नई दिल्ली/गाजियाबाद:भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने गुरुवार को गाजीपुर बॉर्डर पर प्रेस वार्ता की. टिकैत ने कहा कि सरकारी आंकड़ों में देश भर में केवल 8 फीसदी किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है. 8 फीसदी किसानों में से 40 फीसदी फर्जी किसानों से सरकार, सरकारी अधिकारी, नोडल एजेंसी और बिचौलिए मिलकर एमएसपी का बंदरबांट करते हैं.
टिकैत ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन हमेशा से न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अधिकार देकर कानून बनाने की मांग करती आई है. टिकैत ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश में गेहूं और धान की खरीद में संगठित गिरोह का काम करता है.
किसान नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश के रामपुर में एमएसपी पर खरीद को लेकर मिलर्स, बिचौलियों और सरकारी अफसरों ने जमकर लूट की है. रामपुर को खरीद में नंबर वन बताने की पोल अब खुल गई है. रामपुर में केंद्र और राज्य की एजेंसियों ने रिकॉर्ड 26,391 किसानों में से करीब 11 हजार फर्जी किसान दिखाकर खरीद की है. टिकैत का आरोप है कि 11 हजार किसानों को फर्जी बटाईदार दिखाकर पंजीकरण किया गया और 1500-1600 रुपये में करीब 10 लाख क्विंटल गेहूं खरीदा गया, इसके बाद सरकारी रेट 1975 रुपये में बेचा गया.
राकेश टिकैत का आरोप है कि योजनाबद्ध तरीके से किसानों से लूट की जाती है. क्रय केंद्र बिचौलियों को दे दिए जाते हैं, वहीं फर्जी तरीके से रिश्तेदारों और जानकारों का रजिस्ट्रेशन करा दिया जाता है. इन फर्जी किसानों की बैंक की पासबुक अपने पास रख ली जाती है. थोक के भाव मोबाइल एजेंसी से नंबर लिए जाते हैं. ओटीपी आने के बाद उन मोबाइल नंबर को बंद कर दिया जाता है. बिचौलिए उनका सत्यापन तहसील से करा लेते हैं और इनके खाते से जाकर पैसे निकाल लेते हैं. किसानों को एक या दो हजार का लालच देकर बैंक मैनेजर से साठगांठ कर पैसा निकालते हैं. एक अनुमान के मुताबिक एक सीजन में करीब डेढ़ अरब के कमीशन का बंदरबांट होता है.