मोहाली/होशियारपुर : केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले वर्ष से हो रहे प्रदर्शनों का हिस्सा रहीं 62 वर्षीय भूपिंदर कौर का कहना है कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानूनों को निरस्त करने की घोषणा कर दी है, लेकिन लड़ाई अभी भी खत्म नहीं हुई है.
पंजाब के मोहाली जिले के चिल्ला गांव में एक गुरुद्वारे में अन्य महिलाओं के साथ 'लंगर' तैयार कर रहीं कौर ने कहा कि यह लड़ाई तब तक खत्म नहीं होगी जब तक कि कानूनों को संसद में औपचारिक रूप से निरस्त नहीं कर दिया जाता और फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की किसानों की मांग मान नहीं ली जाती.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि इन कानूनों को निरस्त करने के लिए संवैधानिक औपचारिकताएं संसद के 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में की जाएंगी.
कौर के साथ मौजूद अन्य महिलाओं ने भी उनकी बात से सहमति जताते हुए कहा कि संसद में इन कानूनों को औपचारिक रूप से निरस्त करने और फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग मानने के साथ ही प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को आर्थिक मुआवजा भी दिया जाना चाहिए.
करीब दो हजार की आबादी वाले चिल्ला गांव के लोग किसी किसान संगठन से नहीं जुड़े हैं लेकिन दिल्ली के पास सिंघू बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में हुए प्रदर्शनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही.
नजदीक के मनौली, भागो माजरा, सांते माजरा, छोटा रायपुर और बड़ा रायपुर जैसे गांवों के लोग भी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन में शामिल होते रहे हैं.