हैदराबाद : केंद्र सरकार से तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद बुलाया है. इन्होंने चार दिसंबर को ही इसकी घोषणा कर दी थी. नौ दिसंबर को किसानों और सरकार के बीच छठे दौर की होने वाली बातचीत से पहले भारत बंद के जरिए किसान केंद्र सरकार को बड़ा संदेश देना चाहते हैं.
किसान नेताओं का कहना है कि वे हर हाल में तीनों कानूनों की वापसी चाहते हैं. साथ ही 23 फसलों पर दिए जाने वाले एमएसपी को जारी रखने के लिए कानून बहाली की मांग कर रहे हैं. मोदी सरकार ने विरोध कर रहे किसानों को कानून में संशोधन का भरोसा दिया है. सरकार ने संकेत दिए हैं कि कानून की वापसी संभव नहीं है. लेकिन किसान अपनी मांगों पर अडिग है.
इससे पहले किसानों के आंदोलन की वजह से ही 2015 में मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण पर संशोधन को वापस लिया था. किसान फिर से ऐसी ही उम्मीद कर रहे हैं.
खुले रहेंगे बाजार
व्यापारियों के संगठन कॉनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को किसानों के 'भारत बंद' के दौरान दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में बाजार खुले रहेंगे. ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टस वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यू) ने भी घोषणा की है कि बंद के दौरान परिवहन या ट्रांसपोर्ट क्षेत्र का परिचालन भी सामान्य रहेगा.
पंजाब में बंद रहेंगे पेट्रोल पंप
पंजाब पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने सुबह आठ बजे से शाम के छह बजे तक पेट्रोल पंप बंद रखने का फैसला किया है.
विपक्षी दलों का समर्थन
कांग्रेस, राजद, वाम पार्टियां, एनसीपी, टीआरएस, डीएमके और आप ने किसानों के बंद का समर्थन किया है.
10 ट्रेड यूनियनों ने भी अपना समर्थन दिया है. इन सभी यूनियनों ने श्रमिक कोड और कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर को भी देशव्यापी हड़ताल रखी थी.
ये संगठन हैं- इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा, भारतीय व्यापार संघ का केंद्र, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड सेंटर, एआईयूटीयूसी, ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर, सेल्फ-एम्प्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन और यूनाइटेड स्टेट यूनियन कांग्रेस.
ट्रेड यूनियन ने अपने संयुक्त वक्तव्य में कहा - हम किसान संगठनों के दृढ़ संकल्प का स्वागत करते हैं. हम 8 दिसंबर, 2020 को 'भारत बंद' के उनके आह्वान के लिए समर्थन प्रदान करते हैं. हम 27 नवंबर से ही पूरे देश में सभी राज्यों के मजदूरों और कर्मचारियों की यूनियनों के साथ संघर्षरत हैं.
सुप्रीम कोर्ट बार का समर्थन
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने केंद्र के कृषि कानूनों को 'असंवैधानिक और गैरकानूनी' करार दिया है. उन्होंने किसानों के लिए अपनी सेवाएं मुफ्त में देने की पेशकश की है. शीर्ष अदालत पहले ही कानूनों को चुनौती देने वाली दलीलों को सुनने का फैसला कर चुकी है.