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आज किसानों की भूख हड़ताल, कृषि मंत्री बोले- कानूनों को उत्तराखंड से मिला समर्थन

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Published : Dec 13, 2020, 9:18 AM IST

Updated : Dec 14, 2020, 2:55 AM IST

किसान आंदोलन
किसान आंदोलन

22:17 December 13

उत्तराखंड के किसानों ने किया कृषि सुधार कानूनों का समर्थन

उत्तराखंड के किसानों ने किया कृषि सुधार कानूनों का समर्थन

उत्तराखंड के किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की. इस दौरान नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, कृषि सुधार कानूनों का समर्थन करने के लिए उत्तराखंड के किसानों आए थे. ऐसे किसानों को धन्यवाद देता हूं. किसानों ने कृषि सुधार कानूनों को समझा और अपनी राय दी. 

इस दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे भी उपस्थित रहे.

20:02 December 13

पंजाब के जेल विभाग के डीआईजी ऐलएस जाखड़ ने दिया इस्तीफा

डीआईजी ऐलएस जाखड़

किसानी अंदोलन के प्रति सरकार के रुख को देखते हुए पंजाब के जेल विभाग के डीआईजी ऐल.एस जाखड़ ने इस्तीफा दे दिया है.

डीआईजी जाखड़ ने आपने इस्तीफे में लिखा है कि आज देश का किसान परेशान है. वह ठंडी रातों में खुले असमान के नीचे सड़कों पे बैठा है और अपने हक के लिए लड़ रहा है. उन्होनें कहा कि वह किसान का बेटा होने के नाते यह समझते हैं कि उनहे भी इस संघर्श का हिस्सा बनना चाहिए. इ

पहले से थे भ्रष्टाचार के आरोप 

जाखड़ पर पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. उन पर आरोप है कि वह जेल अधिकारीओं से रिशवत लेते थे. फिलहाल उनके इस्तीफे का जवाब अभी सरकार की तरफ से नहीं आया है.

18:54 December 13

क्या कहा किसान नेताओं ने...

क्या कहा किसान नेताओं ने
  • किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा सरकारी एजेंसियां किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोक रही हैं, हमारी मांगें पूरी होने तक हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा. हमारा रुख स्पष्ट है, हम तीनों कृषि कानूनों का निरस्तीकरण चाहते हैं, इस आंदोलन में शामिल सभी किसान यूनियन एकजुट हैं.
  • किसान नेता संदीप गिद्दू ने बताया की उन्नीस दिसंबर से प्रस्तावित अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल रद्द की गई, इसके बजाय सोमवार को यह एक दिवसीय हड़ताल रहेगी.
  • किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए साजिश रच रही है.

17:16 December 13

सिंघु बॉर्डर पर प्रेस वार्ता कर रहे किसान नेता

क्या कहा किसान नेताओं ने

किसान नेता ने कहा कि आज की बैठक में 4-5 बातों पर सहमति बनी है. उन्होंने बताया कि भानु प्रताप ने सुप्रीम कोर्ट में केस किया है, और धरना खत्म करने को लेकर भी खबरें आ रही हैं. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में संयुक्त किसान मोर्चा में भानु प्रताप जी की कोई भूमिका नहीं है. आंदोलन में शामिल होना उनका षड्यंत्र था. हमारा आंदोलन चलता रहेगा.

दूसरा फैसला है कि कल सभी संगठन सुबह 8 बजे से शाम पांच बजे तक भूख बड़ताल रखेंगे. उन्होंने बताया कि वीएम सिंह जी ने कल कोई बयान दिया था, इसके बाद उनके संगठन ने उन्हें पद से हटा दिया है. आगे भी वे जो बयान देंगे वह उनकी निजी राय होगी. वे आंदोलन का हिस्सा नहीं रहे हैं. कल सभी जिला मुख्यालयों में धरना देने का भी कार्यक्रम है.  

संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी अफवाहों का खंडन करते हुए कहा कि यहां से जो भी फैसला होगा वही अंतिम होगा. राकेश टिकैत ने कहा कि चढ़़ूनी जी ने कहा था कि वे 19 तारीख को अनशन करेंगे. उन्होंने कहा कि वे 14 को ही अनशन करेंगे.

