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Published : May 20, 2021, 10:51 PM IST

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टिड्डियों से निपटने में मददगार साबित हो रही FAO की ये हाई-टेक तकनीक

पूर्वी अफ्रीका में, टिड्डी नियंत्रण ऑपरेशन ने 4 मिलियन टन अनाज और 800 मिलियन लीटर दूध उत्पादन के नुकसान होने से बचाया है, जबकि 36.6 मिलियन खाद्य सुरक्षा की रक्षा की है. इसके साथ ही अनाज और दूध में 1.56 बिलियन अमेरीकी डालर का नुकसान होने से बचाया है.

Desert Locusts
Desert Locusts

हैदराबाद :संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने भागीदारों के साथ मिलकर उच्च तकनीक वाले उपकरणों की एक श्रृंखला विकसित की है, जो टिड्डियों का पता लगाने, उस पर निगरानी रखने और इससे निपटने में बहुत मददगार साबित हो रही है.

एफएओ के इस कदम से प्रभावित देशों को टिड्डियों को नियंत्रित करने में बहुत मदद मिल रही है. इस तकनीक के इस्तेमाल से इथियोपिया, केन्या और सोमालिया में टिड्डियों की संख्या में बहुत कमी आई है.

वहीं, पूर्वी अफ्रीका में, इस टिड्डी नियंत्रण ऑपरेशन ने 4 मिलियन टन अनाज और 800 मिलियन लीटर दूध उत्पादन का नुकसान होने से बचाया है, जबकि 36.6 मिलियन खाद्य सुरक्षा की रक्षा की है. इसके साथ ही 1.56 बिलियन अमेरीकी डालर अनाज और दूध का नुकसान होने से भी बचाया है.

बता दें, जलवायु डेटा और मौसम पूर्वानुमान का इस्तेमाल कर एफएओ दशकों से टिड्डियों के खिलाफ कदम उठाने में सबसे आगे रहा है. दरअसल, एफएओ की दुनियाभर में मौजूद फील्ड टीम ई-टिड्डी-3 टैबलेट का इस्तेमाल अहम डेटा एकत्र करने के लिए कर रही है और इसे एफएओ के डेजर्ट सूचना सर्विस को मुहैया कराती हैं. इन आंकड़ों के आधार एएफओ एक टारगेट मैप तैयार कर इन टिड्डियों का खात्मा करना शुरू कर देता है.

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एफएओ के वरिष्ठ लॉकस्ट फोरकास्टर कीथ क्रेसमैन ने कहा, दुनियाभर के 20 देश इस टैबलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. टैबलेट के प्रभावी परिणाम देख इसकी मांग में तेजी आई है. यह टैबलेट इसलिए भी जरूरी हो गई है, क्योंकि टिड्डियों से निपटने के लिए कम समय में चरवाहों और किसानों को प्रशिक्षित करना मुश्किल है. इसलिए एफएओ इन टिड्डियों के खिलाफ एक जंग लड़ रहा है और इस समस्या से निजात पाने के लिए हमें मजबूत लोगों के साथ की जरूरत है.

टिड्डियों को लक्षित करने के लिए विकसित तकनीकें ?

रिमोट कम्यूनिकेशन टूल्स

एक महीने से भी कम समय में एफएओ के वरिष्ठ लॉकस्ट फोरकास्टर कीथ क्रेसमैन और डेवलपर्स ने इस चुनौती से निपटने के लिए एक सामान्य स्मार्टफोन एप बनाया था. इसके साथ ही टिड्डियों का डेटा एकत्रित करने की थोड़ी सी ट्रेनिंग भी दी, लेकिन पूर्वी अफ्रीका के हर किसान के पास मोबाइल नहीं है और वे क्षेत्र किसी भी नेटवर्क से पूरी तरह से कटे हुए नजर आए.

इसलिए, एफएओ ने जीपीएस की आपूर्ति करने वाली कंपनी गार्मिन से हाथ मिलाया. कंपनी के साथ मिलकर एफएओ ने एक सैटेलाइट डेटा कम्यूनिकेटर बनाया, जो हर क्षेत्र में कनेक्टिविटी बाधाओं को दूर करता है, जहां यह मौजूद नहीं होती हैं.

हालांकि, एफएओ अब एक दिन में डेटा के 2500 रिकॉर्ड तक प्राप्त करता है, जिसमें लगभग 25 फीसदी डेटा अनुपयोगी या गलत पाया जाता है. एफएओ ने अवांछित डेटा को तेजी से पहचानने और हटाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करने के लिए फिर से प्लांट विलेज का सहारा लिया.

एफएओ की डेजर्ट टिड्डी टीम जमीन और हवा में नियंत्रण टीमों के साथ इस डेटा को साझा करती हैं, ताकि वे जल्दी से टिड्डियों के झुंडों के स्थान की पहचान कर, उनका खात्मा कर सके.

हवा से पता लगाना

रेंजरों के सुझाव पर एफएओ ने अर्थ रेंजर नामक डिजिटल सिस्टम अपनाया, जो जानवरों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और टिड्डियों की निगरानी के लिए अनुकूलित किया जाता है. केन्या में यह तकनीक सफल रही और एफएओ ने जल्द ही इथियोपिया और सोमालिया में इसके विस्तार के लिए आवदेन किया.

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निगरानी बढ़ाने के लिए सैटेलाइट का इस्तेमाल

डेजर्ट टिड्डियों से छुटकारा पाने के लिए सैटेलाइट एक गेम चेंजर की भूमिका निभा सकता है. चूंकि टिड्डियों के प्रजनन के लिए बारिश एक महत्वपूर्ण घटक है, इसलिए एफएओ वनस्पति और बारिश की पहचान करने के लिए दो सैटलाइट का इस्तेमाल कर रहा है, जो प्रजनन के लिए टिड्डियों को आकर्षित कर सकते हैं.

वहीं, टिड्डियों के खिलाफ इस मिशन में तीसरी सैटेलाइट अन्य दो सैटेलाइट के मुकाबले ज्यादा एडवांस हैं. तीसरी सैटेलाइट पृथ्वी की सतह के नीचे मिट्टी की नमी का पता लगाती है, जहां मादा टिड्डियां अंडे देती हैं.

एफएओ सैटेलाइट तकनीकी को परिष्कृत करने के लिए नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और यूरोपीय आयोग के संयुक्त अनुसंधान केंद्र के साथ भी काम कर रहा है.

बता दें, यह सैटेलाइट डेटा वास्तविक समय में सेल फोन, टैबलेट और अन्य उपकरणों में प्रसारित किया जाता है, ताकि देश अपनी नियंत्रण टीमों को जुटा सकें और टिड्डियों के झुंड से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई कर सके. इन ऑपरेशनों से इथियोपिया, केन्या और सोमालिया में डेजर्ट टिड्डी के आक्रमण का पैमाना काफी कम हो गया है.

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