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Faridabad Old Age Home: बुजुर्गों की सेवा करने कनाडा से फरीदाबाद पहुंचे अनिल सरीन, अपने घर को ही बनाया वृद्धाश्रम, निशुल्क कर रहे सेवा

Faridabad Old Age Home कनाडा की नागरिकता मिलने के बाद भी हरियाणा के फरीदाबाद के अनिल सरीन परिवार को छोड़कर स्वदेश लौट आए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि अनिल ने अपने घर को ही वृद्धाश्रम बना दिया है, जहां निस्वार्थ भाव से बुजुर्गों की सेवा कर रहे हैं. अभी इस वृद्धाश्रम में 18 बुजुर्ग रह रहे हैं और कई नाम अभी वेटिंग लिस्ट में हैं जो इस वृद्धाश्रम में रहना चाहते हैं. हालांकि वृद्धाश्रम में जगह नहीं होने के कारण अनिल अभी और बुजुर्गों को नहीं रख पा रहे हैं. आखिर अनिल सरीन के मन में ऐसा क्या आया कि कनाडा में बसे बसाए घर-परिवार को छोड़कर उन्होंने फरीदाबाद आने का फैसले लिया और वे वृद्धाश्रम में कैसे बुजुर्गों की सेवा करते हैं जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...(Canadian citizenship Anil Sarin Faridabad Old Age Home)

Faridabad Old Age Home Anil Sarin Canadian citizenship
बुजुर्गों की सेवा करने कनाडा से फरीदाबाद पहुंचे अनिल सरीन

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 7, 2023, 1:55 PM IST

कनाडा से फरीदाबाद पहुंचे अनिल सरीन 2014 ले चला रहे वृद्धाश्रम

फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अनिल सरीन ने मानवता की मिसाल पेश की है. अनिल का घर फरीदाबाद सेक्टर-28 के पॉश एरिया में है. इसी घर को अनिल ने वृद्धाश्रम बनाया है. जहां वो बुजुर्गों की निशुल्क सेवा करते हैं. कुछ बुजुर्ग तो ऐसे हैं, जिनको उनके बच्चों ने बेसहारा छोड़ दिया. कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी मर्जी से अनिल के वृद्धाश्रम में रह रहे हैं.

कनाडा की नागरिकता मिलने के बावजूद फरीदाबाद में घर को बनाया वृद्धाश्रम: दरअसल अनिल फरीदाबाद को छोड़कर परिवार के साथ कनाडा शिफ्ट हो गए थे. उनको वहां की नागरिकता भी मिल गई थी. अब जब उनके बच्चे भी अपने काम में व्यस्त हो गए, तो अनिल ने महसूस किया कि उन्हें कुछ सामाजिक काम करना चाहिए. इसके लिए वो फिर से फरीदाबाद आ गए. अनिल सरीन के बच्चे और पत्नी कनाडा में ही रहते हैं. अनिल यहां फरीदाबाद में बुजुर्गों की सेवा कर रहे हैं. अनिल के इस फैसले से उनके परिवार में कई बार विवाद भी होता है. लेकिन फिर भी अनिल सरीन अपने परिवार के सदस्यों को समझाकर विवाद सुलझा लेते हैं.

कनाडा की नागरिकता मिलने के बावजूद फरीदाबाद में घर को बनाया वृद्धाश्रम.

2014 में आश्रम की शुरुआत: अनिल ने साल 2014 में फरीदाबाद में वृद्ध आश्रम की शुरुआत की थी. उस वक्त उसके पास 2 बुजुर्ग थे. अब बुजुर्गों की संख्या 18 हो गई है. अपने घर में ही अनिल वृद्धाश्रम चला रहे हैं. वो भी निशुल्क. खर्च के बारे में जब सवाल पूछा गया तो अनिल ने कहा कि, हम किसी से कोई पैसा नहीं लेते. अगर कोई खुद से डोनेशन देना चाहे, तो किसी को मना भी नहीं करते. अनिल ने कहा कि, एफडी के ब्याज से वृद्ध आश्रम का खर्च चल जाता है. इसके अलावा अनिल ने गायों को भी पाल रखा है. जिनका दूध और घी बेचकर अनिल को जो मुनाफा होता है. वो उसे बुजुर्गों की सेवा में लगा देते हैं.

