मुंबई : तीनों कृषि कानून को पिछले साल संसद ने पारित कर दिया. हालांकि किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच उच्चतम न्यायालय ने जनवरी 2021 में उसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी. बता दें कि किसान अपनी उपज रिलायंस और आईटीसी जैसी कंपनियों को अच्छी कीमत पर बेचने को स्वतंत्र हैं, इसके जरिये प्रतिस्पर्धी माहौल सृजित किया गया है.
सुब्रमणियम ने कहा कि कृषि कानून छोटे एवं सीमांत किसानों की आय में सुधार की दिशा में कदम है. कृषि कानून की आलोचना करने वाले इसके पारित होने के तरीके को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. उनका आरोप है कि इन सुधारों से कृषि गतिविधियों के निगमीकरण होने से बड़ी कंपनियों को लाभ होगा.
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि फसलों को केवल कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) में बेचने से किसानों की कमाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इसका कारण इसमें जो खरीदार हैं, वह बिचौलिये की भूमिका निभाते हैं और जल्दी खराब होने वाले जिंसों या माल को फिर से बाजार लाने को लेकर होने वाले खर्च जैसी वजहों से सौदे में उनकी स्थिति मजबूत होती है.
नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) के स्थापना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुब्रमणियम ने कहा कि ये कंपनियां किसानों की उपज के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि कृषकों विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसान को उनकी उपज का पर्याप्त मूल्य मिले.