मंगलुरु: आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर केंद्र सरकार ने यह अच्छे आचरण के आधार पर कुछ कैदियों को जेल से रिहा करने का फैसला किया है. ऐसे कैदियों की सूची में एक नाम प्रवीण कुमार का भी है, लेकिन उसे रिहा करने के निर्णय का उसके परिवारवालों ने कड़ा विरोध किया है. परिवारवालों को कहना है कि प्रवीण को रिहा न किया जाए, जिससे वे लोग सुरक्षित जीवन जी सकें. इस संबंध में प्रवीण के परिवारवालों ने मंगलवार को मंगलुरु पुलिस कमिश्नर से मिलकर अपनी बात साझा की.
दरअसल, यहां के वामंजूर क्षेत्र के रहने वाले प्रवीण ने 23 फरवरी, 1994 में अपने परिवार के चार सदस्यों की हत्या कर दी थी जिसमें उसकी बुआ अप्पी शेरीगार्थी, बेटी शकुंतला, बेटा गोविंदा और पोती दीपिका शामिल थी. पेशे से दर्जी प्रवीण को लॉटरी खेलने की लत थी जिससे उसके ऊपर काफी कर्ज हो गया था. इससे बचने के लिए उसने परिवार के चार सदस्यों की हत्या कर दी और घर के गहने आदि लेकर भाग गया था.
हालांकि इस मामले में पुलिस ने उसे कुछ दिनों बाद गिरफ्तार भी किया, लेकिन वह पुलिस की गिरफ्त से फरार हो गया और गोवा में दूसरे नाम से रहने लगा. इस दौरान एक अन्य महिला से शादी भी की, लेकिन 1999 में पुलिस ने उसे फिर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. मामले की सुनवाई में प्रवीण को मंगलुरु कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई जिसका 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने भी समर्थन किया था. हालांकि 2014 में मामले में दया याचिका पर सुनवाई करने के दौरान उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था.
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हाल ही में जब प्रवीण को रिहा करने की बात सामने आई तो परिवारवालों ने इसका विरोध किया. उसकी पत्नी सहित परिवार के करीब 50 सदस्यों ने पुलिस कमिश्नर से मिलकर कहा कि प्रवीण से मिलने जाने पर वह उन्हें जान से मारने की धमकी देता था. इस दौरान उन्हें गुजारिश की कि इस रिहाई को रोका जाए. इसपर पुलिस कमिश्नर एन शशिकुमार ने कहा कि प्रवीण के परिवार का अनुरोध उच्च अधिकारियों की भेजा जाएगा.