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कनाडा में परिवार छोड़ फरीदाबाद में समाज सेवा का संकल्प: ईटीवी भारत से बातचीत में अनिल सरीन ने कहा कि, वो कनाडा अपने परिवार और बच्चों के साथ शिफ्ट हो गए थे. उन्हें वहां की नागरिकता भी मिल गई थी. जब उनके बच्चे सेटल हो गए, तो अनिल के मन में समाज सेवा की भावना पैदा हुई. जिसके बाद वो अपने जन्म स्थल फरीदाबाद लौटे और अपने घर को ही वृद्धाश्रम बना दिया. अनिल के अनुसार अभी 40 और बुजुर्गों के नाम पेंडिंग में हैं, लेकिन वृद्धाश्रम में जगह नहीं होने के कारण अनिल मजबूरी में उन्हें नहीं रख पा रहे हैं. अनिल कहते हैं कि जल्द ही वृद्धाश्रम को और बढ़ाने का काम किया जाएगा.

निस्वार्थ भाव से सेवा करना चाहते हैं अनिल सरीन: अनिल ने कहा कि, उनकी पत्नी और बच्चों ने कई बार उनसे कहा कि वो वापस कनाडा आ जाए, लेकिन अनिल ने ये कहकर मना कर दिया कि जिंदगी का बड़ा हिस्सा वो उनके साथ बिता चुके हैं. अब बची हुई जिंदगी में वो समाजसेवा करना चाहते हैं. अनिल ने बताया कि, यहां वो एक सफाई वाले और रसोइये को वेतन देते हैं. इसके अलावा 5 से 6 लोग हैं, जो बुजुर्गों की निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं. कुछ लोग ऐसे हैं जो बुजुर्गों की सेवा करना चाहते हैं. इसलिए वो बिना कहे ही निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा करते हैं. चाहे फिर वो उनके लिए खाना बनाना हो या किसी और तरह की मदद हो.

दूध और घी से मिलने वाले मुनाफा से बुजुर्गों की सेवा.

वृद्धाश्रम में रह रहे लोगों का है अपना-अपना दर्द: जब यहां रहे बुजुर्गों से बात की गई तो उन्होंने अपना-अपना दर्द साझा किया. कुछ को तो उनके बच्चों ने बेसहारा छोड़ दिया. कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी मर्जी से यहां आए हैं. एक बुजुर्ग ऐसे भी हैं जो रेलवे में नौकरी करते थे, लेकिन उनके परिवार से उनकी नहीं बनी, तो यहां पर आकर रहने लगे. बुजुर्गों ने बताया कि यहां उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती. खाना भी उन्हें अच्छा मिलता है. अब वो अपना जीवन शांति से जी रहे हैं. उन्होंने बताया कि कभी-कभी उनका बेटा या बेटी उनसे मिलने आ जाते हैं.

वृद्धा पेंशन के पैसे लेने आते हैं कुछ बुजुर्ग के बच्चे: ऐसा नहीं है कि सभी लोग अपनों के सताए हुए हैं, बल्कि इस वृद्धाश्रम में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो यहां आने के बाद भी बच्चों के द्वारा प्रताड़ित किए जा रहे हैं. वृद्धाश्रम में रहे कुछ बुजुर्गों से उनके बच्चे इसलिए मिलने आते हैं ताकि उनसे वृद्धा पेंशन के कुछ हिस्से ऐंठ सकें. वहीं, कुछ बुजुर्ग वृद्धाश्रम में इसलिए रहने आए हैं ताकि वे अपनी शर्तों पर अपनी जिंदगी जी सकें.

वृद्धाश्रम में कई सुविधाएं: इस वृद्धाश्रम में रहने वालों बुजुर्गों के लिए तमाम सुविधाएं हैं. यहां रहने वाले बुजुर्गों को कभी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है. खाना-पीना और साफ-सफाई की व्यवस्था से बुजुर्ग काफी खुश हैं. यहां रहने वाले सभी बुजुर्गों में काफी तालमेल देखने को मिलता है. सभी एक-दूसरे के साथ बहुत ही प्रेम से रहते हैं.

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