नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा के नेता और भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने उत्तर प्रदेश में आंदोलन की सक्रियता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
उनका कहना है कि जनसंख्या और क्षेत्रफल दोनों के हिसाब से उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा से काफी बड़ा है. किसानों की संख्या भी राज्य में कहीं ज्यादा है, लेकिन गाज़ीपुर बॉर्डर पर 500 किसान भी आंदोलन स्थल पर नहीं दिख रहे.
मंगलवार को उत्तर प्रदेश के लिए विशेष रूप से सोशल मीडिया पर लाइव आकर अपने संबोधन के दौरान गुरनाम सिंह चढूनी ने यह भी सवाल उठाए कि पंजाब और हरियाणा के किसान सभी टोल बंद कराने में सफल हो जाते हैं लेकिन यूपी के किसान ऐसा क्यों नहीं कर पाते? उनका कहना है कि आंदोलन स्थल हो या राज्य के अंदर, यूपी में आंदोलन का असर ज्यादा दिखना चाहिए.
'किसी के भरोसे न बैठें किसान'
चढूनी ने यूपी के किसानों को संबोधन में बार-बार कहा कि वह किसी नेता के भरोसे न बैठें. आंदोलन की कमान अपने हाथों में लें जरूरी नहीं कि कोई किसान नेता उन तक पहुंचेगा और तभी वह सक्रिय होंगे.
किसानों की संख्या लगातार कम
गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के विरोध और एमएसपी पर अनिवार्य खरीद के लिए कानून की मांग के साथ दिल्ली के बॉर्डरों पर चलाए जा रहे आंदोलन के बुधवार को छह महीने पूरे हो गए.
पूरे आंदोलन में अब तक पंजाब और हरियाणा के किसानों की भूमिका ज्यादा सक्रिय रही है. दोनों राज्यों के किसान संगठन दिल्ली से लगे सिंघु बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. वहीं, राजस्थान और हरियाणा से लगे शाहजहांपुर खेड़ा बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल राजस्थान, हरियाणा और मध्यप्रदेश के किसान संगठनों का मोर्चा सक्रिय है. उत्तर प्रदेश से लगे गाजीपुर बॉर्डर पर मुख्य रूप से राकेश टिकैत ने मोर्चा संभाल रखा है. टिकैत इस पूरे आंदोलन में यूपी का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. उनके आवाह्न पर किसान भी गाजीपुर बॉर्डर पहुंचते रहे हैं लेकिन आंदोलन के बढ़ते दिनों के साथ मोर्चे पर किसानों की संख्या लगातार कम हुई है.