नई दिल्ली :देश के गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र की बर्खास्तगी की मांग के साथ संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को देशभर में रेल रोको अभियान चलाया, जिसका लगभग 300 जगहों पर असर देखा गया. बावजूद सरकार की तरफ के केंद्रीय मंत्री को हटाने की संभावना दिखाई नहीं दी.
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र समेत 16 राज्यों में रेल रोको का व्यापक असर देखा गया. बतौर किसान मोर्चा 'रेल रोको' के कारण 290 ट्रेनों के आवागमन पर असर पड़ा और 40 ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं. बता दें कि किसान मोर्चा ने सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक ही रेल रोको का आवाह्न किया था. किसान मोर्चा और उनके नेता बेशक गृह राज्यमंत्री के खिलाफ अपने आज के कार्यक्रम को सफल बताएं लेकिन अजय मिश्रा टेनी अब भी अपने पद पर बने हुए हैं.
हन्नान मोल्लाह से खास बातचीत 'ईटीवी भारत' से बातचीत में अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि यदि यह जनवादी सरकार होती तो उन्हें जरूर असर पड़ता लेकिन देश में 7 साल से एक फासीवादी सरकार चल रही है जिसके कारण उन्हें विरोध प्रदर्शन का असर नहीं होता. 'रेल रोको' को सफल बताते हुए मोल्लाह ने कहा कि आज के रेल बंद में न केवल बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए बल्कि मजदूर वर्ग के लोगों का भी समर्थन मिला है.
निहंग मुद्दे पर ये बोले, मोल्लाह
लखीमपुर में लोगों की मौत के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को एक अलग दिशा में मोड़ा. घटना के ऊपर अलग से मांग तय की गई, जिसके लिए प्रदर्शन किए जा रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ सिंघु बॉर्डर पर 35 वर्षीय युवक की निहंग सिखों द्वारा जघन्य हत्या से किसान मोर्चा ने खुद को पूरी तरह से किनारा कर लिया. इसके बाद किसान मोर्चा पर दोहरा मापदंड अपनाने के आरोप सत्ता पक्ष की ओर से लगाए जा रहे हैं.
इसके जवाब में मोल्लाह ने कहा कि लखीमपुर और सिंघु बॉर्डर की घटना को जोड़ कर देखना सही नहीं है. निहंग सिखों का समूह एक धार्मिक समूह है और आंदोलन किसानों का है, इसलिये उनका आंदोलन से कोई संबंध नहीं है. वह सिंघु बॉर्डर स्थित किसान मोर्चा के निकट रह रहे हैं लेकिन किसान मोर्चा का उनसे कभी संबंध नहीं रहा है.
'निहंगों को प्रशासन ने जगह दी है'
मोल्लाह ने सरकार पर उल्टा आरोप लगाते हुए कहा कि 'प्रशासन द्वारा उनको वहां जगह दी गई. वह पहले भी कुछ मारपीट की घटनाओं में शामिल रहे हैं. किसान मोर्चा की तरफ से उन्हें कई बार कहा गया कि वह चले जाएं लेकिन निहंगों का समूह वहीं टिका हुआ है. हत्या के मामले में प्रशासन जो भी ठोस कार्रवाई है करे, युवक की हत्या दुःखद है लेकिन किसान मोर्चा या आंदोलन का इससे कोई संबंध नहीं है. दूसरी तरफ लखीमपुर की घटना स्पष्ट रूप से किसानों के आंदोलन का हिस्सा है क्योंकि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर एक केंद्रीय मंत्री के बेटे ने गाड़ी चढ़ाई जिसके कारण आधा दर्जन लोगों की मौत हो गई.'
उन्होंने कहा कि 18 अक्टूबर के 'रेल रोको' के बाद अब 19 अक्टूबर को संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक सिंघु बॉर्डर पर होगी जिसके बाद कार्यक्रम की समीक्षा और आगे की योजना तय की जाएगी. संयुक्त किसान मोर्चा केंद्रीय गृह राज्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग पर लगातार कायम है.
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