17:05 December 13

राजस्थान में किसानों का आंदोलन

राजस्थान में किसानों का आंदोलन

राजस्थान के बहरोड़ से हजारों की तादाद में किसान शाहजहांपुर में लगती हरियाणा सीमा की तरफ बढ़ रहे हैं. सुबह से ही हरियाणा और राजस्थान के किसान अलवर में जमा होने लगे थे. इसके बाद किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं. किसानों ने कहा कि वो दिल्ली जा रहे हैं, उनको जहां तक जाने दिया जाएगा वो वहां तक जाएंगे. जहां रोका जाएगा, वे लोग वहीं धरने पर बैठ जाएंगे.

पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बाद अब राजस्थान का किसान भी सड़क पर उतर आया है. केंद्र सरकार के तीन किसान विरोधी बिल के खिलाफ हजारों की संख्या में किसान सड़क पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं. दो दिनों में राजस्थान का आंदोलन रफ्तार पकड़ने लगा है.

बहरोड़ और शाहजहांपुर में सभी नेताओं ने जमावड़ा डाला है. अलवर के शाहजहांपुर में राजस्थान और हरियाणा की स्टेट सीमा है. ऐसे में हरियाणा सरकार की तरफ से हरियाणा सीमा पर हजारों की संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. इसमें आरएसी रैपिड एक्शन फोर्स सहित कई केंद्र की विशेष कंपनियां है. दूसरी तरफ बहरोड़ से हजारों की संख्या में किसान शाहजहांपुर में हरियाणा सीमा की तरफ पैदल आगे बढ़ रहे हैं.

योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर भी आए साथ 

किसान नेता योगेंद्र यादव और मेघा पाटकर सहित बड़ी संख्या में लोग उनके दिशा निर्देशन में दिल्ली की तरह पैदल चल रहे हैं. राजस्थान में किसान आंदोलन का केंद्र अलवर बन चुका है. किसानों के पैदल मार्च में हरियाणा पुलिस की तरफ से की गई बैरिकेडिंग के चलते दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे जाम हो चुका है. हाईवे के दोनों तरफ कई किलोमीटर लंबा जाम लग चुका है. वाहन रेंग-रेंग कर चल रहे हैं.

वहीं पुलिस की तरफ से वाहनों को अलवर होते हुए डायवर्ट किया गया है. हजारों की संख्या में दिल्ली-उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में जाने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 

दूसरी तरफ दिल्ली की तरफ से राजस्थान और गुजरात जाने वाले उन लोगों को घंटों जाम में परेशान होना पड़ रहा है. दिल्ली जयपुर हाईवे बड़ा हाईवे है. यहां से प्रतिदिन 70 हजार वाहन गुजरते हैं. ऐसे में वाहन चालकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कई लोगों ने वैकल्पिक रास्ते लिए हैं, जबकि प्रशासन की तरफ से भी लगातार लोगों को डायवर्ट किया जा रहा है.

17:05 December 13

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिले उत्तराखंड के किसान

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिले उत्तराखंड के किसान

उत्तराखंड के किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की. इस दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे भी उपस्थित रहे.

15:20 December 13

भाजपा पंजाब की गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक

भाजपा पंजाब की गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक

किसान आंदोलन के सन्दर्भ में केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश के नेतृत्व में भाजपा पंजाब की गृह मंत्री अमित शाह के साथ विशेष बैठक. कृषि मंत्री भी हुए शामिल. 

14:47 December 13

किसान आंदोलन के 18वें दिन शाह ने पंजाब के भाजपा नेताओं संग बैठक की

13:58 December 13

सिंघु बॉर्डर : किसान आंदोलन का प्रभावशाली केंद्र

नई दिल्ली: दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर पहला प्रमुख किसान आंदोलन स्थल सिंघु सीमा, पिछले 17 दिनों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के धरने के लिए भविष्य की रणनीति बनाने के साथ किसानों के प्रदर्शन के लिए एक प्रभावशाली केंद्र बन गया है.

यह तीन महीने पहले संसद द्वारा तीन कृषि कानूनों को लागू करने के बाद उनके मुद्दों को हल करने में सरकार के साथ चर्चा करने के लिए प्रतिनिधियों का चयन करने और धरने को लेकर रणनीति बनाने का अड्डा बन गया है.

शांतिपूर्ण विरोध जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के हजारों किसान शामिल हैं, विभिन्न राज्यों और कस्बों के 40 से अधिक किसान यूनियनों से जुड़े किसानों के प्रतिनिधियों द्वारा केंद्रीय रूप से निगरानी की जा रही है, जो 26 नवंबर से सिंघु बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं.

