नई दिल्ली :देश के सबसे बड़े किसानों में से एक अखिल भारतीय किसान सभा ने मोदी सरकार द्वारा 2022-23 खरीफ सीजन के लिए एमएसपी की घोषणा की निंदा करने के साथ ही इसके खिलाफ देशव्यापी विरोध का आह्वान किया है. बता दें कि सरकार ने बुधवार को पिछले वर्ष की तुलना में 5 से 8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 14 फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा की थी, लेकिन किसान नेताओं के अनुसार यह मामूली वृद्धि है जो इनपुट लागत में वृद्धि की दर से कम है.
हालांकि चावल, मक्का, अरहर, उड़द और मूंगफली के एमएसपी में 7 प्रतिशत और बाजरा के लिए 8 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. सरकार के अनुसार, एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है जिसमें उत्पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा की गई है. वहीं किसानों सभा ने कहा है कि सरकार ने केवल ए2+एफएल फॉर्मूले पर एमएसपी की घोषणा की है जिसमें सभी इनपुट लागत शामिल नहीं है.
एमएसपी में ये मामूली वृद्धि तब की गई है जब ईंधन और अन्य सामानों की उच्च कीमतों के कारण किसानों के लिए उत्पादन लागत में तेजी से वृद्धि हुई है. इसके अलावा उर्वरकों की आपूर्ति में भारी कमी और कीमतों में वृद्धि हुई है, जबकि सरकार ने इसके बारे में भ्रामक दावे किए हैं. साथ ही एमएसपी के माध्यम से उत्पादन की लागत पर वापसी का वादा किया गया है.
इस संबंध में अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मुल्ला (Hannan Mollah, General Secretary All India Kisan Sabha) ने कहा कि कुल लागत (सी 2) पर रिटर्न की गणना करने के बजाय ए 2 + एफएल लागत पर गणना की जाती है जिसमें किसान के अपने संसाधनों की लागत शामिल नहीं होती है. उन्होंने मांग की है कि सरकार को उत्पादन लागत का अनुमान लगाने के लिए स्वामीनाथन आयोग के C2+50% के फार्मूले को लागू करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को उस लागत पर 50 प्रतिशत रिटर्न मिले.