दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

पलक पावड़े बिछा हॉकी नायकों का परिवार इंतजार में... - गोलकीपर पीआर श्रीजेश

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने गुरुवार को ओलंपिक हॉकी में कांस्य पदक जीत कर 41 साल के सूखे को खत्म कर इतिहास रच दिया. जो खिलाड़ियों के पिछले 10 साल की कड़ी मेहनत और उनके परिवार के त्याग के कारण संभव हुआ है.

Tokyo Olympics  टोक्यो ओलंपिक 2020  भारतीय पुरुष हॉकी टीम  कांस्य पदक  Tokyo Olympics 2020  hockey heroes  family of hockey heroes
भारतीय पुरुष हॉकी टीम

By

Published : Aug 5, 2021, 9:10 PM IST

नई दिल्ली:कोरोना वायरस महामारी के कारण भारतीय टीम के सभी खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक शुरू होने से छह महीने पहले से बेंगलुरु स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) परिसर में लगे शिविर में अभ्यास कर रहे थे. इन छह महीनों के दौरान वे सिर्फ वीडियो कॉल के माध्यम से परिवार को देख पाते थे.

इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद खिलाड़ियों का परिवार पलक पावड़े बिछाकर अपने नायकों का इंतजार कर रहा है. स्टार गोलकीपर पीआर श्रीजेश की पत्नी मैच की आखिरी सीटी बजते ही भावुक हो गईं. श्रीजेश ने आखिरी लमहों में पेनल्टी कार्नर का बचाव कर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई.

यह भी पढ़ें:Tokyo Olympics Day 15: इतिहास रचने उतरेगी Women Hockey Team, बजरंग भी दिखाएंगे दम

केरल के कोच्चि से उन्होंने कहा, यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का पल है. हम पिछले छह महीने से उनसे नहीं मिल सके हैं. मैं बस उसे देखना चाहती हूं. ओलंपिक उनका सबसे बड़ा सपना था. इस कोविड-19 महामारी ने जीवन को अप्रत्याशित तरीके से बदल दिया, वह घर नहीं आ पाए. लेकिन वह समय का सदुपयोग बहुत ही समझदारी से करने में कामयाब रहे. उनके लौटने पर मैं पिकनिक पर जाना चाहती हूं.

यह भी पढ़ें:PM मोदी ने सिल्वर मेडल जीतने वाले रवि दहिया और उनके कोच से बात की

टीम के ज्यादातर खिलाड़ी हरियाणा और पंजाब के हैं, जहां इस जीत का खूब जश्न मना. कप्तान मनप्रीत सिंह की मां मंजीत कौर ने कहा, उनके बेटे ने पहले ही फोन कर कहा था कि टीम पदक के साथ लौटेगी. अमृतसर जिले में गुरजंत सिंह और शमशेर सिंह का परिवार भी पदक पक्का होने के बाद खुशी से झूम उठा. गोल करने वालों में शामिल रूपिंदर पाल सिंह की मां ने कहा, सेमीफाइनल में बेल्जियम से हारने के बाद वे थोड़ा निराश थे. अब वे फरीदकोट में अपने बेटे के भव्य स्वागत की तैयारी में जुटे हैं.

यह भी पढ़ें:जानें, कौन हैं जीत के हीरो और कैसी रही है हॉकी की विजय गाथा

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के रहने वाले विवेक सागर प्रसाद का भी उनके गृहनगर में बेसब्री से इंतजार है. उनके भाई विद्यासागर ने कहा, अगर यह अभी नहीं होता, तो शायद हमें पदक पाने के लिए 41 साल और इंतजार करना पड़ता. श्रीजेश को सलाम, जिन्होंने उस दबाव की स्थिति में, हमें खुश होने का मौका दिया. हमारी आंखों में खुशी के आंसू थे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details