पंजाब के मनसा डीसी ऑफिस के बाहर किसानों ने लगाया पराली का ढेर, कहा- प्रशासन खुद इंतजाम करें - नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल
पंजाब के मनसा में किसानों ने डीसी ऑफिस के सामने पराली का ढेर लगा दिया. किसानों का कहना है कि इसका समाधान हमारे पासन नहीं है, इसलिए प्रशासन खुद इसका ध्यान रखे. किसानों का कहना है कि प्रशासन सिर्फ पराली प्रबंधन की बात करता है, समाधान नहीं करता है. Straw in Punjab, straw in front of the DC office,
मनसा: पंजाब और हरियाणा के 18 किसान संगठनों ने अपने-अपने जिलों के उपायुक्त कार्यालयों के बाहर धरना दिया और ट्रॉलियों में पराली भरकर डीसी कार्यालयों के सामने फेंक दी. किसानों ने कहा कि पराली जलाना उनका शौक नहीं बल्कि मजबूरी है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के बाद पंजाब सरकार ने पराली जलाने के मामलों में सख्त कदम उठाए हैं और किसानों पर जुर्माना और प्रशस्ति पत्र दर्ज किया गया है.
भूमि पर लाल प्रविष्टियां: किसानों को पराली जलाने से रोकने के बाद सोमवार को किसान ट्रॉलियों में पराली भरकर डीसी ऑफिस के बाहर लाए और उतार दी. इस दौरान किसानों ने कहा कि उनके पास पराली जलाने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है और सोमवार को उन्होंने डीसी ऑफिस के बाहर पराली को डाल दिया, अगर इससे निवारण का हमारे पास कोई तरीका नहीं है तो डीसी खुद इसकी देखरेख करें.
इस तथ्य के कारण कि पराली के रख-रखाव का कोई समाधान नहीं है, जिसके चलते किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाई जा रही है. ऐसे में जिला प्रशासन किसानों के चालान काट रहा है और जमीनों पर रेड इंट्री के अलावा किसानों पर एफआईआर भी दर्ज की जा रही है. प्रशासन खुद खेतों में पहुंचकर आग बुझा रहा है. इसके विरोध में सोमवार को किसान ट्रॉलियों में पराली भरकर डीसी ऑफिस मानसा पहुंचे.
इसी बीच डीसी कॉम्प्लेक्स में पराली हटाने को लेकर किसानों की पुलिस के साथ झड़प हो गई. किसान नेताओं ने कहा कि पराली को हटाने का उनके पास कोई उपाय नहीं है और पराली जलाना उनकी मजबूरी है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन खेतों में जाकर किसानों को धमका रहा है और किसानों पर एफआईआर दर्ज की जा रही है. जमीनों पर रेड इंट्री की जा रही है.
किसानों की प्रशासन को चेतावनी: किसानों ने कहा कि अगर पहले धान रोपनी की अनुमति मिल जाये, तो किसानों को इन दिनों में आकर पराली नहीं जलानी पड़ेगी. उन्होंने यह भी कहा कि अब किसानों की गेहूं की बुआई में देरी हो रही है, लेकिन जिला प्रशासन पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई करने में लगा हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसानों को 6000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दे, तो किसान पराली की देखभाल खुद कर लेंगे. आने वाले दिनों में किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन और तेज किया जाएगा.