मध्य दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर, सिंघु, जहां बहुसंख्यक 'जाट और गुर्जर' समुदाय निवास करते हैं, उस समय सुर्खियों में आया जब अपने 'दिल्ली चलो मार्च' के तहत झंडे लेकर जा रहे हजारों किसान नारे लगाते हुए यहां और दिल्ली-हरियाणा में टीकरी सीमा पर 17 दिन पहले एकत्रित हो गए. इन किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड लगाए, आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया.

क्रान्तिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शनपाल ने आईएएनएस को बताया कि सिंघु सीमा से जारी संदेश का अनुपालन दिल्ली के विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा किया जा रहा है, जो उन्हें अब तक के पूरे आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाए रखने में मदद करते हैं.

हालांकि, नेता ने इस दावे को नकार दिया कि विरोध में वामपंथी लोग हावी हैं। लोगों ने जोर देकर कहा कि सिंघु से मीडिया के माध्यम से एक केंद्रीय संदेश प्रसारित किया जाता है. विभिन्न राज्यों के हमारे किसानों द्वारा इसका पालन किया जा रहा है जो सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ यहां एकत्र हुए हैं.

भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि कई लोगों ने अपना कार्यक्रम लिया, लेकिन हम उन्हें ऐसा नहीं करने की अपील कर रहे हैं क्योंकि यह आंदोलन को दिशाहीन बनाता है. यह समस्याओं को बढ़ाता है. सिंघु बॉर्डर से जो भी संदेश दिए जाते हैं, उनका सभी को पालन करना चाहिए.

आंदोलन का मैदान, जहां अधिकांश किसान पंजाबी हैं, अब उन सभी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है, जो इनके समर्थन में खड़े हैं. देश भर के गायक, पहलवान और राजनेता किसानों के समर्थन में आए हैं, बॉर्डर पहुंचकर किसानों से मिले हैं.

पिछले कुछ दिनों में 'मिनी-पंजाब' में तब्दील हो चुके सिंघु ने अब तक किसानों-सरकार की वार्ता के तीसरे, चौथे और 5 वें दौर का आयोजन किया है, जो दुर्भाग्य से, तीन कृषि कानूनों को लेकर दोनों पक्षों के अड़ियल रुख के कारण बेनतीजा रहे.

केंद्रीय नेतृत्व ने सिंघु से अपने फैसले सर्कुलेट किए और किसानों की पंचायत बैठक का आयोजन भी उस जगह पर किया गया, जहां किसानों के विभिन्न समूह अपने ट्रक और ट्रैक्टरों के साथ, तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग को स्वीकार करने के सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, जिसे वे काला कानून, किसान विरोधी कानून कहते हैं.सिंघू सीमा विरोध स्थल से ही 8 दिसंबर को 'भारत बंद' का आह्वान किया था, जिसका कई विपक्षी दलों ने समर्थन किया था. 

10:55 December 13

सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी

किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी

कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा बल तैनात है.

10:16 December 13

आंदोलन के समर्थन में 16 दिसंबर को 500 और टोलियां पहुंचेंगी दिल्ली

16 दिसंबर को 500 और टोलियां पहुंचेंगी दिल्ली

दिल्ली: सिंघु (दिल्ली-हरियाणा सीमा) पर किसानों के विरोध का आज 18वां दिन है. प्रदर्शनकारी का कहना है कि वे कल रात यहां पहुंचे. राजस्थान, पंजाब और हरियाणा से और अधिक किसान यहां आ रहे हैं. 16 दिसंबर को 500 और टोलियां यहां पहुंचेंगी.

09:04 December 13

दिल्ली की सीमाओं पर बढ़ाए गए सुरक्षा बंदोबस्त

सीमाओं पर बढ़ाए गए सुरक्षा बंदोबस्त

नई दिल्ली : केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा आंदोलन को और तेज करने तथा जयपुर-दिल्ली एवं दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की घोषणा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने शनिवार को शहर की सीमाओं पर सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं.

गौरतलब है कि कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हजारों किसान बीते 17 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं, जिनमें बहुस्तरीय अवरोधक लगाना और पुलिस बल को तैनात करना शामिल है. प्रदर्शन स्थलों पर यात्रियों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े इस लिहाज से भी कुछ उपाय किए गए हैं.

