नई दिल्ली : डॉ. कुमार विश्वास देश में हिन्दी कविता के नामचीन हस्ताक्षर हैं, लेकिन उनके किरदार कई हैं. कभी वो मंच पर कविता पढ़ते नजर आते हैं, प्रेम के गीत सुनाते नजर आते हैं, तो अन्ना आंदोलन में धरनों से लेकर चुनावी राजनीति तक में नजर आए. राजनीति से फिलहाल उनका मोह भंग हो गया है, लेकिन राजनीति को युग धर्म बता कर ये भी संकेत देते हैं कि युग बदला तो फिर लौट सकते हैं. डॉ. कुमार विश्वास, इन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई गांवों में अपने प्रयासों की वजह से चर्चा में हैं.
1. न सत्ता, न संगठन, न कार्यकर्ता, अकेले कैसे कोरोना काल में लोगों की मदद ? आपको राजवंश, राजमुकुट के रुठने का डर नहीं?
कुमार विश्वास : एकात्म पराक्रम हमेशा से जीवन का हिस्सा रहा है, उत्तराखंड त्रासदी हो, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हो या फिर दामिनी को न्याय दिलाना हो...एक कवि की समाज के प्रति जिम्मेदारी है कि समाज के दिए हुए का प्रतिफल वह किसी ना किसी रूप में लौटाए. कोरोना महामारी की दूसरी लहर में हमने देखा कि इस बार पूरी व्यवस्था चरमरा गई, तंत्र ने हमें बेहद निराश किया. 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के रहनुमा इस बार लोगों को ऑक्सीजन नहीं दे पाए. केंद्र सरकार ही नहीं सभी राज्यों ने ही कोरोना महामारी के दौरान जनता को निराश किया, ऐसे में मैंने मेरे दोस्तों के साथ मिलकर लोगों की मदद करने की ठानी और हमने धीरे-धीरे हमारी क्षमता के अनुसार जनता की सहायता की. मेरा सवाल है कि क्या राजवंश, राजमुकुट से जुड़े लोगों के परिजन सवाल नहीं करते कि पापा आप मंत्री हो, अधिकारी हो, कोरोना में लोगों की ये मदद कर दीजिए...!
2. आपने कोविड केयर किट, प्लाज्मा डोनर एप तैयार करने की बात कही है, कहां से आईडिया आया ?
कुमार विश्वास : हमने देखा कि लोग आपस के संपर्क से हॉस्पिटल, बेड, ऑक्सीजन की व्यवस्था तो देर-सवेर कर पा रहे थे, लेकिन प्लाज्मा हासिल करने में जनता को काफी परेशानी हो रही थी. ऐसे में मैंने एक वीडियो जारी कर लोगों से प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की, जिन लोगों ने हमसे संपर्क किया उनमें से मैंने व्यक्गित तौर पर सैकड़ों लोगों से बात की और हमारी टीम ने देश के अलग-अलग हिस्सों में एक नेटवर्क बनाकर लोगों की मदद की. वहीं अगर गांवों की बात करें, तो वहां के हालात देखते हुए मैंने सभी प्रधानों से बात की और गांवों में कोविड केयर सेंटर खुलवाए और हर सेंटर पर कोविड किट भिजवाई. गांव के सरपंच को 10 लोगों की वॉलंटियर्स टीम के साथ मिलकर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. सेंटर पर लोगों का इलाज करने के लिए हमने हर सेंटर पर 4 डॉक्टरों की टीम को व्हाटसएप कॉल के माध्यम से जोड़ा, आज मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे प्रयासों के जरिए और अन्य लोगों के सहयोग से हम 50 गांवों तक पहुंच गए हैं और आगे 100 गांवों तक पहुंचने का लक्ष्य है.
3. दिलचस्प बात है कि गौतम गंभीर, दिलीप पांडे, बीवी श्रीनिवास से पूछताछ हुई है, आपसे अभी तक किसी ने पूछा नहीं ?
कुमार विश्वास : देखिए, पूछताछ कोई नई बात नहीं है, पहले की सरकारों में भी ऐसे काम करने वालों से पूछताछ हुई है. मैं तो खुद को सौभाग्यशाली समझता हूं कि मां हिन्दी ने मुझे जो यश और सामर्थ्य दिया है उसके बाद मुझे खुद की चिंता करने की जरूरत नहीं है. हम अच्छा काम कर रहे हैं, गांव-गांव जा रहे हैं, तो ऐसे में हमें किसी भी जांच और पूछताछ से डर नहीं लगता है.
4. जनप्रतिनिधि, जनसेवक जैसी कई उपमाएं हमने दी हैं. क्या कोरोना काल में इनकी भूमिका से आप संतुष्ट हैं. अगर नहीं, तो क्या होना चाहिए था ?
कुमार विश्वास : अगर मैं कर सकता हूं तो, नेता तो किसी के काम आसानी से आ सकते हैं, आपके मन में मदद करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए. नेताओं को पता है कि लोगों को अगर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं देने से उनके वोटबैंक पर कोई असर नहीं पड़ रहा है, उनका मतदाता ऑक्सीजन नहीं मिलने से प्रभावित नहीं होगा. मुझे आज इस बात की खुशी है कि मुझसे बीते दिनों कितने ही विधायक, सांसदों ने मदद मांगी है.
5. आपने कहा कि युद्धकाल में सेनापति की गलतियां नहीं बताई जाती, लेकिन ये भी सच है कि समय पर आगाह नहीं किया तो समय सबका अपराध लिखता है, आप काम कर रहे हैं वो तो अच्छा है ही मगर बोलने से क्यों बच रहे हैं ?
कुमार विश्वास : देखिए, अभी के हालातों को देखकर लगता है कि गलती हमारे हुक्मरानों की नहीं है, नेताओं का कोई दोष नहीं है, गलत हमारी जनता है जो ऐसे लोगों को बार-बार चुनती है. कोरोना काल हमें बहुत कुछ सीखा जाएगा, आप सोचिए अपने बाप, मां, भाई-बहन को बचाने की कोशिश करते हुए भी अपने सामने मरता देखने से दुखद कुछ नहीं हो सकता है.