नई दिल्ली : किसान महापंचायत के साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने मिशन यूपी का ऐलान किया और राज्य से योगी सरकार को उखाड़ फेंकने की अपील भी कर दी है. किसान आंदोलन और उस पर लगातार राजनीतिक होने के आरोप पर अतुल अंजान ने कहा कि जब तीन कृषि कानून लाए गए, एमएसपी पर गारंटी की मांग को अस्वीकार किया गया और कानूनों में आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म करने का प्रावधान रखा गया तो वह निर्णय भी पूर्णतः राजनीतिक ही था.
अंजान ने सरकार को घेरते हुए कहा कि किसानों ने इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाई, हमने भी विरोध किया तो आंदोलन को राजनीतिक बताया जा रहा है. खाद्य तेल की बढ़ती हुई कीमतों का उदाहरण देते हुए अतुल अंजान ने कहा कि चार माह के भीतर दुगने से भी ज्यादा हो चुके खाद्य तेल की कीमतें बताती हैं कि आवश्यक वस्तु अधिनियम न होने के क्या कुप्रभाव होंगे.
सामान्य व्यक्ति को बचाने वाले इस कानून के तहत कोई जमाखोरी नहीं कर सकता और बाजार में कृत्रिम कमी पैदा कर मनमाफिक कीमत तय नहीं कर सकता. यह सरकार इस कानून को निरस्त कर बड़े उद्योगपतियों को लूटने की खुली छूट देना चाहती है. कारखानों से निकलने वाले उत्पाद पर उद्योगपतियों को अधिकार है कि वह एमआरपी तय करते हैं. लेकिन किसान को MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य लेने का भी अधिकार नहीं होता.
पिछले साल नवंबर माह में तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बोर्डर पर आंदोलन शुरू हुआ तो मांगें तीन कानून रद्द करने और एमएसपी पर गारंटी के साथ खरीद के लिए कानूनी प्रावधान की थी लेकिन सरकार इस पर सहमत नहीं हुई.
किसान मोर्चा ने रणनीति बदलकर सत्तासीन भाजपा और उनके घटक दलों को चुनाव में नुकसान पहुंचा कर वोट की चोट देने का आवाह्न कर रही है. पहले किसान नेता पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार करने पहुंचे और अब उत्तर प्रदेश में दखल का ऐलान कर दिया है.
ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि किसानों का मुद्दा कहीं पीछे रह कर अब किसान मोर्चा सरकार गिराने और बनाने के काम में अपनी भूमिका ज्यादा निभा रहे हैं. अतुल अंजान ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसान लुटने वाले हैं और ऐसी परिस्थिति में उनके पास यही विकल्प है.