दौसा :यह कहानी है किसान कजोड़ मल मीणा की. जिसने पिछले पांच-छह साल में करीब डेढ़ करोड़ रुपये खेती से कमाए हैं. अब वे हर साल लगभग 35 लाख रुपये कमा रहे हैं. कजोड़ मल के हाथ कोई खजाना नहीं लगा है, बल्कि उनकी यह कमाई पॉली हाउस के कारण है. देखिये यह खास रिपोर्ट...
दौसा जिले के किसान कजोड़ मल की आर्थिक स्थिति खराब थी. कम पढ़ा लिखा होने के चलते कजोड़ मल की सरकारी नौकरी भी नहीं लगी. ऐसे में एक-एक पैसे के लिए वह मोहताज था. जमीन थी, सिंचाई के लिए पानी भी था, लेकिन परंपरागत खेती होने के चलते अच्छा मुनाफा नहीं मिल पाता था.
इसके बाद कजोड़ मल जयपुर जिले के एक गांव में पॉली हाउस में मजदूरी करने चला गया. वहां पॉली हाउस में उन्होंने व्यापारिक खेती के बारे में जानकारी ली. इसके बाद कजोड़ मल ने मजदूरी के बदले 25% मुनाफा देने के समझौते से अनेक पॉली हाउस में कार्य किया.
दूसरों के पॉली हाउस में केवल 25 फीसदी मुनाफे से ही उन्होंने करीब 6 साल में 92 लाख रुपये कमाए. अच्छा पैसा कमाने के बाद उन्होंने अपने खेत में ही पॉली हाउस लगाने पर विचार किया. कृषि विभाग की मदद से कजोड़ मल ने श्रीगणेशपुरा में ही दो पॉली हाउस लगा लिए.
प्रत्येक पॉली हाउस के लिए कजोड़ मल को 23 लाख रुपये का सरकार से अनुदान मिला. 10 लाख रुपये कजोड़ ने खुद खर्च किए. वर्तमान में किसान कजोड़ मल अपने पॉली हाउस में खीरे की खेती कर रहे हैं.