इटावा :उत्तरप्रदेश के इटावा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मुआवजे के नाम पर किसानों का मजाक उड़ाया जा रहा है. किसानों का आरोप है कि उन्होंने बीमा की सभी किस्तें जमा कीं मगर अब उन्हें कुछ सौ रुपये दिए जा रहे हैं. पिछले साल इटावा के चकरनगर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत चंबल और यमुना नदी में बाढ़ की वजह से इलाके में खड़ी फसल बर्बाद हो गई थी. ऐसे ही बाढ़ पीड़ित किसान को इंश्योरेंस कंपनी ने 129 रुपये का मुआवजा दिया है.
किसानों ने बताया कि इटावा में 8 ब्लॉक के लगभग 12,315 किसानों की खरीफ की फसल का बीमा कराया था. इसके लिए बीमा करने वाली यूनिवर्सल सोपो जनरल इंश्योरेंस कंपनी को करीब 3 करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया गया था. बारिश के मौसम में अंतर्गत चंबल और यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण चकरनगर तहसील क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे. इस कारण हजारों बीघे की फसल बर्बाद हो गई थी. डिभौली गांव के किसान राकेश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी 5 बीघे के खेत में बाजरा की फसल की थी. जब बाजरा पूरा तैयार हो गया, तभी बाढ़ आ गई और पूरी फसल जलमग्न हो गई. तब नियम के अनुसार 72 घंटे के भीतर बीमा कंपनी और प्रशासन को फसल नष्ट होने की सूचना भी दी गई.
जब मुआवजा देने की बारी आई तो बीमा कंपनी की ओर से कुछ सौ रुपये किसानों को थमा दिए गए. सुनीता देवी को 15 बीघे की फसल नष्ट होने के बाद 129 रुपये का मुआवजा दिया गया. सुनीता देवी ने बताया कि उन्हें मुआवजे के तौर पर 1629 रुपये दिए गए. फिर उसमें से 1500 रुपये काट भी लिए गए.अब सुनीता का सवाल है कि एक तो उन्हें कम मुआवजा मिला. इसके बाद भी सरकार ने 1500 रुपये काट लिए. जब रुपये काटने ही थे तो सरकार ने अकाउंट में 1629 डाले ही क्यों?