उन्होंने बताया कि दिल्ली यातायात पुलिस ने महत्वपूर्ण सीमाओं पर अपने कर्मियों को तैनात किया है ताकि आने-जाने वाले लोगों को कोई परेशान नहीं हो. इसके अतिरिक्त ट्विटर के जरिए लोगों को खुले एवं बंद मार्गों की भी जानकारी दी जा रही है.

दरअसल किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों में संशोधन का सरकार का प्रस्ताव बुधवार को खारिज कर दिया था, इसके साथ ही जयपुर-दिल्ली तथा यमुना एक्सप्रेसवे को शनिवार को अवरुद्ध करके अपने आंदोलन को तेज करने की घोषणा की थी.

यातायात पुलिस ने शनिवार को यात्रियों को ट्वीट कर सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी और मंगेश सीमाओं के बंद होने की जानकारी दी. लोगों को लामपुर, सफियाबाद, साबोली और सिंघू स्कूल टोल टैक्स सीमाओं से आनेजाने की सलाह दी गई है.

यातायात पुलिस ने कहा कि मुकरबा और जीटीके रोड से मार्ग बदला गया है, अत: लोगों को बाहरी रिंग रोड, जीटीके रोड और राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर जाने से बचना चाहिए.

इसमें यह भी कहा गया कि किसानों के प्रदर्शन के कारण नोएडा एवं गाजियाबाद से यातायात के लिए चिल्ला और गाजीपुर सीमाओं को बंद किया गया है अत: दिल्ली आने के लिए आनंद विहार, डीएनडी, अप्सरा एवं भोपरा सीमाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है.

यातायात पुलिस ने ट्वीट करके बताया कि टिकरी और धानसा सीमाएं भी यातायात के लिए बंद हैं हालांकि झाटीकरा सीमा दो पहिया वाहनों एवं पैदल यात्रियों के लिए खुली है. इसमें हरियाणा की ओर जाने वाले लोगों को झारोडा, दौराला, कापसहेड़ा, बडुसराय, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन/बाजघेड़ा, पालम विमार और डूंडाहेड़ा सीमाओं से जाने को कहा गया है.

किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को यह घोषणा भी की थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो देशभर में रेल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया जाएगा और इसके लिए जल्द तारीख घोषित की जाएगी.

सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच पांच चरण की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद गत बुधवार प्रस्तावित छठे दौर की वार्ता निरस्त कर दी गई थी.

07:31 December 13

किसान आंदोलन

नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बीते 18 दिनों से जारी है. किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर डटे हैं. कृषि कानूनों के मुद्दे पर सरकार के साथ बातचीत आगे न बढ़ती देख अब किसान अपना आंदोलन तेज करने जा रहे हैं.

किसान नेताओं की बैठक में रविवार और सोमवार को आंदोलन तेज करने की रणनीति तैयार हो गई है. किसान यूनियन के नेताओं ने एलान किया है कि रविवार को 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू करेंगे और 14 दिसंबर को भूख हड़ताल पर बैठेंगे.

केंद्र सरकार और 40 किसान संघों के नेताओं के बीच पिछले छह दौर की वार्ता बेनतीजा रही है. सरकार ने किसान नेताओं को विचार करने के लिए एक मसौदा प्रस्ताव भेजा था, लेकिन किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया तथा अपना विरोध और तेज कर दिया है. 

नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ बातचीत कर रहे केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों में शामिल केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने शनिवार को कहा कि गतिरोध खत्म करने के लिए आंदोलन के नेताओं के साथ अगले दौर की बैठक शीघ्र बुलाने की कोशिश की जा रही है.

किसान आंदोलन पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ चर्चा करने के बाद प्रकाश ने कहा कि हम शीघ्र बैठक बुलाने की कोशिश कर रहे हैं. हम चर्चा कर रहे हैं. तारीख अभी तय नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि आखिरकार, हमें बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझाना होगा. 

कोई और रास्ता नहीं है. वे (किसान) भी इस बारे में जानते हैं, हम भी जानते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी समय चर्चा के लिए तैयार है.

वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद प्रकाश ने कहा कि केंद्र प्रदर्शनकारी किसानों के बारे में चिंतित है. साथ ही, उनसे चर्चा के लिए आगे आने का आग्रह किया. 

उल्लेखनीय है कि हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब से हैं, 17 दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. वे तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं.

Last Updated : Dec 14, 2020, 2:55 AM IST

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