प्रतापगढ़ : सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले किसान राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच पिस रहे हैं. राजस्थान के जिला प्रतापगढ़ का गांव राजपुरिया राज्य का अंतिम गांव है. इसके आगे मध्यप्रदेश की सीमा शुरू हो जाती है. राजपुरिया के किसान रहते तो राजस्थान में हैं, लेकिन उनके खेत मध्यप्रदेश की सीमा में आते हैं. दो राज्यों की सीमा में फंसे इन किसानों को सरकारी लाभ लेने से लेकर खेतों तक आने-जाने में (Pratapgarh Farmers on Land Problem) काफी समस्या का सामना करना पड़ता है. इससे पहले यहां किसानों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को ज्ञापन देकर समस्या के निराकरण की मांग भी की है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.
प्रतापगढ़ जिले के बॉर्डर क्षेत्र के गांव राजपुरिया निवासी करीब 20 से अधिक किसान इन्हीं समस्याओं से जूझ रहे हैं. ये सभी किसान राजस्थान के मूलनिवासी होने के बाद भी इनकी खेती की जमीन मध्यप्रदेश की सीमा में आती है. दो राज्यों की सीमाओं के बीच होने के कारण इन किसानों को खेती से जुड़े लाभ राजस्थान और एमपी दोनों राज्यों से मिलने में परेशानी होती है. किसानों ने बताया कि जमीन को राजस्थान सीमा में लेने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को ज्ञापन देकर गुहार लगा चुके हैं. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
यह आती है दिक्कतः किसानों ने बताया कि उनका मूल निवास राजस्थान है लेकिन खेती की जमीन मध्यप्रदेश की सीमा में होने के कारण राजस्थान सरकार की ओर से किसानों को दिए जाने वाले लाभ से वंचित रहना पड़ता है. वहीं, एमपी में भी इन किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी होती है. किसानों का कहना है कि खेती की जमीन एमपी राज्य की सीमा में है, लेकिन बाकी डॉक्यूमेंट राजस्थान के होने के कारण वहां केसीसी कार्ड (किसान क्रेडिट कार्ड) बनवाने समेत अन्य योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी होती है. खेती करने वाले अधिकतर लोग अपना जीवन यापन राजस्थान में करते है और खेती और कर्मस्थली मध्यप्रदेश को मानते हैं.