोर्चा को स्वीकार्य नहीं होगा.

मुआवजे पर पंजाब सरकार का फॉर्मूला अपनाएं केंद्र
मुआवजे के बारे में बात करते हुए अशोक धावले ने कहा कि सरकार ने कहा है कि सैद्धांतिक रूप से सरकार को मंजूर है, लेकिन किसान चाहते हैं कि जिस प्रकार पंजाब सरकार ने मृत किसानों के लिए पांच-पांच लाख रुपये और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की और उस पर अमल भी शुरू कर दिया उसी तर्ज पर केंद्र को भी घोषणा करनी चाहिए.

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बिजली संशोधन बिल भी नहीं मंजूर
केंद्र सरकार द्वारा किसानों को लिखित प्रस्ताव में कहा गया कि बिजली पर प्रस्तावित कानून संसद में पेश किये जाने से पहले सभी स्टेकहोल्डर के साथ चर्चा की जाएगी. किसान नेताओं का कहना है कि जब 42 किसान नेताओं के साथ केंद्र सरकार की वार्ता का दौर चला था और 11 दौर की वार्ता हुई, उस दौरान सरकार की ओर से कहा गया था कि बिजली बिल पर कानून (law on electricity bill) नहीं लाया जायेगा, लेकिन अब यह एक बार फिर से प्रस्तावित है और संसद में सूचीबद्ध भी है. अशोक धावले ने कहा कि इस कानून के आने से पूरे देश के लोगों को महंगी बिजली खरीदनी पड़ेगी और इसलिये इस कानून को लाने की बात पर किसान सहमत नहीं हैं.

पराली जलाने के कानून में बदलाव
पराली जलाने के केस में किसानों पर आपराधिक मुक़दमे न देने का आश्वासन है. लेकिन सेक्शन 15 में जुर्माना के साथ आपराधिक का प्रावधान भी है. इस पर भी किसान मोर्चा ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.

आंदोलन समाप्ति का रास्ता लगभग साफ
आज केंद्र सरकार की तरफ से लिखित प्रस्ताव आने के साथ ही जल्द आंदोलन समाप्ति का रास्ता भी लगभग तय हो गया है. सूत्रों की माने तो मंगलवार को चली किसान नेताओं की मैराथन बैठक (Marathon meeting of farmer leaders) में भी 50 % से ज्यादा किसान संगठन लिखित प्रस्ताव ( written Proposal) के बाद घर वापसी के पक्ष में थे, लेकिन कुछ किसान संगठनों ने पेच फंसा दिया. घंटों चर्चा के बाद शाम को बैठक स्थगित करनी पड़ी और नतीजा यही निकल सका कि सरकार को एक जवाब भेज कर संशोधित प्रस्ताव भेजने की मांग की जाए. इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा अब मुक़दमे वापसी के लिए सरकार को एक तय समय सीमा देने की बात भी कर रहा है, जो 11 दिसंबर तक हो सकती है. संभावित यह भी है कि 11 दिसंबर को ही आंदोलन समाप्ति की घोषणा के साथ किसान अपने घरों को वापस लौटना शुरू कर दें.

Last Updated : Dec 7, 2021, 10:53 PM IST

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